नया खतरा

पिछले करीब दो साल के दौरान कोरोना विषाणु की जैसी प्रकृति देखी गई और उसके स्वरूप में जैसे बदलाव देखे गए, उसके मद्देनजर यह आशंका पहले से थी कि आने वाले दिनों में कभी भी इसका खतरा फिर बढ़ सकता है।

Update: 2021-11-30 00:51 GMT

पिछले करीब दो साल के दौरान कोरोना विषाणु की जैसी प्रकृति देखी गई और उसके स्वरूप में जैसे बदलाव देखे गए, उसके मद्देनजर यह आशंका पहले से थी कि आने वाले दिनों में कभी भी इसका खतरा फिर बढ़ सकता है। अब ओमीक्रान नाम से कोरोना का जो नया स्वरूप उभरा है, उससे यही लगता है कि इस महामारी को लेकर जरा भी लापरवाही खतरे को कई गुना बढ़ा सकती है।

हालांकि हाल के दिनों में संक्रमण के मामलों में लगातार कमी से राहत महसूस की जा रही थी। उम्मीद बंधने लगी थी कि अब कोरोना विषाणु की ताकत कमजोर पड़ने लगी है और आने वाले कुछ समय में लोग अपना सामान्य जीवन जी सकेंगे। इस राहत का आधार इसलिए भी मजबूत था कि देश भर में बाकी सावधानियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में लोगों का टीकाकरण हो गया है। मगर अब फिर ओमीक्रान के रूप में जो खतरा मंडरा रहा है, वह कोरोना की पहली और दूसरी लहर की त्रासदी की याद दिला रहा है।
इसीलिए कोरोना के नए स्वरूप को लेकर दुनिया भर में चिंता फैल रही है और यही वजह है कि हमारे देश में भी केंद्र सरकार ने राज्यों से हर स्तर पर सावधानी बरतने, मास्क और साफ-सफाई जैसे बचाव के उपाय अपनाने, परीक्षण बढ़ाने और संक्रमित मरीजों के इलाज सहित टीकाकरण की गति तेज करने को कहा है। साथ ही 'जोखिम वाले देशों' के रूप में चिह्नित जगहों से आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों पर नजर रखने का भी निर्देश दिया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों से कहा है कि वे कोविड-19 के नए स्वरूप ओमीक्रान पर काबू पाने के लिए निगरानी बढ़ाने, जन-स्वास्थ्य मजबूत बनाने और आसान उपायों का पालन करने सहित टीकाकरण का दायरा बढ़ाने पर जोर दें।
गौरतलब है कि कोरोना के इस नए स्वरूप का वैज्ञानिक नाम बी.1.1.529 रखा गया है और इसकी पहचान सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में हुई। फिलहाल इसके खतरे का आकलन किया जा रहा है। लेकिन ब्रिटेन समेत सभी यूरोपीय देश, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, बांग्लादेश, बोत्सवाना, चीन, मारीशस, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, सिंगापुर, हांगकांग और इजराइल आदि से दूसरे देशों में जाने वाले लोगों पर नजर रखी जा रही है।
इसकी मुख्य वजह यह है कि कोरोना विषाणु के प्रसार के सबसे शुरुआती दिनों में इसी सबसे जरूरी पहलू की अनदेखी करने के चलते इसके संक्रमण में विस्तार देखा गया था। इसलिए अब सबसे ज्यादा जोर इस पर दिया जा रहा है कि जहां से ओमीक्रान के फैलने की खबर आई है, वहां से दूसरे देशों में यात्रा करने वाले लोगों पर नजर रखी जाए।
जाहिर है, यह कोरोना के कहर के अनुभवों का सबक है और यह इस विषाणु की प्रकृति को देखते हुए अच्छा है कि हर स्तर पर सावधानी बरती जाए। लेकिन समस्या यह है कि इस महामारी की प्रकृति और असर के दायरे को देखने के बावजूद आम लोगों के बीच अपेक्षित स्तर पर सजगता नहीं देखी जाती है। एक ओर सरकार और स्वास्थ्य महकमे की ओर से कोरोना से बचाव को लेकर हर स्तर पर सावधानी बरतने की बात की जाती है, लेकिन इसके असर को कमजोर पड़ता देख कर आम लोग लापरवाही बरतने लगते हैं। कोरोना पर काबू पाने में बचाव के लिए जरूरी उपायों के साथ-साथ टीकाकरण की काफी बड़ी भूमिका रही है। लेकिन इतने भर से यह मान लेना जोखिम को न्योता देना होगा कि कोरोना कमजोर या खत्म हो गया है।



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