कितनी दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि भारत को इस बार मीडिया स्वतंत्रता तालिका में 180 देशों में 161वें पायदान का स्थान मिला है। ऐसा लगता है कि देश में दो तरह का मीडिया है, एक मीडिया वह है जो मीडिया संभवत: एथिकल कोड्स को ठेंगा दिखा कर समाचारों, विचारों, मीडिया ट्रायल का प्रसारण करता है जिसको सरकारी एडवरटाइजमेंट उपलब्ध होते हैं और दूसरा मीडिया है जो पत्रकारिता के एथिकल कोड्स का अनुसरण करता है, पर लगता नहीं है कि वह स्वतंत्र रूप से काम कर पा रहा होगा।
दुनिया के देशों में मीडिया की स्वतंत्रता तालिका में ऊंचा स्थान प्राप्त करने हेतु मीडिया की स्वतंत्रता की बहाली जरूरी हो जाती है। सरकार से उम्मीद की जाती है कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए सभी तरह के मीडिया को समान स्वतंत्रता सुनिश्चित करे। -रूप सिंह नेगी, सोलन
By: divyahimachal