आलोचना के स्तर

भारत जोड़ो यात्रा पर भाजपा के एक बड़े नेता ने तंज कसते हुए कहा कि विदेशी टी-शर्ट में भारत जोड़ने निकले राहुल गांधी… कांग्रेस सिर्फ खोखले वादे कर सकती है। ऊंचे स्तर के नेता से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की जाती है।

Update: 2022-09-14 05:37 GMT

Written by जनसत्ता; भारत जोड़ो यात्रा पर भाजपा के एक बड़े नेता ने तंज कसते हुए कहा कि विदेशी टी-शर्ट में भारत जोड़ने निकले राहुल गांधी… कांग्रेस सिर्फ खोखले वादे कर सकती है। ऊंचे स्तर के नेता से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की जाती है। जब शीर्ष स्तर के नेतओं की ओर से विदेशी टी-शर्ट जैसा तंज किया जाएगा तो एक आम नेता/ कार्यकर्ता से अच्छी श्रेणी की प्रतिक्रिया की अपेक्षा नहीं की जा सकती।

एक राष्ट्रीय पार्टी की ओर से इस तरह निम्न स्तर की प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं की जाती है। सवाल है कि खोखले वादे कौन नहीं कर रहा है! याद किया जा सकता है कि 2014 के पहले चाहे 15 लाख रुपए खातों में डालने, काले धन को लाने, खूब हुई महंगाई की मार, हर वर्ष एक या दो करोड़ नौकरियां और न जाने क्या-क्या वादे किए गए और अच्छे दिन की उम्मीद जगाई गई। लेकिन आज महंगाई, बेरोजगारी पूरे उफान पर है, आम आदमी परेशान है, सांप्रदायिक सद्भाव तार-तार है। क्या यह मान लिया जाए कि पिछले आठ वर्ष में देश में अच्छे दिन आ गए? आलोचना होनी चाहिए, लेकिन निम्न स्तर की नहीं।

अनियमित डिजिटल ऋण देने वाले ऐप के वसूली एजेंटों द्वारा उत्पीड़न के कारण कई भारतीयों ने अपना जीवन समाप्त कर लिया है, यह खबर परेशान करने वाली है। इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि इन घटनाओं के सामने आने के बाद केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जो सक्रियता दिखाई देनी चाहिए थी, वैसी नहीं दिखी। यह छिपा नहीं है कि ऋण देने वाली संस्थाएं पहले तो जबरन या अपने प्रस्तावों का आकर्षण परोस कर लोगों को कर्ज के जाल में फंसा देती हैं, लेकिन बाद में वसूली करते हुए वे आपराधिक रास्ते भी अख्तियार करती हैं।

सवाल है कि ऋण देने वाले ये ऐप संगठित रूप से जब काम करते हैं तो उन्हें ऐसा व्यवसाय करने की आधिकारिक इजाजत कौन देता है? क्या यह इजाजत देने वालों की जिम्मेदारी तय नहीं की जानी चाहिए? यह आम लोगों की समस्याओं के प्रति सरकार की संवेदनहीनता को भी दर्शाता है। यह आवश्यक है कि सरकार इन ऐप संचालकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे और उन लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करे जो आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।

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