चीन आज अमेरिका जैसी बड़ी शक्ति को आर्थिक एवं राजनीतिक स्तर पर टक्कर दे रहा है तथा अपने राजनीतिक लाभ के आधार पर वैश्विक व्यवस्था को ढालने की कोशिश कर रहा है, जिससे कि वह विश्व में अपना वर्चस्व स्थापित कर सके तथा अपने हितों की पूर्ति कर सके। आज चीन अपनी युवा शक्ति का भरपूर इस्तेमाल कर रहा है तथा अपनी शिक्षा प्रणाली को कौशल आधारित बना दिया है, जिससे कि वह अपने युवाओं का राष्ट्र निर्माण हेतु अधिक से अधिक प्रयोग कर सके। आज भारत को यदि चीन को रोकना है तो भारत की युवा शक्ति एक बड़ा माध्यम हो सकती है। एक कुशल एवं कौशल आधारित युवा के निर्माण हेतु आज भारत को आवश्यकता है कि वह अपनी शिक्षा व्यवस्था का फिर से आकलन करे तथा यथोचित सुधार करे जिससे हमारे युवा केवल सैद्धांतिक स्तर भी ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक स्तर पर भी अपने आप को परिवर्तित स्थितियों के आधार पर खुद को ढाल सकंे। शिक्षा किसी भी राष्ट्र का आईना होती है। अत: इसमें ऐसे मूलभूत परिवर्तन करने की आवश्यकता है जिससे कि युवाओं को राष्ट्र की उन्नति हेतु मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जाए। यद्यपि नई शिक्षा नीति में इस ओर कार्य करने का प्रयास है, किंतु यह भी देखने की आवश्यकता है कि हम धरातल पर कितने सफल हो पाए हैं। भारत एक युवा राष्ट्र है और यही युवा राष्ट्र एक समय के बाद बूढ़ा हो जाएगा। यदि भारत के नीति निर्माता, चाहे वे केंद्र स्तर पर हों या राज्य स्तर पर हों, युवा शक्ति को एक सही दिशा में उपयोग करने में असफल हो जाते हैं तो यह हमारे भविष्य के लिए एक बड़ी चुनौती के साथ-साथ हमारे विश्व शक्ति बनने के सपने को अधूरा छोड़ देगा। मैं हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का एक छात्र हूं। यहां रहकर मैंने यह अनुभव किया कि यहां के छात्र ऊर्जावान, मेहनती एवं परोपकारी तो हैं, परंतु दुर्भाग्यवश सरकारी नौकरी तक सीमित हैं। अत: एक क्षेत्र में ही सभी को नौकरी दिलाना संभव नहीं हो सकता है। इसलिए युवाओं को यह समझने की आवश्यकता है कि शिक्षा का अर्थ केवल नौकरी करना नहीं होना चाहिए, बल्कि शिक्षा के आधार पर बहुत से और विकल्प खोजे जा सकते हैं ताकि जो छात्र किसी कारणवश नौकरी नहीं कर सकें, वे भी एक गौरवशाली जीवन व्यतीत कर सकते हैं तथा एक समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं। मैं हिमालय की गोद में स्थित हिमाचल का निवासी हूं। प्रकृति ने इसे असीम सुंदरता तथा संसाधन दिए हैं।
इसलिए यहां विभिन्न क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं, जिनमें पर्यटन, बागवानी, कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प एवं हथकरघा उद्योग, मधुमक्खी पालन, सीमेंट उद्योग आदि क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। युवा इन क्षेत्रों में अपनी शिक्षा का प्रयोग करके एक अच्छी उपज पैदा करके एक समृद्ध जीवन जी सकता है। यहां मेरे कहने का भाव यह है कि हमें शिक्षा के द्वारा हर एक क्षेत्र में विकास करने की आवश्यकता है। चीन तथा पाकिस्तान दक्षिण एशिया में भारत को एक प्रतिद्वंद्वी मानते हैं तथा समय-समय पर वे भारतीय सीमा पर हस्तक्षेप करते रहते हैं, ताकि भारत अपने सीमा संबंधी विवादों में उलझा रहे तथा आंतरिक समस्याओं एवं विकास-समृद्धि से उसका ध्यान भटकाया जा सके। एक युवा एवं भारतीय होने के नाते मेरी यह तीव्र इच्छा है कि भारत विश्व मंच पर एक मजबूत शक्ति तथा घरेलू स्तर पर एक सक्षम एवं खुशहाल राष्ट्र बने। अत: मेरा यह मानना है कि भारत के प्रत्येक राज्य को वहां के युवाओं को अपने राज्य की परिस्थितियों एवं आवश्यकता के अनुसार उपयोग में लाने की आवश्यकता है, ताकि वे प्रत्येक क्षेत्र में राष्ट्र निर्माण हेतु सहयोग दे सकें। युवाओं की ऊर्जा के उचित दोहन के लिए भारत को एक कारगर नीति बनानी होगी। केंद्र तथा राज्य सरकारों के सहयोग से एक समग्र नीति बनाई जा सकती है। साथ ही इस नीति पर बेहतर क्रियान्वयन की भी जरूरत है ताकि भारत एक सशक्त राष्ट्र बने।
लीलाधर
पीएचडी छात्र