ऑनलाइन शिक्षा जरूरी पर गुड हैंड राइटिंग और भी जरूरी
यह सच है कि जब किसी के सामने कठिन हालात आते हैं तो इन चुनौतियों के बीच ही इंसान की असली परीक्षा होती है।
यह सच है कि जब किसी के सामने कठिन हालात आते हैं तो इन चुनौतियों के बीच ही इंसान की असली परीक्षा होती है। कोरोना जहां पूरी दुनिया के लिए एक खतरा बनकर खड़ा हुआ है वहीं भारत ने भी इस कोरोना काल में जीवन के हर क्षेत्र में लड़-लड़कर जूझ-जूझ कर खुद को स्थापित किया है। चुनौतियां हैं कि कम नहीं हो रही। कुल पंद्रह महीने हो चले हैं हमने इन चुनौतियों में संभावनाओं के अवसर तलाश लिये हैं। अर्थव्यवस्था को संभाला, बाजार संभाले और सबसे बड़ी बात यह है कि छोटे मजदूरों और दफ्तरी बाबुुओंं के अलावा हर किसी को संभालते हुए सबसे बड़ा चैलेंज शिक्षा के क्षेत्र में झेला जहां स्कूली स्तर पर एक बड़ी बाधा अगर किसी ने पार की है तो वह भारत ही है जो दुनिया के सामने एक उदाहरण बनकर खड़ा हुआ है। नर्सरी के दाखिले खुल गये। कोरोना की दूसरी लहर के चलते आठवीं तक के स्कूल बंद हैं। वहीं नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं के स्टूडेंट्स को अगर स्कूल आने का मौका दिया है तो उसके लिए भी माता-पिता की अनुमति जरूरी है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि टीकाकरण के बावजूद मामले बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल या फिर स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन बराबर लगे हुए हैं कि टीकाकरण के बावजूद लोग लापरवाही ना बरतें। बराबर अपील की जा रही है कि अब टीकाकरण तेजी से चल रहा है लिहाजा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। उधर गृहमंत्री पूरे देश में कोरोना को लेकर राज्यों को नई गाईडलाइंस जारी कर टीकाकरण को प्रेरित कर रहे हैं। सबकुछ ठीक है परंतु बड़ी दिक्कत लोगों की लापरवाही है। लिहाजा लोगों को नियमों का पालन करना ही होगा।