Lookalike: पाकिस्तानी एक्टर अली जफर के किसी मामले में कम नहीं हैं उनके भाई दान्याल, Photos देख पहचानना होगा मुश्किल
दोस्ती (Friendship) के लिए कोई एक दिन ख़ास थोड़े ही होता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दोस्ती (Friendship) के लिए कोई एक दिन ख़ास थोड़े ही होता है, बल्कि दोस्ती तो पूरे साल को ही खुशनुमा बना देती है. दोस्ती का इतिहास उठाकर देखें तो लोगो ने अपनी जान पर खेल कर अपनी दोस्ती निभाई है. दोस्ती रिश्तों का वो बंधन है जो खून के रिश्तों से भी बड़ा हो जाता है. दोस्त ऐसा साथी होता है जिसमें हर रिश्ते की छाया होती है. दोस्त मां की तरह प्यार करता है पिता की तरह फटकार लगा देता है, भाई की तरह हमेशा मदद करने को तैयार रहता है और बहन की तरह ख्याल रखता है. और जब आपका दिल टूट जाता है तो मरहम लेकर खड़ा होता है. खून के रिश्ते तो जन्म से तय होते हैं लेकिन किसको दोस्त बनाना है ये हमेशा हमारी चॉइस होती है. वाकई दोस्ती ऐसा रिश्ता है जिसमें सभी एहसास मिले होते हैं. कई बार लोगों को अपने परिवार के सदस्यों पर भी इतना भरोसा नहीं होता जितना की एक दोस्त पर होता है.
बॉलीवुड (Bollywood) तो दोस्ती की दास्तां से भरा पड़ा है. पर्दे पर हुई दोस्ती की मिसाल तक दी जाती है. सिर्फ ये ही नहीं पर्दे पर कुछ कहानियां तो ऐसी दिखाई गईं जिसे देखकर सबने कहा कि यार हो तो ऐसा हो. ऐसे ही पर्दे के दोस्त रहे शोले के जय और वीरू जिनकी दोस्ती का जिक्र आज भी होता है. जय और वीरू के कारनामे जितने बड़े थे उनकी दोस्ती उससे कई गुना गहरी थी. वीरू की बसंती से शादी के लिए उसकी मौसी से बात रही हो या गब्बर सिंह का मुकाबला करने के लिए वीरू की जान बचाकर खुद की जान पर खेल जाना, जय ने दोस्ती की मिसाल बना दी.
इस मिसाल को जंजीर में विजय और शेरखान ने जारी रखा, जमाने ने इस दोस्ती को दाद भी दी. इमली का बूटा और बेरी का पेड़ गाना सौदागर फिल्म में दिलीप कुमार और राजकुमार की दोस्ती की याद दिलाता है. दोनों की दोस्ती कई परीक्षाओं से गुजरी एक बार तो दोस्ती से बड़ी दुश्मनी में तब्दील हो गई, हालांकि देर आये दुरुस्त आये दोस्ती और दुश्मनी की जंग में फतेह दोस्ती ने ही हासिल की.
मुन्ना भाई एमबीबीएस मूवी याद है ना डॉ अस्थाना और मुन्ना भाई की नोकझोंक तो उस मूवी में है ही, लेकिन एक चीज और खास है वो है दोस्ती. 'भाई ने बोला मतलब बोला', चाहे भाई दिन को रात कहे या रात को दिन सर्किट को अपने दोस्त मुन्ना के अलावा कुछ दिखाई नही देता. मुन्नाभाई सीरीज में अरशद वारसी ने सर्किट का रोल निभाया था और संजय दत्त ने मुन्ना का. सर्किट मुन्ना को दोस्त नहीं बल्कि बड़े भाई की तरह मानता है और उसका सम्मान करता है. पर्दे पर जब मुन्ना को कोई भी चीज चाहिए होती है तो वो सर्किट को फोन लगाता है. फ़िल्म के एक सीन में मुन्ना सर्किट को थप्पड़ लगा देता है, लेकिन माफी भी मांग लेता है और सर्किट भी उसे फौरन माफ कर देता है.
संजय दत्त की खुद की कहानी में भी दोस्ती का जिक्र है फिल्म संजू में संजय दत्त के किरदार को रणवीर कपूर ने जिया है और उनके दोस्त कमलेश के रोल में विक्की कौशल नजर आए हैं. कमलेश संजू का एक ऐसा दोस्त रहता है जो उसके दिल के दर्द और दिमाग के पागलपन को बखूबी समझता है. संजू उसकी गर्लफ्रैंड को लेकर उसे धोखा भी देता है, लेकिन कमलेश उसे माफ कर देता है और सबसे मुश्किल दौर में उसके साथ खड़ा रहता है.
कबीर सिंह मौजूदा जनरेशन को लुभाने वाली मूवी है. इस मूवी में कबीर यानि शाहिद कपूर के दोस्त शिवा का किरदार निभाया है सोहम मजूमदार ने. कबीर सिंह के बचपन का दोस्त शिवा है. शिवा, कबीर को ना केवल डांटता फटकारता है बल्कि उसका ख्याल भी रखता है. दोनों के बीच दोस्ती इतनी गहरी है कि कबीर क्यों परेशान है उसका दिल क्यों दुख रहा है उसे किस चीज से खुशी मिलेगी ये सब शिवा को मालूम है. शिवा दोस्ती का वो किरदार है जो मेड को समझाने से लेकर प्रीति को कबीर के प्यार की सफाई देने तक हर मुश्किल में हाजिर रहता है. ऐसा दोस्त किस्मत वालों को ही मिलता है.
दोस्ती सदाबहार विषय है तभी तो वेब सीरीज के मौजूदा दौर में भी दोस्ती को जगह मिलती है. 'द फैमिली मैन' में श्रीकांत यानि मनोज बाजपेयी और शारिब हाशमी यानि जेके बहुत अच्छे दोस्त हैं. श्रीकांत किसी भी तरह की मुसीबत में हो चाहे नौकरी या फिर निजी, जेके अपनी जान देने के लिए हाजिर रहता है. जब श्रीकांत के मन में घर को लेकर उथल पुथल चल रही होती है तो जेके ही उसके दिल का हाल जानता है. दौर कोई रहा हो दोस्ती जिंदाबाद रही है, फिर या तो वो पर्दे पर हो या पर्दे के इतर.