कांग्रेस को झटका

आखिर गोवा में कांग्रेस की फूट सामने आ ही गई। बुधवार को प्रदेश विधानसभा में इसके कुल 11 में से आठ विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। ऐसे समय जब पार्टी राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है औ

Update: 2022-09-15 02:15 GMT

नवभारत टाइम्स: आखिर गोवा में कांग्रेस की फूट सामने आ ही गई। बुधवार को प्रदेश विधानसभा में इसके कुल 11 में से आठ विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। ऐसे समय जब पार्टी राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है और देश भर में इसके पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रही है, बीजेपी की ओर से दिया गया यह झटका पार्टी की बहुप्रचारित यात्रा की भी हवा निकालने की कोशिश है। पार्टी छोड़ने वाले विधायकों में से एक ने बीजेपी में शामिल होने की औपचारिक घोषणा के बाद कहा भी कि 'यह कांग्रेस छोड़ो और बीजेपी को जोड़ो है'।

बहरहाल, कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के प्रभावों पर इसका कैसा और कितना असर होता है यह देखने वाली बात होगी, लेकिन इसमें दो राय नहीं कि गोवा में कांग्रेस के लिए इस झटके से उबरना बहुत मुश्किल होगा। पिछले जुलाई में कांग्रेस ने खुद आरोप लगाया था कि बीजेपी उसके आठ विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है। तब इस प्रयास को उसने नाकाम कर दिया था। लेकिन उसके बाद भी पार्टी नेतृत्व ऐसे संभावित प्रयासों को लेकर सतर्क नहीं हुआ या फिर चाहकर भी वह विधायक दल को टूटने से नहीं बचा सका। दोनों स्थितियों में उसे असुविधाजनक सवालों का सामना करना ही होगा।

ध्यान रहे, 2019 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुने गए 10 विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। उसका विधानसभा के अंदर तत्कालीन समीकरण पर और सरकार की मजबूती पर जो असर हुआ वह तो अलग, इस साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी की विश्वसनीयता पर भी गहरा प्रभाव पड़ा। चुनाव प्रचार के दौरान विरोधियों की ओर से कही जा रही यह बात लोगों को अपील कर रही थी कि कांग्रेस को चुनकर भी कोई फायदा नहीं है, उसके विधायक तो बाद में कहीं और चले जाएंगे। नौबत यहां तक आई कि कांग्रेस नेतृत्व ने अपने प्रत्याशियों को बाकायदा सार्वजनिक तौर पर शपथ दिलवाई कि वे चुनाव के बाद भी पार्टी के प्रति निष्ठा बनाए रखेंगे। वह शपथ भी अब निरर्थक साबित हो गई।

बीजेपी को तात्कालिक तौर पर ताजा दलबदल से फायदा जरूर हुआ है। राज्य में उसकी सरकार अपने दम पर पूर्ण बहुमत में आ गई है। 40 सदस्यीय विधानसभा में अब तक उसके 20 सदस्य थे। हालांकि महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (दो) और निर्दलीय (तीन) विधायकों के समर्थन की बदौलत सरकार मजे में चल रही थी, लेकिन अब इस मोर्चे पर वह और निश्चिंत हो सकती है। फिर भी, विपक्षी दलों के विधायकों को येन-केन-प्रकारेण अपनी पार्टी में मिलाने की यह नीति न तो देश में लोकतंत्र का कुछ भला कर रही है और न ही बीजेपी की राजनीति को विश्वसनीयता दे रही है। इससे गठबंधन के सहयोगी दलों में भी संदेह और अविश्वास बढ़ता है।


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