खूब मनाई जन्माष्टमी, अब बारी हैं ...

यद्यपि राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन की पाबंदियां खत्म हो चुके हैं लेकिन फिर भी चारों तरफ हमें हमारा जीवन चुनौतियों से भरा दिखाई दे रहा है।

Update: 2021-09-01 01:30 GMT

किरण चोपड़ा: यद्यपि राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन की पाबंदियां खत्म हो चुके हैं लेकिन फिर भी चारों तरफ हमें हमारा जीवन चुनौतियों से भरा दिखाई दे रहा है। कोरोना वायरस के चलते हमारे सामने एक ऐसा शत्रु खड़ा है जिसने हमारे जीवन में उथल-पुथल मचा दी है। ऐसा ही अंधकार तो अर्जुन के सामने भी था। उन्हें भी समझ नहीं आ रहा था कि कौन अपना और कौन पराया। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को इस अंधकार से बाहर निकाला और गीता का उपदेश दिया। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि समय सबका विनाश करने में समर्थ है और समय की मार से कोई नहीं बच सकता। इसका दूसरा अर्थ यह है कि समय अभी खराब चल रहा है तो ऐसा हमेशा नहीं रहेगा। समय के साथ यह वायरस भी समाप्त हो जाएगा और इससे जुड़ी परेशानियां और चुनौतियां भी खत्म हो जाएंगी, तो इसलिए हम सबको हताश या निराश होने की जरूरत नहीं है। आज के दौर में और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन हमें भगवान श्रीकृष्ण जी से यह सीख लेनी है कि हमें अपनी ऊर्जा व्यर्थ करने की जरूरत नहीं है और सारा ध्यान उस काम में लगाना चाहिए जिसे करते हुए हम खुद को निखार सकते हैं। जब जरासंध बार-बार युद्ध करने के लिए मथुरा पर आक्रमण करता, उसने मथुरा पर 18 बार आक्रमण किया। तब श्रीकृष्ण ने मथुरा को छोड़ ही दिया और द्वारका में जा बसे। उन्हें रणछोड़ भी कहा गया। इस? तरह उन्होंने अपनी सकारात्मक ऊर्जा को युद्ध में नहीं उलझाया बल्कि अनावश्यक युद्ध से छुटकारा पाने का फैसला किया। कान्हा लिडरशिप क्वालिटी में अव्वल थे। वह उपलब्ध संसाधनों को बर्बाद नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने पांच पांडवों को युद्ध का ऐसा मार्ग दिखाया कि वह सौ कौरवों पर भारी पड़े। यह श्रीकृष्ण की लिडरशिप क्वालिटी ही थी। इस संकटकाल में श्रीकृष्ण के जीवन से यह भी सीख सकते हैं कि हमें हमेशा समाज की मदद करनी चाहिए। उन्होंने द्रौपदी को चीरहरण से बचाया। गांव वालों को कालिया नाग से मुक्ति दिलाई। गरीब सुदामा को गले लगाया। हमें उनसे प्रेरणा लेकर अब यह देखना है कि कोरोना के कारण जो बच्चे अनाथ हो गए हैं उनके जीवन को सहज कैसे बनाया जाए। जिनके घरों में मौतें हुई हैं क्या वह परिवार सही ढंग से जीवन यापन करने की? स्थिति में हैं। अगर नहीं तो हमें उनकी सहायता करनी चाहिए। कोविड-19 के दौर में अगर हम भगवान गोविन्द के मंत्रों को अपनाएं तो हम अंधेरे से बाहर आ सकते हैं। क्योंकि श्रीकृष्ण का एक नाम गोविन्द भी है। आइये कोरोना के दौर में भगवान गोविन्द के मंत्रों को जीवन में उतारें, तो हम सबका जीवन और हमारी सोच हमेशा के लिए बदल जाएगी।वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब और इसके सदस्य कभी किसी से कम नहीं। कोई भी त्यौहार हो यह कभी किसी से भी पीछे नहीं, हमेशा आगे ही रहते हैं। इनका जोश देखने वाला होता है। इस बार तो जन्माष्टमी पर मैं खुद हैरान थी क्या बात थी, सबसे बढिय़ा बात थी हर किसी ने हिस्सा लेने की कोशिश की। अपनी पूजा, भक्ति ईश्वर के प्रति समर्पण दिखाया। किस-किस का नाम लूं कम होगा।अब आज से एक नई प्रतियोगिता शुरू होने वाली है या यूं कह लो 1 अक्तूबर को हम अपने 17 वर्ष पूरे कर 18वें वर्ष में प्रवेश करने वाले हैं तो बहुत बड़ी सेलिब्रिटी बनती है। क्यों न सारे परिवार को शामिल करें। जन्माष्टमी में कई बहू-सास, पोता-पोती, दादा-दादी, नाना-नानी के साथ हिस्सा लिया तो हमारे नए प्रोग्राम का नाम है कल, आज और कल यानी जहां आज हम हैं कल वहां बच्चे होंगे। जहां हमारे बच्चे हैं कल वहां हम थे, तो आज और कल का सिलसिला चलता रहेगा तो जल्दी से आप अपनी 2 मिनट की वीडियो चाहे डांस, एक्टिंग, कोई मैसेज, कविता, गाना, गीत, संगीत देते हुए बनाएं। इसमें 2 जनरेशन या 3 पीढिय़ां भी हिस्सा ले सकती हैं। याद रहे 2 मिनट से ज्यादा न हो, बोरिंग हो जाती है और कोई पूरी भी नहीं देख सकता। अगर आप की 2 मिनट से ज्यादा होगी तो अपलोड करने की कोशिश तो करेंगे परन्तु प्रतियोगिता से बाहर होंगे। जो बैस्ट 10 वीडियो होंगी, उनको 1 अक्तूबर को फंक्शन पर शामिल किया जाएगा। वीडियो 25 सितम्बर तक ही स्वीकार्य होंगी। सभी को पार्टिसीपेशन प्राइज और सर्टिफिकेट दिए जाएंगे। फस्र्ट आने वाली वीडियो का प्राइज निश्चित है। इसमें तीन पीढिय़ां यानी दादा-दादी, बेटा-बहू, बेटी-दामाद और आगे पोते-पोतियां या नातिन हिस्सा ले सकते हैं तो कल, आज और कल या आज और कल दोनों स्वीकार्य हैं।संपादकीय :हमारे पास पंख हैं!रूस-चीन-पाक त्रिकोण में भारततालिबान के 'मीठे' स्वरराजनाथ की पाकिस्तान को चेतावनीसत्य की खोज और चन्द्रचूड'टी' शब्द गायब होने का अर्थचलो आओ लग जाएं इस कार्यक्रम को खूबसूरत बनाने में। आज और कल प्रोग्राम परिवारों को जोड़ेगा, प्यार भरेगा, एक-दूसरे से इंज्वाय करने की आदत डालेगा। बहुओं-बेटियों, पोते-पोतियों को अपने घर में बड़ों की इम्पोर्टेंस और भी समझ लेगी। जब वो देखेंगे कि यह कोई आम लोग नहीं खास लोग वीएनकेसी के हीरो-हिरोइन हैं। जो मैं समझती हूं और वीडियो देखकर जाना है कि सबके बच्चे, पोते-पोतियां, बहुएं, बेटियां बहुत ही अच्छे हैं। आज और कल का सही रूप हैं हमारे सदस्य और उनके बच्चे।

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