केरल और महाराष्ट्र हैं सुपर स्प्रेडर, जिसकी वजह से आ सकती है तीसरी लहर

देश में कुल कोविड एक्टिव मामलों का 60 फीसदी हिस्सा इस वक्त केरलऔर महाराष्ट्र में दर्ज हो रहा है.

Update: 2021-07-13 09:21 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क|  पंकज कुमार| देश में कुल कोविड (Covid) एक्टिव मामलों का 60 फीसदी हिस्सा इस वक्त केरल (Kerala) और महाराष्ट्र (Maharashtra) में दर्ज हो रहा है. दूसरी लहर से पहले भी केरल और महाराष्ट्र में कोविड के मामले आसमान छू रहे थे और बाकी राज्यों में कोविड का ग्राफ बेस लाइन छूने लगा था. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि देश को तीसरी लहर (Third Wave) में धकेलने का कारक एक बार फिर ये दो राज्य बन सकते हैं, क्योंकि दूसरी लहर से पहले भी इन राज्यों की स्थितियां ठीक ऐसी ही थीं.

अपने बेहतरीन हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जाना जाने वाला राज्य केरल, कोविड महामारी से लड़ने में पिछड़ता नजर आ रहा है. पिछले दस दिनों से केरल देश का इकलौता राज्य बना हुआ है जहां कोरोना के मामले रोजाना दस हजार के आसपास दर्ज हो रहे हैं. केरल की स्थितियों में सुधार के मद्देनजर केन्द्र सरकार ने केरल में पांच सदस्यों की टीम भेजी है.
महाराष्ट्र और केरल की स्थिति डर क्यों पैदा कर रही है
महाराष्ट्र और केरल की स्थिति फिलहाल चिंताजनक बनी हुई है. देश के बाकी राज्यों की तुलना में इन राज्यों की स्थितियां कहीं ज्यादा खराब हैं. वर्तमान समय में केरल के आंकड़े, केरल में दूसरी लहर के पीक के दरमियान दर्ज होने वाले केसेज की संख्या की एक तिहाई हैं. कोविड से हुई मौतों को लेकर केरल सरकार की खूब किरकिरी हुई है. दूसरी लहर के दरमियान 404 मौतों से बढ़कर आंकड़ा मई महीने में 10 हजार को पार कर गया था. एक आरटीआई रिपोर्ट के मुताबित दूसरी लहर में मौतों में इजाफा तीन महीने में 2500 फीसदी हुआ है. हालांकि राज्य का स्वास्थ्य विभाग इस दरमियान यानि कि मार्च से मई महीने के बीच महज 4500 मौतें ही बताता रहा है.
केरल में दूसरी लहर से छुटकारा अन्य राज्यों की तरह नहीं मिल पा रहा है
पिछले कई सप्ताह से यहां 13 हजार केसेज रोजाना रजिस्टर हो रहे हैं जो देश के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. राज्य की स्थितियों की भयावहता इस बात से आंकी जा सकती है कि राज्य में पॉजिटिविटी रेशियो दस फीसदी से ज्यादा सामने रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक किसी भी राज्य की स्थिती कंट्रोल में तब मानी जाती है जब वहां का पॉजिटिव रेशियो पांच फीसदी से कम होता है.
संक्रमण दर कम नहीं होना है खतरे का सूचक
इतना ही नहीं केरल का आर (R) वैल्यू भी 1.1 देखा जा रहा है, जो कभी भी संक्रमण के खतरे को कई गुणा बढ़ा सकता है. दरअसल आर वैल्यू का मतलब वैरोसिटी यानि कि संक्रमण दर होता है और एक से ज्यादा होने पर खतरे के निशान से ऊपर माना जाता है. देश में R वैल्यू, मार्च 9 से लेकर 21 अप्रैल के बीच 1.37 था. 6 मई को भारत में कोविड पीक पर था और एक दिन में 4 लाख 14 हजार केस रजिस्टर हुए थे.
महाराष्ट्र की स्थिति भी देश में कहर ढाने के लिए काफी
दूसरे राज्य महाराष्ट्र की स्थिति भी लगातार खराब बनी हुई है. पहली और दूसरी लहर के दरमियान देश के कुल कोविड संक्रमित लोगों में इसका योगदान सबसे ज्यादा रहा है. इस वक्त महाराष्ट्र का आर (R) वैल्यू 1 के आसपास है और इसके बढ़ने से हालात बिगड़ने का अंदेशा होने लगता है. ज़ाहिर है बढ़ रहा आर वैल्यू कोविड के संक्रमण दर घटने की रफ्तार कमी का सूचक है. आपको बता दें, बेस लाइन से ऊपर रहने पर हालात कभी भी नियंत्रण से बाहर जा सकते हैं, इसका अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है. कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. वी के पॉल के मुताबिक बेस लाइन को छूने में हम अभी तक कामयाब नहीं हो पाए हैं. बेस लाइन का मतलब दस हजार से कम केसेज होते हैं और ये हालात लगातार तीन सप्ताह तक बने रहना जरूरी होता है. डॉ. पॉल के मुताबिक 35 हजार से ज्यादा कोविड केसेज की संख्या बेस लाइन से कहीं ज्यादा है. इसलिए इसको लेकर थोड़ा भी कैजुअल अप्रोच घातक हो सकता है.
केरल और महाराष्ट्र के आंकड़े क्या बन सकते हैं तीसरी लहर की वजह?
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक केरल और महाराष्ट्र में रजिस्टर हो रहे एक्टिव केसेज देश में कुल केसेज का 60 फीसदी हैं. ज़ाहिर है वर्तमान हालात इन दो राज्यों में ठीक वैसे ही हैं जैसे देश में पहली लहर के बाद और दूसरी लहर से पहले की थी. डॉ. वी के पॉल के मुताबिक बेस लाइन पर पहुंचने के लिए आंकड़ा दस हजार के आसपास हो और आंकड़ा लगातार तीन सप्ताह तक बरकरार रहे. लेकिन बीस हजार से ज्यादा केसेज केरल और महाराष्ट्र में रजिस्टर होने का मतलब इन दो राज्यों की वजह से देश में फिर से तबाही मच सकने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है.


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