नए स्ट्रेन की चुनौती
वर्ष 2020 बीतने को है, नया वर्ष आने वाला है। यह वर्ष कैसे बीता, हमने क्या-क्या भुगता, इसका अहसास हमें जीवन भर रहेगा।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वर्ष 2020 बीतने को है, नया वर्ष आने वाला है। यह वर्ष कैसे बीता, हमने क्या-क्या भुगता, इसका अहसास हमें जीवन भर रहेगा। हमने बहुत कुछ सहा लेकिन कुछ कड़े सबक भी सीखे। अब देश में कोरोना के आंकड़े और राहत देने वाले हो गए हैं। सोमवार को केवल 16 हजार 72 केस सामने आए। यह आंकड़ा 23 जून के बाद सबसे कम है। रिकवरी रेट भी 97 फीसदी बढ़ चुका है। दिल्ली में भी कोरोना मरीजों का आंकड़ा लगातार सुधर रहा है। इसी बीच गृह मंत्रालय ने कोरोना मरीजों के सर्विलांस के लिए लागू की गई गाइड लाइन की अवधि 31 जनवरी, 2021 तक बढ़ा दी गई है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि केन्द्र और राज्य सरकारों ने कोरोना काल में तालमेल बनाकर अच्छा काम किया और भारत ने कोरोना वायरस पर जीत हासिल करने में बेहतरीन कार्य किया है लेकिन भारत में ब्रिटेन से लौटे लोगों में से 6 कोरोना के नए स्ट्रेन से पीड़ित पाए गए हैं। इसका अर्थ यही है कि भारत में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन पहुंच चुका है। यह वायरस 70 फीसदी से ज्यादा तेजी से फैलने वाला है। इससे भारत की िचंता काफी बढ़ चुकी है। एक माह में करीब 33 हजार लोग ब्रिटेन की उड़ानों से भारत लौटे हैं। 114 लोगों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया था, उन्हें क्वारंटाइन तो कर दिया गया लेकिन इन कोरोना मरीजों का सम्पर्क दूसरे यात्रियों से हुआ होगा। अब राज्यों को जल्दी से जल्दी कांटेक्ट ट्रेसिंग का काम शुरू करना होगा। जितनी जल्दी हो सके यह काम करना होगा। नए स्ट्रेन से निपटना अपने आप में बड़ी चुनौती है। ब्रिटेन की स्थितियां हमारे सामने हैं।
वायरस का यह रहस्यमयी नया स्ट्रेन लंदन और ब्रिटेन के दक्षिणी हिस्से में ज्यादा मिल रहा है। अमेरिका में तो बुरा हाल है। अमेरिका में तीन लाख 43 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं और संक्रमित मरीजों की संख्या 20 करोड़ को छूने वाली है। कोरोना की वैक्सीन ने नई उम्मीदें जगाई हैं। केन्द्र और राज्य सरकारों ने व्यापक स्तर पर वैक्सीन की तैयारियां की हैं। पंजाब, गुजरात समेत चार राज्यों में वैक्सीन का ड्राई ट्रायल भी कर लिया गया है। राजधानी दिल्ली में भी कोरोना वैक्सीन रखने के लिए कोल्ड चेन स्थापित कर ली गई है। इससे लोग समझते हैं कि नए वर्ष का आगाज नई उम्मीदों के साथ होगा लेकिन जरा सी लापरवाही हमें गम्भीर संकट की ओर ले जा सकती है। लोगों को सतर्कता बरतनी होगी और मास्क लगाए रखना होगा तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।
सैनेटाइजर का इस्तेमाल और अपने हाथ धोते रहना होगा। अगर ब्रिटेन की तरह कोरोना का नया स्ट्रेन फैला तो स्थितियां पहले जैसी हो सकती हैं। नए स्ट्रेन से बच्चों को भी बचाना होगा। कोरोना से ग्रस्त मरीज भी कभी-कभी लापरवाही कर बैठते हैं। विदेश से लौटे दो कोरोना पॉजिटिव एकांतवास केन्द्र से भाग गए, उन्हें बड़ी मुश्किल से ढूंढ कर वापस लाया गया। एक को तो पंजाब के लुधियाना से ढूंढा गया था। यह ठीक है कि परिवार के साथ रहने की इच्छा प्रत्येक को होती है लेकिन ऐसा करके वे न केवल खुद की जिन्दगी बल्कि दूसरों की जान भी जोखिम में डालते हैं। कोरोना महामारी के चलते स्वास्थ्य पर खर्च काफी बढ़ गया है। सारी व्यवस्थाएं आपात समय में करनी पड़ रही हैं। अगर कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन फैला तो फिर स्वास्थ्य क्षेत्र काफी दबाव में आ जाएगा। गृह मंत्रालय की गाइड लाइन्स तो पुरानी ही है लेकिन गृह मंत्रालय ने अबकी बार राज्य सरकारों को नव वर्ष के स्वागत में समारोहों पर नजर रखने को कहा है। हमने पूर्व में देखा है कि राजधानी दिल्ली में त्यौहारी मौसम में लॉकडाउन के अनलॉक होते ही कोरोना मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई थी और सरकार के हाथ-पांव फूलने लगे थे।
दिल्ली सरकार ने केन्द्र से मिलकर टैस्टिंग और ट्रेसिंग का काम युद्ध स्तर पर किया। कंटेनमैंट जोन में सावधानी बरती, तब जाकर दिल्ली के हालात सुधरे हैं। कोरोना के नए स्ट्रेन को आने से रोकने के लिए सर्विलांस जरूरी है। अगर जरूरत पड़े तो स्थानीय स्तर पर प्रशासन नाइट कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगा सकता है। नव वर्ष की पूर्व संध्या पर भीड़ को रोकने के लिए बेंगलुरु पुलिस ने तो 31 दिसम्बर की शाम 6 बजे से शहर में निषेधाज्ञा लागू करने का फैसला किया है। बेहतर होगा कि नववर्ष का स्वागत लोग दोस्तों और शुभचिंतकों को संदेश भेज कर ही करें। नववर्ष का स्वागत सादगी से करें और भीड़ में जाने से बचें।
हमारा स्वास्थ्य तंत्र पहले से ही समुचित निवेश और संसाधनों के अभाव से जूझ रहा है। महामारी ने हमें सीख दी है कि इसे बेहतर बनाना ही हमारी नीतिगत प्राथमिकता होनी चाहिए। कुछ दिन पहले एक संसदीय समिति ने रेखांकित किया कि यदि निजी क्षेत्र के अस्पतालों में संक्रमण के सस्ते उपचार की उपलब्धता होती तो कई जानें बच सकती थीं। सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सरकारी व्यय सकल घरेलू उत्पादन का लगभग डेढ़ प्रतिशत ही है।
अगले पांच वर्षों में स्वास्थ्य के मद में खर्च बढ़ा कर ढाई प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है। स्वास्थ्य सेवाओं को पूरे देश में विशेष कर ग्रामीण, निम्न आय और निर्धन वर्ग को उपलब्ध कराना आवश्यक है ताकि आत्मनिर्भर भारत के लिए स्वस्थ कार्यबल मिल सके। यह संतोषजनक है कि स्वास्थ्य सेवा का बाजार बढ़ रहा है और 2022 तक इसका आकार तीन गुणा बढ़ कर 8.6 ट्रिलियन रुपए तक होने की आशा है। भारत के अनेक शहर मैडिकल हब के रूप में उभरे हैं। देश के लोगों को सस्ता इलाज और सस्ती दवाइयां उपलब्ध हो सकें, इसलिए उन्हें खुद भी जागरूक रहना होगा और महामारी से बचाव के हर उपाय अपनाते रहना होगा।