कश्मीर का राग

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल में बेजिंग यात्रा के दौरान एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा। इमरान खान बेजिंग में चल रहे शीतकालीन ओलंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेने गए थे।

Update: 2022-02-09 03:18 GMT

Written by जनसत्ता: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल में बेजिंग यात्रा के दौरान एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा। इमरान खान बेजिंग में चल रहे शीतकालीन ओलंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेने गए थे। पर इस मौके पर भी वे कश्मीर मुद्दे को भुनाने और सहानुभूति जुटाने से बाज नहीं आए। इसमें कोई शक नहीं कि उनका कश्मीर राग भारत के खिलाफ मुहिम का हिस्सा ही है। चाहे अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात हो, संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधन का अवसर हो या मुसलिम देशों के महासम्मेलन हों या अन्य कोई वैश्विक सम्मेलन, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों से कश्मीर का मुद्दा उठा कर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करता रहता है।

हालांकि इससे उसे आज तककहीं कोई उल्लेखनीय कामयाबी या समर्थन जैसा कुछ हासिल हुआ हो, याद नहीं पड़ता। बस तुर्की, मलेशिया जैसे चंद देश उसके साथ खड़े दिखते हैं और वह भी सिर्फ इसीलिए कि ये देश खुद इस्लामिक देशों के संगठन की अगुआई करने की महत्त्वाकांक्षा रखते हैं। इसलिए अगर पाकिस्तान दुनिया में घूम-घूम कर कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ मुहिम चलाता भी रहता है तो इससे उसके इरादों का ही पता चलता है।

बेजिंग में इमरान खान ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात की। उसी वार्ता में कश्मीर का मुद्दा उठा। चीन का कहना है कि कश्मीर को लेकर किसी देश को एकतरफा कदम नहीं उठाना चाहिए। साथ ही उसने दोनों देशों को शांतिपूर्ण तरीके से विवाद निपटाने की सलाह दे डाली। पर चीन ने जरा चतुराई भी बरती। भारत के साथ चल रही तनातनी को देखते हुए उसने ऐसा कोई बयान नहीं दिया जिससे यह संदेश जाए कि कश्मीर मुद्दे पर वह खुल कर भारत का विरोध और पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है।

लेकिन वार्ता के बाद दोनों नेताओं ने जो साझा बयान जारी किया, वह चिंताजनक है। इस बयान में दोनों नेताओं ने चीन-पाक गलियारे का काम तेज करने पर जोर दिया है। चीन की साजिश इसी में छिपी है। गौरतलब है कि साझा बयान में जिस चीन-पाक गलियारे का जिक्र किया गया है, वह गलियारा उन इलाकों से होकर ही गुजरता है जिस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है। ऐसे में साझा बयान का स्पष्ट अर्थ यही निकलता है कि चीन पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके में उन गतिविधियों को समर्थन और मदद दे रहा है जो भारत की नजर में गैरकानूनी हैं और भारत को किसी भी कीमत पर मान्य नहीं होंगी।

गौरतलब है कि इसी मौके पर रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भी चीन गए थे। चीन की कोशिश थी कि कश्मीर के मुद्दे रूस भी कुछ बोले। महत्त्वपूर्ण यह भी है कि इमरान खान इसी महीने रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं। लंबे समय बाद पाकिस्तान के किसी प्रधानमंत्री की यह रूस यात्रा होगी। उन्हें लग रहा है कि कश्मीर मसले पर पुतिन उन्हें समर्थन दे सकते हैं। चीन भी यह चाह रहा है कि कश्मीर पर रूस पाकिस्तान का साथ दे। लेकिन रूस हमेशा से कहता रहा है कि कश्मीर को लेकर उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। कश्मीर भारत और पाकिस्तान का आपसी मसला है और इसे दोनों देशों को ही हल करना चाहिए। यही बात दुनिया के ज्यादातर देश कहते रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान को समझना होगा कि हर जगह जाकर बिना अवसर के भी कश्मीर का रोना रोते रहने से उसे कुछ हासिल नहीं होने वाला।


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