साझेदारी का संकल्प

लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री का संबोधन महज रस्मी नहीं होता। उससे सरकार की उपलब्धियों और चल रही योजनाओं की प्रगति के साथ-साथ आगे की योजनाओं और नए संकल्पों का पता मिलता है।

Update: 2021-08-16 02:30 GMT

लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री का संबोधन महज रस्मी नहीं होता। उससे सरकार की उपलब्धियों और चल रही योजनाओं की प्रगति के साथ-साथ आगे की योजनाओं और नए संकल्पों का पता मिलता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में सरकार किन क्षेत्रों पर अपना ध्यान अधिक केंद्रित करने वाली है। प्रधानमंत्री के इस बार के संबोधन में मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में छोटे किसानों, उत्पादन और विपणन के मामले में आत्मनिर्भरता बढ़ाने, सहकारिता और पूर्वोत्तर के विकास पर जोर रहा। सरकार ने इस बार के मंत्रिमंडल विस्तार में सहकारिता के रूप में एक नए विभाग का गठन किया है। इसका मकसद देश में सरकारी और निजी प्रयासों से विकास संबंधी योजनाओं को आगे बढ़ाना है। स्वाभाविक ही स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रधानमंत्री ने उसका उल्लेख किया। कोरोना काल में पैदा हुए आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकार का बल पहले से आत्मनिर्भरता बढ़ाने पर है। दूसरे देशों पर निर्भरता कम करने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब सरकार के साथ विकास योजनाओं में जन-साधारण की सहभागिता भी हो। इसीलिए प्रधानमंत्री ने इस बार सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के नारे में एक पद और जोड़ा- सबका प्रयास।

इन दिनों देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों में असंतोष देखा जा रहा है। पिछले साल सरकार ने जो तीन नए कृषि कानून बनाए थे, उनके विरोध में करीब नौ महीने से किसान आंदोलन कर रहे हैं। इस विषय पर प्रधानमंत्री ने एक प्रकार से स्पष्टीकरण देने का प्रयास कि किस तरह छोटे किसानों की उन्नति के लिए सरकार विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है। देश में अस्सी फीसद किसान छोटी जोत वाले हैं। दो हेक्टेयर या उससे कम खेत वाले। उनकी उपज की वाजिब कीमत दिलाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने और प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के तहत हर छोटे किसान के खाते में नगदी पहुंचाने का भी उन्होंने उल्लेख किया। किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा योजना और किसान उत्पादक संगठनों के माध्यम से उन्होंने कृषि क्षेत्र में उन्नति की उम्मीद जताई और वादा किया कि हर ब्लॉक में कृषि उत्पाद के भंडारण की व्यवस्था की जाएगा। हालांकि यह देखने की बात होगी कि प्रधानमंत्री की इन बातों से किसान कितने संतुष्ट होते हैं। इसके अलावा आने वाले समय में सरकार का जोर पूर्वोत्तर के विकास पर रहने वाला है। पूर्वोत्तर के हर राज्य की राजधानी तक रेल सेवाएं शुरू करने की योजनाओं पर काम इसमें महत्त्वपूर्ण होगा। पूर्वोत्तर के राज्यों की लंबे समय से शिकायत रही है कि उन तक विकास योजनाएं नहीं पहुंच पातीं। सरकार ने उधर ध्यान केंद्रित किया है, तो निस्संदेह इससे उन क्षेत्रों में बेहतरी की उम्मीद जगी है।
प्रधानमंत्री के संबोधन में सबसे अधिक बल साझेदारी पर रहा। वे बार-बार उल्लेख करते रहे हैं कि हमारे देश में हुनरमंद युवाओं की कमी नहीं है, बस उन्हें उनके सपनों की दिशा में आगे बढ़ने के लिए सहयोग करने की जरूरत है। इसी दृष्टि के साथ सरकार ने नए उद्यमियों को प्रोत्साहित करना शुरू किया था। प्रधानमंत्री के सबका प्रयास कहने का मकसद भी यही है कि विकास कार्यों को अकेले सरकारी प्रयासों पर केंद्रित न करके सहकारिता और परस्पर सहयोग के जरिए उन्हें पूरा करने की कोशिश हो। इसीलिए प्रधानमंत्री ने सरकारी अड़चनों को दूर करने का भी संकेत दिया। अगर यह सही ढंग से फलीभूत हो, तो आने वाले दिनों में निस्संदेह इसके बेहतर नतीजे देखने को मिल सकते हैं।


Tags:    

Similar News

-->