सियासत के घाट पर

शहर फिर गुनगुनाने लगा है, शायद पत्थरों पर विकास खुदवाने लगा है

Update: 2022-06-01 19:09 GMT

शहर फिर गुनगुनाने लगा है, शायद पत्थरों पर विकास खुदवाने लगा है। राजनीति अपने अभिप्राय के चुंबक को वक्त की तामील में सामने लाती है और इस तरह चुनाव का आकर्षण बढ़ जाता है या यही हमारी खुशी और खुशामद है कि विकास भी जब सौदेबाजी पर उतर आता है, तो उस धुएं से तरक्की का चिराग जलाने की उम्मीद करते हैं। कुछ इसी तरह का रिपोर्ट कार्ड हिमाचल में भी बन रहा है और चुनावी करवटों में विकास के मजमून, इनसानी प्रगति के हौसले बुलंद करने में जुट गए हैं। ऐसे में विकास के मुकाम पर चुनाव को देखें या चुनाव के जरिए विकास को समझें। जो भी हो, कुछ महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं की भाषा बदल रही है या यूं लगने लगा है कि विकास अब बंद मुट्ठी खोल देगा। असामान्य गतिविधियों के वीआईपी दर्शनों में हिमाचल एक साथ केंद्र सरकार के अनेक रूप देख रहा है।

ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में हिमाचल का मापतोल बढ़ जाएगा या यूं भी हो सकता है कि यकायक प्रदेश के आसमान पर इंद्रधुनषी इबारतें, खूबसूरत फिजां का चित्रण करेंगी। चंबी में कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र का त्रिदेव सम्मेलन राजनीतिक घाट में एक साथ अंजुलि भर पानी में शपथ लेने का सबब रहा, तो शिमला में प्रधानमंत्री की रैली में सारे राष्ट्रीय संबोधन अपने अधिकार की छत्रछाया में प्रदेश का माथा ऊंचा करने का माहौल तराशते रहे। राष्ट्रीय भावना में हिमाचल को निरूपित करते सियासी इरादे इस बार भाजपा की सत्ता का कमाल दिखाएंगे और इसलिए इन करिश्मों की बहती गंगा में राज्य अपने हाथ धो सकता है या कम से कम यह अंदाजा लगा सकता है कि एक चुनाव से कितना सफर पूरा हो सकता है। यह किसी करिश्मे से कम नहीं कि राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन हिमाचल में जड़ें जमा रहे हैं और अगर प्रधान सचिवों की बैठक में प्रधानमंत्री अपने लिए कांगड़ा प्रवास चुन लेते हैं, तो आसमान से तारे तोड़ लेने का वक्त और क्या होगा।
यह दीगर है कि वर्षों बाद भी हिमाचल के हिस्से में गोवा या कश्मीर की तर्ज पर एक अदद कान्वेंशन सेंटर नहीं आया, इसलिए जोड़तोड़ से धर्मशाला का समागम करना पड़ेगा। बहरहाल प्रधानमंत्री के आने की खबर से कांगड़ा एयरपोर्ट तथा पठानकोट-मंडी फोरलेन निर्माण की फाइलें नाचने लगी हैं। यह सूचना अचंभित करती है या इतनी भोली व ईमानदार है कि कांगड़ा एयरपोर्ट विस्तार का हर नुक्ता और हर रास्ता साफ होता नज़र आ रहा है। वही प्रशासन जो आज तक अलग-अलग सर्वेक्षणों का रुख मोड़ता रहा, अब कह रहा है कि दो चरणों में हवाई अड्डा इतना बड़ा दिखने लगेगा कि आसमान से बड़े-बड़े जहाज भी यहां उतर जाएंगे। पूरी रिपोर्ट, पूरा खाका और पूरी कसौटी को जैसे पांव लग गए हों या एयरपोर्ट विस्तार परियोजना को पंख लग गए हों। बेशक सपनों के जहाज तो हर चुनाव में उड़ाए जाते हैं, मगर इस बार जहाज से बार-बार हिमाचल में उतरते प्रधानमंत्री के आने का अर्थ कितना गहरा और कितना सार्थक होगा, इसे हिमाचल के भविष्य या चुनाव के भविष्य में जरूर पढ़ा जाएगा। कांगड़ा-चंबा के त्रिदेव सम्मेलन की भावुकता को भी समझना होगा। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने उद्बोधन में राष्ट्रीय संवेदना को पलकों पर सवार किया है। राष्ट्र के प्रति भाजपा का वर्तमान काफी उज्ज्वल और चमकीला नज़र आता है और इस लहजे में त्रिदेव सम्मेलन संवेदना की गंगोत्री तो पैदा कर गया, लेकिन हिमाचल का हर चुनाव क्षेत्रवाद के मोहरों पर लड़ा जाता है। इस बार भी क्षेत्रीय संतुलन में कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना और चंबा की जमीन पर जो संवेदना त्रस्त है, उसे संवारने के लिए यथार्थवादी होना पड़ेगा।

सोर्स- divyahimachal


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