PM Security Breach: पीएम मोदी की सुरक्षा में सेंधमारी की क्या है पूरी इनसाइड स्टोरी, पढ़िए एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
पंजाब में पीएम की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हुआ और कांग्रेस पार्टी इसे सियासी चोला पहनाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ती दिख रही है.
पंकज कुमार।
पंजाब (Punjab) में पीएम की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हुआ और कांग्रेस पार्टी (Congress Party) इसे सियासी चोला पहनाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ती दिख रही है. ध्यान देने वाली बात यह है कि पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) और उनका पूरा कैबिनेट पीएम को रिसिव करने भटिंडा एयरपोर्ट (Bathinda Airport) जाने वाला था, लेकिन ऐन वक्त पर डीजीपी और चीफ सेक्रेट्री भी एयरपोर्ट से नदारद रहे जो राज्य सरकार के मंसूबों पर गंभीर सवाल खड़े करता है.
पीएम के पंजाब दौरे से पहले चरणजीत सिंह चन्नी सरकार के बेहद महत्वपूर्ण और कद्दावर मंत्री से लागातार संपर्क में थे. सूत्रों के मुताबिक चरणजीत सिंह चन्नी ने उनसे यहां तक कहा कि राजनीति अपनी जगह है लेकिन चन्नी खुद पूरे कैबिनेट के साथ पीएम मोदी को रिसिव करने एयरपोर्ट जाएंगे. लेकिन पीएम को रिसिव करने 5 सितंबर को चन्नी और उनका कैबिनेट नहीं पहुंचा बल्कि वित्त मंत्री को पीएम मोदी की अगुवाई करने के लिए भेजा गया.
पीएम को रिसिव करने पंजाब के डीजीपी और चीफ सेक्रेट्री भी भटिंडा एयरपोर्ट पर नहीं गए जिसको लेकर केन्द्र सरकार के महकमे में हैरानी है. बतौर सीएम चन्नी ने पलटी क्यों मारी इसको लेकर चन्नी ने अपने पीए और पीएस को कोरोना पीड़ित बताकर प्रेस कांफ्रेंस में पल्ला झाड़ लिया. लेकिन पीएम की सुरक्षा में सेंधमारी की घटना की असली पटकथा कुछ और ही है जो धीरे धीरे सामने आने लगी है.
चन्नी अपने वादे से मुकरने को क्यों हुए मजबूर?
दरअसल पंजाब कांग्रेस में चन्नी बनाम सिद्धु की जंग जगज़ाहिर है. सूत्रों की मानें तो चन्नी अपने वादे से इसलिए पलट गए क्योंकि वो पीएम के स्वागत में आगे बढ़ने का ख़ामियाजा बड़ी कीमत चुकाकर भुगत सकते थे. इसलिए वो अपनी मर्जी से नहीं बल्कि एक आदेश के तहत योजना बदलने को मजबूर हुए. ये सर्वविदित है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पीएम की सुरक्षा एसपीजी एक्ट के तहत की जाती है. पीएम की सिक्योरिटी के रास्ते में कोई आता है तो उसे सीधा गोली मारा जा सकता है और मुकदमा उस शख्स के खिलाफ होगा जो पीएम के रास्ते में आया था. एसपीजी एक्ट के तहत सुरक्षा दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के परिवार को मिलता था, जो अब हटा लिया गया है.
ज़ाहिर है ये सुरक्षा संविधान द्वारा प्रदत्त है लेकिन पीएम मोदी के काफिले (Convoy) को फ्लाईओवर के बीच तक लाया गया, जहां प्रदर्शनकारियों से सीधा संघर्ष होना स्वाभाविक था. ज़ाहिर है ये पीएम की सुरक्षा में बहूत बड़ी चूक थी, लेकिन इसे भी राजनीतिक चोला पहनाकर मटियामेट करने की बेतरतीब खेल जारी है. पीएम के काफिले से पहले राज्य की पुलिस मौजूद थी. राज्य की पुलिस के क्लीयरेंस के बाद ही पीएम का काफिला आगे बढ़ा, लेकिन पीएम के काफिले को ठीक फ्लाईओवर पर रोका गया जो कतई इत्तेफाक तो नहीं था.
पीएम के सड़क मार्ग से जाने की सटीक सूचना लोगों तक पहुंच जाना भी कम हैरतअंगेज नहीं है? इतना ही नहीं प्रदर्शनकारियों के एक समूह को सड़क जाम करने के लिए समुचित समय भी मिल गया, जबकि केन्द्र और राज्य सरकार की खुफिया एजेंसियां प्रदर्शनकारियों के आंदोलन को लेकर पूरी तरह से अवगत थीं. ज़ाहिर है एक के बाद एक खुल रही परतें सुरक्षा व्यवस्था की कलई पूरी तरह से खोल कर सामने रख दे रही हैं और इसमें राज्य सरकार की पुलिस और इंटेलिजेंस की खामियों का भी पर्दाफाश हो चुका है.
चूक या सियासी साजिश?
पंजाब कांग्रेस के एक नेता सुनील जाखड़ को छोड़कर पीएम की सुरक्षा में सेंधमारी को लेकर किसी भी कांग्रेसी बड़े नेता का बयान राजनीति से परे नहीं आया. हां एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर ये जरूर कहा कि कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व दलित मुख्यमंत्री चन्नी के कंधे पर बंदूक रखकर सियासी गोली दाग रहा है और चन्नी अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए अपने कंधे का बखूबी इस्तेमाल करवा रहे हैं. दरअसल कांग्रेस के नेता मानते हैं दलित सीएम की भूल या सियासी दांव पर उसे बर्खास्त करने या नीचा दिखाने की कोशिश बीजेपी करेगी तो उसे सिख विरोधी के साथ दलित विरोधी होने का भी खामियाजा भुगतना पड़ेगा. इसलिए पंजाब की सियासत के बहाने कांग्रेस ने पंजाब में किसानों के साथ खड़े होने का मैसेज दिया है, वहीं बीजेपी को दलित विरोधी कदम उठाने के लिए उकसाया भी है.
ज़ाहिर है जिस तरह बिहार में लालू प्रसाद ने अडवाणी का रथ रोककर बिहार की सियासत में अपने लिए विशेष जगह बनाई थी, उसी तरह कांग्रेस चन्नी के कंधे पर बंदूक रख सियासत में जगह बनाने की फिराक में है. लेकिन कांग्रेस को ऐसे सियासतदां से जरूर सबक लेना चाहिए जो समय पड़ने पर राजनीति से ऊपर उठकर बयान देते हैं और उनमें नीतीश कुमार और नवीन पटनायक सरीखे नेता शामिल हैं. जो पिछले तीन-चार चुनाव से जनता की पसंद लगातार बने हुए हैं. उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक ने ट्वीट कर कहा है कि भारत का प्रधानमंत्री एक संस्था है. ये हर सरकार की जिम्मेदारी है कि वो उन्हें फुलप्रूफ सुरक्षा प्रदान करे और संस्था की गरिमा को बरकरार रखे. लोकतंत्र में प्रधानमंत्री की सुरक्षा से खिलावाड़ मान्य नहीं हो सकता है.