साझेदारी का संकल्प
लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री का संबोधन महज रस्मी नहीं होता। उससे सरकार की उपलब्धियों और चल रही योजनाओं की प्रगति के साथ-साथ आगे की योजनाओं और नए संकल्पों का पता मिलता है।
लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री का संबोधन महज रस्मी नहीं होता। उससे सरकार की उपलब्धियों और चल रही योजनाओं की प्रगति के साथ-साथ आगे की योजनाओं और नए संकल्पों का पता मिलता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में सरकार किन क्षेत्रों पर अपना ध्यान अधिक केंद्रित करने वाली है। प्रधानमंत्री के इस बार के संबोधन में मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में छोटे किसानों, उत्पादन और विपणन के मामले में आत्मनिर्भरता बढ़ाने, सहकारिता और पूर्वोत्तर के विकास पर जोर रहा। सरकार ने इस बार के मंत्रिमंडल विस्तार में सहकारिता के रूप में एक नए विभाग का गठन किया है। इसका मकसद देश में सरकारी और निजी प्रयासों से विकास संबंधी योजनाओं को आगे बढ़ाना है। स्वाभाविक ही स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रधानमंत्री ने उसका उल्लेख किया। कोरोना काल में पैदा हुए आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकार का बल पहले से आत्मनिर्भरता बढ़ाने पर है। दूसरे देशों पर निर्भरता कम करने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब सरकार के साथ विकास योजनाओं में जन-साधारण की सहभागिता भी हो। इसीलिए प्रधानमंत्री ने इस बार सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के नारे में एक पद और जोड़ा- सबका प्रयास।