पाक की नूरा कुश्ती! दिखावे के लिए आतंकियों पर शिकंजा

पाकिस्तान की आतंकवाद पोषण की नीतियों पर निगाह रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय नियामक संस्था की फरवरी में बैठक होने जा रही है

Update: 2021-01-11 14:31 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ऐसे वक्त में जब पाकिस्तान की आतंकवाद पोषण की नीतियों पर निगाह रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय नियामक संस्था की फरवरी में बैठक होने जा रही है, पाक कुख्यात आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई का नाटक कर रहा है। मुंबई हमले के मास्टर माइंड और जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने वाले संगठन लश्कर-ए-तैयबा के अगु‍आ जकी-उर-रहमान लखवी को हाल ही में गिरफ्तार किया गया है। उसे संयुक्त राष्ट्र ने 2008 में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया था। लखवी पर आतंकियों को धन-सहायता उपलब्ध कराने के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। पाक की एक अदालत ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में लखवी को पंद्रह साल जेल की सजा सुनायी है। यह विडंबना ही है कि एफएटीएफ जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की बैठकों से पहले पाक इसी तरह के प्रपंच आंख में धूल झोंकने के लिए करता है। इसी तरह एक अन्य कुख्यात आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के खिलाफ भी आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किये गये हैं। निस्संदेह पाक सरकार फरवरी में वित्तीय कार्रवाई कार्यबल यानी एफएटीएफ तथा इससे पहले इसकी एशिया प्रशांत संयुक्त समूह इकाई की बैठक के मद्देनजर यह कार्रवाई का नाटक कर रहा है, जिसकी भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी कड़े शब्दों में आलोचना करते हुए इसे नाटक बताते हुए कहा है कि महत्वपूर्ण बैठकों से पहले पाक ऐसी ही हरकत करता रहा है।


दरअसल, पाक सरकार ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों के खिलाफ कभी भी ठोस कार्रवाई नहीं की है। प्रतिबंधित आतंकी संगठन गाहे-बगाहे भारत के खिलाफ सार्वजनिक मंचों से विषवमन करके अपने मंसूबों को अंजाम देते रहते हैं। पाक के सरकारी प्रतिष्ठान भी भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। विश्व बिरादरी का दायित्व बनता है कि पाक की जवाबदेही तय की जाये ताकि पाक में सक्रिय सभी आतंकी संगठनों, उनके बुनियादी ढांचे तथा आतंकी सरगनाओं के खिलाफ ठोस कार्रवाई हो सके। दरअसल, पाक एफएटीएफ द्वारा घोषित ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिये छटपटा रहा है, जिसमें चीन उसकी खुली मदद कर रहा है। उसी कड़ी में लखवी की गिरफ्तारी का यह ढोंग सामने आ रहा है। दरअसल, पाक को यह डर भी सता रहा है कि एफएटीएफ द्वारा निर्धारित सूची पूरी न कर पाने से कहीं वह काली सूची में न दर्ज हो जाये। यदि ऐसा होता है तो पहले से चरमराई पाक की अर्थव्यवस्था चौपट हो जायेगी। पाक में विदेशी निवेश और मदद के सभी रास्ते बंद हो जायेंगे। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में भी एफएटीएफ की बैठक से ठीक पहले कुख्यात आतंकवादी सरगना हाफिज सईद को गिरफ्तार किया गया था। बीते वर्ष अक्तूबर में एफएटीएफ की बैठक में कार्रवाई योजना को अंतिम रूप देने के लिये पाक को तीन माह का समय दिया गया था और यह निर्धारित अवधि का तीसरा महीना है, जिसमें से छह लक्ष्य अभी बाकी हैं।


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