तीन जनवरी, 2022 का दिन भी इतिहास में दर्ज हो जाएगा, जब भारत में 15-18 आयु वर्ग के किशोर बच्चों का टीकाकरण शुरू किया गया। यह भी महत्त्वपूर्ण अभियान है। करीब 7.40 करोड़ बच्चों को कोरोना-रोधी टीके लगाए जाएंगे। इसके बाद 5-14 आयु वर्ग के करीब 24 करोड़ बच्चे भी उतने ही संवेदनशील पक्ष हैं, क्योंकि बच्चों के समग्र टीकाकरण के बाद ही देश की कुल इम्युनिटी, प्रतिरोधक क्षमता, का विश्लेषण किया जा सकता है। अभी तक बाल-टीकाकरण को लेकर विशेषज्ञों में मतभेद रहे हैं। विभिन्न शोधात्मक अध्ययनों के निष्कर्ष थे कि बच्चों में कोरोना संक्रमण की संभावनाएं नगण्य हैं, जबकि दूसरे पक्ष के शोध यह दावा करते हैं कि टीका लगने के बावजूद बच्चे संक्रमण फैला सकते हैं। जाहिर है कि वे खुद भी संक्रमित होंगे। इस आशय का अध्ययन ब्रिटेन में किया गया है, जिसमें भारत सरकार के सीएसआईआर, जापान, हांगकांग के शोध संस्थानों ने भी सहयोग किया है। बहरहाल अब अंतिम निष्कर्ष यह है कि हमने बाल-टीकाकरण का आगाज़ कर दिया है। यह स्कूल और अभिभावकों के लिए बेहद राहत की ख़बर है, क्योंकि कोरोना संक्रमण, डेल्टा और ओमिक्रॉन स्वरूपों समेत, एक बार फिर फैल रहा है। भारत में संक्रमण के मामले एक दिन में 33,000 को पार कर चुके हैं। यह एक ही दिन में करीब 21 फीसदी की बढ़ोतरी है।
बीते 12 सप्ताहों में सबसे ज्यादा है। बाल-टीकाकरण से माता-पिता की बुनियादी चिंता समाप्त होगी और स्कूल भी संक्रमण से निश्चिंत होंगे। वैसे ज्यादातर राज्यों में स्कूल-कॉलेज बंद हैं, लेकिन ऐसा कब तक चलता रह सकता है। इसका बच्चों के मानसिक और शैक्षिक विकास पर जो प्रभाव पड़ेगा, उसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, लिहाजा बाल-टीकाकरण की गंभीरता को समझा जा सकता है। विश्व के 105 देशों में बच्चों को टीके लगाए जा रहे हैं। उनमें पांच देशों-अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, इज़रायल और इटली-में 50 फीसदी से ज्यादा बच्चों में टीकाकरण किया जा चुका है। क्यूबा एकमात्र ऐसा देश है, जहां 2 साल के बच्चे को भी टीका लगाया जा रहा है। सोच सकते हैं कि भारत बाल-टीकाकरण के लिहाज से कितना पीछे है! बहरहाल शुरुआत हो चुकी है। भारत में स्कूली बच्चों की संख्या करीब 6.5 करोड़ है। टीका उन बच्चों में भी लगाया जाएगा, जो किसी भी कारणवश स्कूल से बाहर हैं। इस बार टीकाकरण का दायित्व सिर्फ कोवैक्सीन पर ही है। कोवोवैक्स और कोर्बवैक्स नामक दो टीकों को हाल ही में आपात इस्तेमाल की मंज़ूरी दी गई है, लेकिन बच्चों के टीके को लेकर उनके परीक्षण अभी किए जा रहे हैं।
जायड्स कैडिला के जायकोव-डी टीके को भारत सरकार ने एक करोड़ खुराकों का ऑर्डर दे रखा है, लेकिन अपरिहार्य कारणों से फिलहाल उसे टीकाकरण अभियान से अलग रखा गया है। भारत बायोटेक कंपनी ने कोवैक्सीन टीका बच्चों के लिए अलग से बनाया है और विशेषज्ञों ने उसके परीक्षण का डाटा स्वीकार कर उसकी अनुशंसा की थी। हालांकि वयस्कों के टीकाकरण में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशील्ड टीके से कोवैक्सीन काफी पीछे रहा है। उसके उत्पादन और आपूर्ति की क्षमताएं पूरे 2021 के दौरान सवालिया रही हैं। अब कोवैक्सीन की अग्नि-परीक्षा है। चूंकि देश में बाल-टीकाकरण का आगाज़ हो चुका है, लिहाजा अब कोवैक्सीन की जिम्मेदारी है कि टीकाकरण में अवरोध पैदा नहीं होने चाहिए। बच्चों के टीके के अलावा, स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन वर्करों और बीमार बुजुर्गों को जो 'एहतियाती खुराक' अगले सोमवार से दी जानी है, उसमें भी कोवैक्सीन की जरूरत पड़ सकती है। राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह मिक्सिंग और मैचिंग फॉर्मूले की अनुशंसा करता है, तो जिन लोगों ने कोविशील्ड की दो खुराक ले रखी हैं, उन्हें एहतियाती खुराक कोवैक्सीन की दी जा सकती है। बाल-टीकाकरण बच्चों का खेल नहीं है, क्योंकि संक्रमण पर नियंत्रण पाना है, तो सभी बच्चों को टीका लगना चाहिए।
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