पटोले हों या चन्नी, सभी प्रधानमंत्री पद की गरिमा से खिलवाड़ करके कैसे राहुल गांधी को खुश करने में लगे हैं

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले (Nana Patole) वैसे तो अपने बड़बोलेपन के लिए महाराष्ट्र (Maharashtra) में हमेशा से चर्चा में रहते हैं

Update: 2022-01-19 09:45 GMT

अजय झा महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले (Nana Patole) वैसे तो अपने बड़बोलेपन के लिए महाराष्ट्र (Maharashtra) में हमेशा से चर्चा में रहते हैं, पर अब उनका नाम राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गया है. सोमवार को उनका एक वीडियो सामने आया जिसमें वह भंडारा जिले में कुछ लोगों से बात कर रहे थे, जहां मराठी भाषा में उन्हें कहते हुए सुना गया कि वह मोदी की पिटाई कर सकते हैं और मोदी को गली दे सकते हैं. अब वह सफाई देते फिर रहे हैं कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) का जिक्र नहीं कर रहे थे बल्कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में एक मोदी नाम का गुंडा है जिसके बारे में वह बोल रहे थे.

अब वहां मोदी नाम का गुंडा है या नहीं, यह तो उन्हें ही साबित करना होगा, पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस का दावा है कि पटोले प्रधानमंत्री मोदी के बारे में अपशब्द बोल रहे थे. अगर पटोले किसी गुंडे-मवाली के बारे में बोल रहे थे तो उन्हें यह बोलने की जरूरत ही क्या थी? महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस पार्टी शामिल है. बस उन्हें पुलिस को फोन करना था और वह गुंडा पकड़ा जाता. गुंडों को पीटने का काम किसी विधायक या सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष का कदापि नहीं है. इसलिए ऐसा लग रहा है कि वह प्रधानमंत्री के बारे में ही बोल रहे थे और उनकी सफाई सिर्फ अपने बचाव के लिए है.
कांग्रेस पार्टी बार-बार प्रधानमंत्री पद की गरिमा के साथ खिलवाड़ क्यों करती है
पटोले एक बड़ी पार्टी के बड़े प्रदेश के अध्यक्ष हैं, राजनीति में नए भी नहीं हैं, ना ही बीजेपी उनके लिए नया है. 1999 से 2014 तक लगातार तीन बार विधायक चुने गए, 2014 में वह लोकसभा के लिए चुन गए. मोदी से उनकी रंजिस भी पुरानी है. उन्हें उम्मीद थी कि मोदी मंत्रीमंडल में उन्हें शामिल किया जाएगा, पर जब ऐसा नहीं हुआ तो लोकसभा और बीजेपी से 2017 इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए जहां उन्हें वह सम्मान और पद मिला. 2019 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा के लिए चुने गए और महाराष्ट्र के गठबंधन सरकार ने उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया और फिर पछले वर्ष काग्रेस पार्टी ने उन्हें महाराष्ट्र इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया. बीजेपी और मोदी से उनकी नाराजगी का कारण तो ऐसा ही लगता है कि उनके निशाने पर मोदी नाम का कोई गुंडा नहीं था बल्कि स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ही थे.
कहते है यथा राजा तथा प्रजा. मोदी के बारे में अपशब्द कहने वाले पटोले एकमात्र कांग्रेसी नेता नहीं है. दोष उनका भी नहीं है. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने भी देखा था कि किस तरह बिना सबूत के कांग्रेस पार्टी के बेताज बादशाह राहुल गांधी मोदी के बारे में अभद्र शब्दों का प्रयोग कर रहे थे – चौकीदार नहीं चोर है, जो कांग्रेस पार्टी का चुनावी नारा बन गया था. प्रधानमंत्री का पद संवैधानिक है. इस बात कि अहमियत ज्यादा नहीं है कि देश का प्रधानमंत्री कौन है, किस पार्टी से है या आपको वह कितना पसंद या नापसंद है. अहमियत इस बात की है कि देश की जनता ने मोदी को दो बार भारी मतों से देश का प्रधानमंत्री चुना है और कांग्रेस पार्टी बार-बार उस पद की गरिमा से खिलवाड़ करती दिख रही है.
क्या चन्नी और पटोले ऐसा कांग्रेस आलाकमान को खुश करने के लिए करते हैं
पिछले दिनों जिस तरह से राजनीति से प्रेरित हो कर कांग्रेस पार्टी की पंजाब सरकार ने मोदी की रैली को रोकने के लिए देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा से समझौता किया था, उसे सभी ने देखा और पूरे देश में इसकी आलोचना हुई. पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी बाद में सफाई देते नज़र आए और पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक कमिटी के साथ जिस तरह से जांच में सहयोग नहीं कर रही है, साफ़ होता जा रहा है कि चन्नी राहुल गांधी को खुश करने की कोशिश कर रहे थे और वह जांच से भागने की कोशिश कर रहे हैं. आरोप है कि जब प्रधानमंत्री का काफिला एक फ्लाईओवर पर 20 मिनट तक फंसा रहा और प्रधानमंत्री ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से फोने पर बात करने कि कोशिश की तो चन्नी उस समय प्रियंका गांधी को पूरी रिपोर्ट देने में व्यस्त थे.
अब जब कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े नेता और पार्टी का एक मुख्यमंत्री ही प्रधानमंत्री पद की सार्वजनिक रूप से धज्जियां उड़ाता है तो भला पटोले कैसे पीछे रह जाते. उन्हें भी मोदी के खिलाफ अपशब्द कहने में कोई संकोच नहीं हुआ. अब पटोले भले ही सफाई में कहते दिख रहे हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री पद की गरिमा का पूर्ण अहसास है और वह मोदी के खिलाफ अपशब्द नहीं कर रहे थे, उनकी सफाई गले से नीचे नहीं उतर रही है.
अब चुनाव का समय आ गया है. अगर चुनाव आयोग करोना संक्रमण के कारण रैली पर लगे प्रतिबन्ध हटा दे तो राहुल गांधी अपने चिरपरिचित अंदाज़ में मोदी के खिलाफ एक बार फिर से अपशब्दों का प्रयोग करते दिख सकते हैं. कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को मोदी से नफरत होनी ही चाहिए, जिस पद पर आज राहुल गांधी को होना था उस पर मोदी जो बैठे हुए हैं. पर उन्हें यह नहीं भुलना चाहिए कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा इंसान बदलता रहता है पर प्रधानमंत्री पद देश की आन, बान और शान है. किसी भी भारतीय को यह शोभा नहीं देता कि देश के प्रधानमंत्री के बारे में वह ऐसी तुच्छ बातें करे. वैसे भी अगर मोदी को गाली देने से ही राहुल गांधी प्रधानमंत्री बन सकते हैं तो वह कब के भारत के प्रधानमंत्री हो चुके होते.
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