फिर कोई चूक न हो

चीन और जापान, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, अमेरिका जैसे देशों में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत सरकार अगर सतर्क हुई है

Update: 2022-12-22 06:05 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वबेडेस्क |  चीन और जापान, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, अमेरिका जैसे देशों में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत सरकार अगर सतर्क हुई है तो यह स्वाभाविक ही नहीं आवश्यक भी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बुधवार को एक बैठक करके हालात की समीक्षा की। उसके बाद नीति आयोग की तरफ से लोगों को भीड़भाड़ वाली जगह में मास्क लगाने की सलाह दी गई। बूस्टर डोज लेने की भी अपील की जा रही है। खबर है कि एयरपोर्ट पर विदेशी यात्रियों की रैंडम सैंपलिंग भी शुरू कर दी गई है। इससे पहले सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया गया कि कोरोना के हर पॉजिटिव सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जाए। इससे इस बात पर नजर बनी रहेगी कि देश में इस वायरस का कोई नया वेरिएंट तो नहीं आ गया। लेकिन इसी क्रम में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने और ऐसा संभव न हो तो देशहित में यात्रा स्थगित करने का सुझाव भी दिया। कांग्रेस ने अपेक्षा के अनुरूप इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उसे यह कहने का मौका मिल गया कि यात्रा की सफलता से सरकार डर गई है और कोरोना की आड़ में इसे स्थगित करवाना चाहती है।

बहरहाल, राजनीति से जुड़े इस पहलू को छोड़ दिया जाए तो इसमें संदेह नहीं कि विदेश में कोरोना के नए मामलों में हो रही अप्रत्याशित बढ़ोतरी सचमुच चिंताजनक है। खासकर चीन में तो भयावह हालात हैं। वहां अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहा, शवदाह गृहों में लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि सही सूचनाएं सामने नहीं आ रहीं। मंगलवार को चीनी सरकार ने कहा कि किसी मौत को कोविड-19 से हुई मौत माना जाए या नहीं, यह तय करने के आधारों में बदलाव किए गए हैं। इससे इन अटकलों को और बल मिला है कि चीन सरकार कोरोना से उपजे हालात और इससे होने वाली मौतों की वास्तविक संख्या छुपाना चाहती है। अगर यह सच है तो इससे चीन में हुए कोरोना विस्फोट की वास्तविक प्रकृति को समझने में दिक्कत होगी। जाहिर है, ऐसे में किसी नए वेरिएंट के रूप में दुनिया भर में कोरोना संक्रमण की नई लहर फैल जाने की आशंका और मजबूत होती है। हालांकि इन सबके बावजूद भारत में अभी घबराने की कोई जरूरत नहीं है। एक तो यहां नए केसों की संख्या सबसे निचले स्तर पर है। दूसरे, देश में आबादी के बड़े हिस्से को टीका लग चुका है। साथ ही, यहां नैचरल इम्यूनिटी भी विकसित हो चुकी है। मगर फिर भी कोरोना का अब तक का अनुभव बताता है कि इस वायरस को किसी भी सूरत में हलके में नहीं लेना चाहिए। यह एक बार फैल गया तो न तो सख्त पाबंदियां लगाते बनता है और न ही रुख नरम करते। इसलिए सबसे अच्छा यही है कि जैसे भी हो इसे फैलने से ही रोका जाए।

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