सवाल यह है कि आज जो हो रहा है वो पहले क्यों नहीं हुआ. क्यों पूर्वी यूपी के इन भयंकर गरीबी और पिछड़े इलाकों में विकास की रोशनी पहुंचने में इतना समय लग गया? क्यों यहां के युवा आजादी के बाद भी मुंबई, सूरत और झरिया रोजी-रोटी कमाने के लिए जाते रहे. दुनिया को ज्ञान की रोशनी देने वाले महापुरुषों के घर पर अंधेरे को मिटाने के लिए क्यों सरकारें सोती रहीं. इस सवाल का जवाब बार-बार मांगा जाता रहा है. अगर हम अब भी चेत जाते हैं और इन इलाकों में सुविधाओं का विस्तार करते हैं तो दुनिया भर के पर्यटकों (हर साल करीब 17 लाख) के साथ भारतीय पर्यटक भी इस ओर आने के लिए लालायित होंगे.
1-देश के सबसे पिछड़े और गरीब जगहों में से एक है कुशीनगर
आमदनी या कमाई को आधार पर देखा जाए तो यह जिला उत्तर प्रदेश के सबसे गरीब जिलों में से एक है. भारत के प्रति व्यक्ति आय की तुलना में यहां की आय करीब एक तिहाई कम है. आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 के दौरान कुशीनगर की प्रति व्यक्ति DDP 27,229.23 रुपए है. ये उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति GSDP 44,618.26 रुपए से काफी कम है. वहीं भारत की प्रति व्यक्ति GDP (94,566) से तुलना करें तो कुशीनगर की DDP एक तिहाई ही है. मौजूदा दरों की बात करें तो कुशीनगर की प्रति व्यक्ति 2019-20 के प्रति व्यक्ति DDP के हिसाब से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में कुशीनगर 61 स्थान पर रहा था.
ये गरीबी ही प्रमुख कारण रहा कि यहां से रोजगार के लिए युवाओं का विस्थापन होता रहा है. जब कि आस-पास के तमाम धार्मिक और आध्यात्मिक स्थलों का विकास हुआ होता तो तस्वीर कुछ और होती. कुशीनगर में अतंरराष्ट्रीय एयरपोर्ट अब तक नहीं था, ट्रेनों की कनेक्टिविटी भी कुछ खास नहीं कही जा सकती . देशभर में फोरलेन बनने के पहले यहां आना सड़क मार्ग से भी दुरुह था. इसके बावजूद जिस जगह पर पिछले 5 सालों में करीब 43 लाख विदेशी टूरिस्ट आएं हैं , जबकि देश के अन्य हिस्सों से आने वाले पर्यटकों की संख्या नगण्य रही है. इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलप होते ही तस्वीर बदल सकती है. गुजरात -राजस्थान और दक्षिण भारत की तरह देसी पर्यटकों का रुख भारत की ओर मोड़ना आसान हो सकेगा.
2-गेमचेंजर साबित हो सकता है कुशीनगर एयरपोर्ट
कुशीनगर बुद्धिष्ट पर्यटकों के लिए दुनिया का एक पवित्र तीर्थ स्थल है. यही वजह है कि तमाम देशों से बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग भारी संख्या में कुशीनगर आते रहते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों में 18 देशों से 42.17 लाख टूरिस्ट कुशीनगर आए हैं. इसलिए भविष्य में कुशीनगर एयरपोर्ट बनने से जापान, ताइवान, चीन, श्रीलंका, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, वियतनाम और सिंगापुर जैसे देशों के पर्यटक सीधे वहां से फ्लाइट लेकर कुशीनगर पहुंच सकेंगे. दरअसल इन देशों से आने वाले पर्यटक बुद्धिस्ट सर्किट की यात्रा पूरी करते हैं. ऐसे में कुशीनगर एयरपोर्ट बनने से यहां आने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आसानी से बौद्ध सर्किट के तहत लुंबिनी, बोधगया, सारनाथ, श्रावस्ती, राजगीर, संकिसा और वैशाली पहुंच सकते हैं. जानकार मानते हैं कि कुशीनगर में एयरपोर्ट बनने से इस इलाके के पर्यटन उद्योग में भी लगभग 20 फ़ीसदी की बढ़ोतरी होगी. गोरखपुर शहर के वरिष्ठ पत्रकार जगदीश लाल श्रीवास्तव कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ और वीरबहादुर सिंह जी ने ही सही मायने में समझा इस क्षेत्र का दर्द और सही मायने में जनता के हित के लिए कार्य हुए. उन्होंने बरसों से बंद पड़े खाद कारखाने को शुरू कराने के लिए उठाए गए कदमों के लिए भी वर्तमान सरकार की सराहना की.
3-पाकिस्तान के भी पर्यटन स्थलों का विकास हमसे बेहतर
चंडीगढ़ से कुछ पत्रकारों का दल लाहौर गया था. उनकी वापसी पर मैंने उनसे पूछा कि लाहौर में ऐसी क्या चीज देखी जो इंडिया से अलग आप को दिखी. आज से करीब 20 साल पहले लाहौर के लाल किले के सामने की गलियों को इतनी खूबसूरती से संवारा गया था कि उन्हें टर्की का फील आ रहा था. उन लोगों ने जब दिल्ली के सामने लाल किले की तस्वीर से उसकी तुलना की तो मन दुखी हो गया था. अभी दिल्ली के सामने लाल किले की स्थित बहुत सुधर गई है. ये भी कमाल तब हुआ था जब जगमोहन केंद्र में शहरी विकास मंत्रालय के प्रमुख बने थे. उसके पहले लाल किले को जिन लोगों ने देखा होगा उन्हें उसकी दुर्दशा का पता होगा. यहां हम पाकिस्तान से इसलिए तुलना कर रहे हैं कि क्योंकि अगर हम यूरोप और अमेरिका से तुलना भारत की कर नहीं सकते. दरअसल जिन लोगों ने श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों में विजिट किया होगा वो जानते होंगे कि आजादी के बाद हमारे देश में पर्यटन को कभी रोजी-रोटी से जोड़ने का काम ही नहीं हुआ.
4-10 सालों में चीन और अमेरिका भी पीछे होंगे एविएशन में भारत से
कुशीनगर में एयरपोर्ट बनने के बाद हर साल 20 परसेंट विदेशी पर्यटकों के बढ़ने की उम्मीद की गई है. यानी करीब 9 से 10 लाख के करीब विदेशी पर्यटक बढ़ सकते हैं. इसके साथ ही नेपाल, पूर्वी यूपी के अन्य जिलों और बिहार के लिए भी कनेक्टिविटी बढ़ेगी. इससे उम्मीद की जा रही है कि एविएशन इंडस्ट्री के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है. आईबीईएफ की इंडियन एयरपोर्ट एनालिसिस रिपोर्ट बताती है कि साल 2024 तक भारत का एविएशन मार्केट दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मार्केट बन जाएगा. जबकि इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट दावा करती है कि साल 2030 तक भारत, चाइना और अमेरिका जैसे बड़े देशों से भी एविएशन मार्केट में आगे निकल जाएगा. फिलहाल भारत 16 बिलियन डॉलर मार्केट साइज के हिसाब से दुनिया का 10वां सबसे बड़ा सिविल एविएशन मार्केट है.
मॉर्गन स्टेनली की रिसर्च रिपोर्ट दावा करती है कि भारत की एविएशन इंडस्ट्री कोरोना महामारी के प्रकोप से लगभग 80 फ़ीसदी बाहर निकल चुकी है. यानि कि कोरोना महामारी के दौरान साल 2020 में जो इस इंडस्ट्री को नुकसान हुआ था, उस नुकसान की 80 फ़ीसदी भरपाई की जा चुकी है. यही नहीं अक्टूबर 2021 और दिसंबर 2021 के बीच लगभग 92 मिलियन लोग भारतीय हवाई जहाजों से यात्रा करने को तैयार हैं.