विरोध की जिद छोड़ें बिना आंदोलित किसान और सरकार के बीच वार्ता नहीं पहुंचेगी सकारात्मक नतीजे पर
किसान आंदोलन वस्तुत: एक जिद का रूप ले चुका है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में आकर डेरा डालने वाले किसान संगठनों और भारत सरकार के बीच होने वाली बातचीत किसी सकारात्मक नतीजे पर तभी पहुंचेगी जब किसान इस बातचीत में अपने मनमाफिक नतीजे हासिल करने की जिद छोड़ेंगे। उनकी ओर से यह कहना एक प्रकार से सरकार पर बेजा दबाव बनाने की ही रणनीति है कि वे बिना किसी शर्त के बातचीत करेंगे और जहां पर हैं वहीं बातचीत करेंगे। यह रुख-रवैया ठीक नहीं। यह कुछ वैसा ही रवैया है जिसका परिचय उन्हें उकसाकर सड़कों पर उतारने वाले पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह देते आ रहे हैं। अमरिंदर सिंह ने जिस तरह हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बात करना भी उचित नहीं समझा वह हैरान करने वाला है। यह रवैया नए सिरे से यह बताता है कि किसानों को आगे कर किस तरह संकीर्ण राजनीति की जा रही है।