Editorial: निधि के देवर की शादी थी। भागदौड़ करके वह सब रिश्तेदारों की आवभगत में लगी हुई थी। उसकी सासू मां थी नहीं ।घर में सिर्फ उसके ससुर पति और देवर ही थे। सब लोग निधि को बहुत मानते थे। और उसे अपनी पलकों पर बिठा कर रखते थे। निधि भी सब का बहुत मान- सम्मान करती थी।
शादी से महीने भर पहले उसकी बुआ सास आ गई थी ताकि निधि को सारे रीति -रिवाज समझा सके। और निधि भी पूरे दिल से सारे रिवाज निभा रही थी। वह शादी के सब कामों के साथ-साथ अपनी 3 साल की बेटी रूही को भी संभाल रही थी । बुआ सास तो उसकी प्रशंसा करते नहीं थकती थी। गोरा रंग ,ब ड़ी -बड़ी आंखें और लंबे लहराते बाल सबको एक नजर में ही भा जाती थी ।
निधि को अपने पास बुला कर बुआ जी बोली ,"निधि बहू ! तुम पर तो पूरा विश्वास है मुझे। तुमने अच्छे से घर को संभाल लिया है । अब देखो दूसरी बहुरिया कैसी आती है.. वह सब से मिलकर चलती है कि नहीं.."
"आप चिंता ना करें बुआ जी!शालू बहुत प्यारी है।और उसका व्यवहार भी बहुत अच्छा है।वो सबसे मिलकर ही चलेगी" निधि ने जवाब दिया
धीरे-धीरे सब रिश्तेदार आ गए और खूब धूमधाम से निधि के देवर अनुज की शादी हो गई। और शालू बहू बनकर घर में आ गई।
लेकिन शालू ने देखा कि घर में हर कोई सिर्फ निधि निधि की रट लगाए रखता है । सब उसकी तारीफों के पुल बांध रहे थे। यह देखकर शालू को थोड़ा अच्छा नहीं लगा।
कुछ दिन बाद एक-एक करके सब रिश्तेदार वापस लौट गए। अब घर पहले की तरह चलने लगा। निधि के ससुर जी, उसका पति प्रतीक, और देवर अनुज सुबह सुबह ऑफिस चले जाते। अब घर में सिर्फ निधि और शालू ही रहते।निधि अपनी देवरानी शालू को अपने घर के तौर -तरीके समझाती। और सबकी पसंद और नापसंद के बारे में बताती। शालू को भी अपनी जेठानी से बात करके अच्छा लगता । दोनों घंटों बातें करती रहती।लेकिन जब शाम को सब लोग घर आते, तो सबकी जुबान पर सिर्फ निधि का नाम होता। ये देखकर शालू को निधि से थोड़ी ईर्ष्या होने लगी। लेकिन इन सबके बीच निधि की बेटी रूही अपनी चाची से काफी घुलमिल गई थी। पूरा दिन वह अपनी चाची के साथ खेलती रहती थी । और शालू भी उसको बहुत प्यार करती थी।
फिर एक दिन शालू ने घर में सब को खुशखबरी दी। इस दौरान निधि ने उसका खूब अच्छे से ख्याल रखा। और नियत समय पर शालू ने एक प्यारी- सी बेटी को जन्म दिया । घर में सब बहुत खुश थे। नन्ही परी का सबने खूब धूमधाम से स्वागत किया। शालू भी ऐसा परिवार पाकर खुद को खुशकिस्मत समझ रही थी।
अब धीरे-धीरे शालू की बेटी भी 2 साल की होने को आई थी। घर की दोनों बच्चियां साथ साथ खेलती और साथ-साथ खाती। ऐसे ही समय बीत रहा था कि एक दिन निधि चक्कर खाकर गिर पड़ी। डॉक्टर को बुलाया गया , तो पता चला कि निधि गर्भवती है। घर पर सब बहुत खुश ह थे। अब शालू की बारी थी अपनी जेठानी निधि का ख्याल रखने की। लेकिन पता नहीं क्यों शालू निधि के लिए कुछ भी करने से कतराती थी क्योंकि उसके मन में अपनी जेठानी के लिए जलन धीरे-धीरे बढ़ने लगी थी । निधि हर तरह से उसे अपने आगे ही दिखती थी ,चाहे रूप रंग हो व्यवहार हो।
फिर एक दिन शालू की बड़ी बहन उससे मिलने उसके ससुराल आती है । दोनों बहने कमरे में बैठकर बातें कर रही थी। निधि भी उनके साथ ही बैठी थी लेकिन किसी काम से निधि को बाहर जाना पड़ा। शाम को सबके घर वापस आने के बाद सबके मुंह पर निधि का नाम सुनकर शालू की बहन को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।
उसने कहा,"शालू तुम्हारी शादी को चार बरस हो गए लेकिन अभी तक तुम इस परिवार में अपनी जगह नहीं बना पाई । जिसको देखो निधि निधि की रट लगाए रखता है। क्या तुम्हें अच्छा लगता है यह सब.."
"नहीं दीदी! सच बोलूं तो मुझसे यह सब बिल्कुल सहन नहीं होता। मुझे निधि भाभी से जलन होने लगी है। मैं देखती हूं बिना मेकअप के भी वह बहुत सुंदर दिखती है.... और हर कोई सिर्फ उन्हें ही प्यार करता है.. मेरा नाम तो कोई लेता भी नहीं है।
""सही कहा शालू , मैं भी यह सब देख रही हूं तुम्हें कुछ करना चाहिए""
""हां दीदी! और अब एक और चिंता मुझे यह हो रही है कि अगर निधि भाभी ने अबकी बार बेटे को जन्म दे दिया तो घर में उनकी अहमियत और बढ़ जाएगी। और मेरी रही सही अहमियत भी खत्म हो जाएगी ।निधि भाभी जब हंसते मुस्कुराते बात करती हैं तो मैं अंदर तक जल भुन जाती हूं। मैं क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा...""
""कुछ नहीं तुम सिर्फ इतना करो कि सब के मुंह पर निधि की जगह तुम्हारा नाम "" शालू की बहन ने सुझाव दिया
शालू को सलाह देकर उसकी दीदी वापस लौट गई।अब शालू ने धीरे-धीरे निधि से बात करना बंद कर दिया ।निधि ने वजह जानी चाही,
तभी शालू कहने लगी ,"मेरा मन नहीं होता आप से बात करने का। इस घर में सिर्फ आपकी ही चलती है। मेरी कोई जगह ही नहीं है। और ना ही आपने मुझे वह जगह बनानी दी"
यह सुनकर निधि हैरान रह गई। उसे नहीं पता था कि उसकी देवरानी के दिल में उसके लिए इतना कुछ भरा है। फिर भी वह चुप रही। सोचा समय के साथ सब ठीक हो जाएगालेकिन अब तो बात -बात पर शालू अपनी जेठानी को उल्टी-सीधी बातें सुनाने लगी। धीरे-धीरे उसने उसकी बेटी रूही को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया । अपनी बेटी को रूही से अलग रखने लगी । निधि को यह सब बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था लेकिन घर की सुख शांति के लिए वह चुप ही रही।
धीरे-धीरे शालू की हिम्मत और बढ़ती गई। निधि यह सब बातें घर में किसी को नहीं बताती थी और इसी का फायदा शालू ने उठाया।लेकिन अब दिन रात शालू को इस बात की टेंशन होने लगी कि कहीं निधि बेटे को जन्म ना दे। और उसकी जलन ने नफरत का रूप ले लिया। और इसी नफरत के चलते एक दिन उसने निधि को गिराने का फैसला किया ताकि उसका बच्चा गिर जाए। निधि इन सब बातों से अनजान थी।
एक दिन शालू कोई सीरियल देख रही थी और उसके मन में एक विचार आया। जैसे ही उसकी जेठानी निधि नहा कर बाथरूम से बाहर निकलने वाली थी उसने बाथरूम के बाहर थोड़ा सा तेल गिरा दिया ताकि निधि गिर जाए।यह सब करते समय भी उसके मन में एक बार भी अपनी जेठानी की अच्छाइयां नहीं आई।और ना ही वह समय याद किया जब उसकी गर्भावस्था के दौरान उसकी जेठानी ने उसका कितना ख्याल रखा था।उसके दिल में तो सिर्फ नफरत ही नफरत भरी थी।
जैसे ही निधि नहा कर बाहर निकलने लगी उसी दौरान उसके पति का उधर से गुजरना हुआ। निधि गिरने ही वाली थी कि उसके पति प्रतीक ने उसे संभाल लिया। लेकिन फिर भी निधि को झटका लगा और वह दर्द से चिल्लाने लगी । प्रतीक उसको लेकर तुरंत हॉस्पिटल में भागा। डॉक्टर को आनन-फानन में निधि का ऑपरेशन करना पड़ा क्योंकि उसके बच्चे की जान खतरे में आ गई थी। घंटों की मशक्कत के बाद निधि ने एक बेटे को जन्म दिया । घर पर सब बहुत खुश हुए। निधि भी बहुत खुश थी। लेकिन अभी उसके दिल और दिमाग में कुछ और ही बात चल रही थी। 2 दिन बाद वह अपने बेटे को घर लेकर आई।
जैसे ही शालू उसके पास आई निधि ने कहा,"शालू ! मैंने तुम्हें अपनी छोटी बहन की तरह समझा । पर मुझे नहीं पता था कि तुम्हारे मन में मेरे लिए इतनी ईर्ष्या भरी है.... तुम्हें मुझसे इतनी नफरत हो गई कि तुमने मेरे बच्चे को गिराने की साजिश रच दी..."
"नहीं भाभी !आपको गलतफहमी हुई है। मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया "शालू ने नजरें चुराते हुए कहा
"तुमने जब बाथरूम के बाहर तेल बिखेरा था और उसके ऊपर जब मैं फिसली थी,तो तुम वही दरवाजे की साइड में खड़ी थी... गिरते-गिरते मैंने तुम्हारे चेहरे की वह कुटिल मुस्कान देख ली थी...तुम्हारे मन में नफरत इस कदर भर गई कि तुम एक नन्ही सी जान को मारने पर तुल आई। अपनी ईर्ष्या और जलन की वजह से तुम बहुत नीचे गिर गई शालू...."अब तक मैं सब सहन कर रही थी। सोचा था कि तुम सुधर जाओगी...में इस घर के हिस्से नहीं होने देना चाहती थी....लेकिन अब मुझे लगता है कि ऐसे रिश्तों से दूर हो जाना ही बेहतर है...जहां पर लोग अपने स्वार्थ और जलन के चलते एक - दूसरे को नुकसान पहुंचाए। तुम अपनी नफरत में इतनी अंधी हो गई की तुमने सब कुछ भुला दिया। अब हमारा साथ रहने का कोई मतलब नहीं है।बेहतर होगा के हम सब दूर दूर रहें..""
"भाभी मुझे माफ़ कर दो...मुझसे गलती हो गई...आगे से ऐसा कुछ भी नहीं होगा..."शालू ने कहा
"गलती नहीं तुमने पाप किया है...एक अजन्मे बच्चे को मारने का प्रयास किया है.. मैं तुम्हे कभी माफ नहीं करूंगी।"
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट