पिछले करीब दो साल के दौरान कोरोना विषाणु की जैसी प्रकृति देखी गई और उसके स्वरूप में जैसे बदलाव देखे गए, उसके मद्देनजर यह आशंका पहले से थी कि आने वाले दिनों में कभी भी इसका खतरा फिर बढ़ सकता है।