जम्मू कश्मीर: आम नागरिकों की हत्या करना आसान, इसलिए आतंकियों ने बदली रणनीति!

जम्मू कश्मीर

Update: 2021-10-08 14:37 GMT

बिहार से कश्मीर रोज़ी-रोटी कमाने आए वीरेंद्र पासवान को आतंकियों ने अपनी गोली का निशाना बनाया. मंगलवार रात घाटी में एक-के-बाद-एक तीन लोगों की हत्या कर दी गई, पासवान के साथ-साथ माखन लाल बिन्द्रू और मो शफी लोन को भी आतंकियों ने गोली मारी. वहीं गुरुवार को एक स्कूल में एक सिख महिला सुपिंदर कौर और एक हिन्दू टीचर दीपक चांद को उनकी अल्पसंख्यक पहचान करने के बाद गोली मारी गई.

हैरान करने वाली बात यह है इन सब हत्याओं में एक हत्या का वीडियो जारी किया गया. आतंकी संगठन ISJK ने वीरेंद्र पासवान की हत्या की जिम्मेदारी ली और रात के अंधेरे में की गई हत्या का वीडियो बनाया गया. वीडियो में वीरेंद्र पासवान अपनी चाट की रेहड़ी को धक्का लगते नजर आ रहे हैं और पीछे से आए आतंकियों ने उन पर गोली चला दी, जिससे पासवान वहीं सड़क पर गिर गए और उनकी आखरी चीख वीडियो में कैद हो गई.
उनकी हत्या के एक दिन के अंदर ISJK ने यह वीडियो जारी किया. सूत्रों ने न्यूज18 इंडिया को बताया कि एक गैर-कश्मीरी की हत्या का वीडियो बनाने से साफ है कि आतंकी कश्मीर में काम कर रहे देश के अन्य हिस्सों से आए लोगों में दहशत फैलाना चाहते हैं.

पहले सुरक्षा बल, अब आम नागरिक निशाना

पिछले कुछ सालों में सीमापार अपने आकाओं के इशारों पर आतंकी सुरक्षा बलों, उनके कॉन्वॉय, मिलिट्री संस्थान पर हमला करते आए हैं. लेकिन अब आतंकी, एक साज़िश के तहत आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं. जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार इस साल कुल 28 आम नागरिकों की हत्या आतंकियों ने की है और इसमें हिंदू और सिख समुदाय के पांच व्यक्ति और दो गैर-कश्मीरी मजदूर शामिल हैं.

कश्मीर के आईजी विजय कुमार ने कहा कि आतंकियों और उनके नेतृत्व के खिलाफ सुरक्षाबलों ने जो कार्रवाई की है उससे सीमा पार उनके आकाओं में बौखलाहट बढ़ गई है. इसीलिए अब आतंकी निहत्थे पुलिस वालों, मासूम आम नागरिकों, राजनेताओं और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाना बना रहे हैं. इन हत्याओं में पिस्तौल का इस्तेमाल किया गया और माना जा रहा है यह हत्याएं आतंक की राह पर जाने वाले स्थानीय युवा कर रहे हैं और कई मामलों में ओवर ग्राउंड वर्कर्स का सीधा हाथ देखा गया है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस को जो सबूत मिले हैं उसके आधार पर कार्रवाई हो रही है और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी

अनुच्छेद 370 को खत्म करने से बौखलाहट?

सूत्र बताते हैं कि अनुच्छेद 370 और 35ए खत्म किए जाने से आतंकी बौखलाए हुए थे, और मोदी सरकार और उप-राज्यपाल मनोज सिंहा द्वारा उठाए गए विकास के कदमों से आतंकी परेशान थे. वहीं कश्मीरी पंडितों की जमीन पर कब्जे के मामलों के निपटारे के लिए भी एक सिस्टम तैयार किया गया. वहीं वादी में बॉलीवुड की वापसी के लिए नई पॉलिसी भी लाई गई. आतंकवाद पर नकेल कसने के लिए कई कदम उठाए गए. ऐसे में एक डर का माहौल पैदा करने की साजिश रची गई, ताकि कश्मीर की बदलती तस्वीर दुनिया के सामने न आए, और फिर से दहशत में कश्मीर को धकेला जा सके.

CCTV से डर लगता है

लश्कर का फ्रंटल आतंकी संगठन TRF पिछले दिनों आम नागरिकों पर हुए हमलों की जिम्मेदारी ले रहा है. स्कूल में टीचरों पर हमले के बाद TRF ने जिम्मेदारी ली. साथ ही स्थानीय लोगों को धमकी दी कि वो अपनी दुकानों और मकानों पर CCTV न लगाएं. पिछले कुछ हमलों के सीसीटीवी रिकॉर्डिंग सामने आई है, जिसके चलते पुलिस आतंकियों की पहचान कर पाई. कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने न्यूज18 इंडिया से कहा कि दुकानों पर सीसीटीवी कैमरे का फायदा दुकान के मालिक और सुरक्षा बलों दोनों को होता है. आने वाले दिनों में अन्य राज्यों की तरह घाटी में भी CCTV लगवाना अनिवार्य होगा. अगर कोई दुकानदार धमकी मिलने की शिकायत करे तो इस पर सुरक्षा बल कार्रवाई करेंगे. वहीं सभी इलाकों में पुलिस मुस्तैद रहेगी.

3 महीने से थी हमलों की खुफिया जानकारी

सूत्रों ने बताया की खुफिया एजेंसियों के पास इस बात के इनपुट्स थे कि कश्मीर में आम नागरिकों पर आतंकी हमले हो सकते हैं. खुफिया जानकारी के अनुसार भाजपा, अपनी पार्टी के नेताओं, कश्मीरी पंडितों और अल्पसंख्यक सिख समुदाय के सदस्यों पर हमले की जानकारी मिली थी. एक आला अधिकारी ने न्यूज18 इंडिया से कहा कि आतंकियों ने जान बूझकर सॉफ्ट टारगेट को चुना क्योंकि हर व्यक्ति को सुरक्षा देना मुमकिन नहीं और ऐसे में जम्मू-कश्मीर प्रशासन को आतंकियों के खिलाफ अभियान चलाना होगा ताकि वह इस तरह के हमलों को दोबारा अंजाम न दे सके.


(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
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