भगवंत मान के लिए आसान नहीं पंजाब की चुनौतियों से पार पाना
मोहाली स्थित पंजाब पुलिस के खुफिया विभाग (Punjab Mohali Attack) के मुख्यालय पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड यानी आरपीजी से हमला करने के संदिग्धों को मदद पहुंचाने के आरोप में पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार किया है
प्रशांत सक्सेना |
मोहाली स्थित पंजाब पुलिस के खुफिया विभाग (Punjab Mohali Attack) के मुख्यालय पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड यानी आरपीजी से हमला करने के संदिग्धों को मदद पहुंचाने के आरोप में पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार किया है. इस शख्स की पहचान फरीदकोट निवासी निशान सिंह के रूप में हुई है, जिससे पुलिस पूछताछ कर रही है. शुरुआती जांच से पता चलता है कि यह हमला वांछित अपराधी हरविंदर सिंह उर्फ रिंडा (Harvinder Singh Rinda) के इशारे पर किया गया है. इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक रिंडा के बारे में कहा जाता है कि फिलहाल वह पाकिस्तान में है और वहीं से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देता है.
रिंडा फिरोजपुर-तेलंगाना हथियार तस्करी मामले के अलावा नवांशहर सीआईए ऑफिस ब्लास्ट केस में भी वांटेड है. मोहाली के सेक्टर 77 स्थित अति सुरक्षित मानी जाने वाली खुफिया विभाग की बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर सोमवार शाम करीब पौने आठ बजे आरपीजी से हमला किया गया. इसके बाद पंजाब में अलर्ट घोषित कर दिया गया. इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि किसी को भी पंजाब के शांतिपूर्ण माहौल को खराब करने की इजाजत नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें पंजाब में लगातार माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रही हैं.
खालिस्तानी तारों से जुड़ी वारदातें हुईं
बता दें कि पंजाब में जबसे भगवंत मान की सरकार आई है, कम से कम चार ऐसी वारदातें हुई हैं, जिनसे खालिस्तानी तार जुड़े हुए थे. पहली घटना बीते महीने पटियाला में हुई, जिसमें शिवसेना के प्रस्तावित खालिस्तान विरोधी प्रदर्शन को लेकर दो गुटों के बीच झड़प हो गई. इसी तरह दूसरी घटना में हिमाचल प्रदेश विधानसभा की बाहरी दीवारों पर खालिस्तान के समर्थन में स्लोगन लिखे गए और अब मोहाली स्थित पंजाब पुलिस के मुख्यालय पर आरपीजी हमला. इसी तरह की एक अन्य घटना में बीते सप्ताह हरियाणा पुलिस ने चार संदिग्ध खालिस्तानी आतंकवादियों को करनाल के टोल प्लाजा से धर दबोचा था, जब वे तेलंगाना के आदिलाबाद में विस्फोटक सप्लाई करने जा रहे थे.
पंजाब के हालिया विधानसभा चुनावों के बाद विशाल जनादेश के साथ सत्ता में आई आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए कानून व्यवस्था बड़ी चुनौती बन गई है. खासतौर से ऐसी स्थिति में जब राज्य की वित्तीय स्थिति खराब है और इस सीजन में गेहूं खरीद में भारी गिरावट आई है. पंजाब में पहली बार भारी बहुमत से सत्ता में आई भगवंत मान की अगुआई वाली आप सरकार का दो महीने बाद उत्साह कम होता दिखाई दे रहा है. नई सरकार राज्य में खालिस्तानी गतिविधियों के अलावा आर्थिक मोर्चे पर भी संघर्ष करते दिखाई दे रही है. पंजाब पर करीब तीन लाख करोड़ रुपये का कर्ज है.
इसके अलावा राज्य विभिन्न कारणों से 15 सालों में गेहूं उत्पादन का लक्ष्य हासिल नहीं कर सका है, जिनमें से एक कारण है फसल की कटाई के समय अत्यधिक तापमान की वजह से गेहूं के बीज का सिकुड़ना. आप सरकार के लिए राज्य में कल्याणकारी योजनाओं को अमलीजामा पहनाना अभी बाकी है. लिहाजा, किसानों-ग्रामीणों के साथ-साथ एक बड़े शहरी तबके के बीच पार्टी की अच्छी छवि नहीं बन रही, जो मानो हड़ताल के लिए माकूल वक्त का इंतजार कर रहे हों. राजनेताओं और सुरक्षा एजेंसियों ने भी इस बारे में कई बार चेताया है.
अब तक कोई सर्वदलीय बैठक नहीं हुई
इसके अलावा भगवंत मान सरकार को अपने विरोधी दलों के साथ-साथ जनता को यह भरोसा दिलाना बाकी है कि वह विभाजनकारी तत्वों से निपटने की दिशा में क्या प्रयास कर रही है. वैसे अभी तक राज्य में न तो कोई सर्वदलीय बैठक हुई है और न ही अलगाववादी या आपराधिक तत्वों से निपटने के लिए पुलिस को प्रभावशाली निर्देश दिया गया है. सबसे बुरी बात तो यह है कि आप सरकार ने दशकों पुराने मामलों को पहले जिंदा किया और बाद में पीछे हट गई, जिनमें चंडीगढ़ को पंजाब में शामिल करना और सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के पानी का मामला है.
इसके अलावा सीमावर्ती राज्य पंजाब में बेरोजगारी की समस्या कम होने के कोई संकेत नहीं मिल रहे. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी यानी सीएमआईसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में देश के उन राज्यों में शुमार है, जहां भयंकर बेरोजगारी है. राज्य में बेरोजगारी दर राष्टृीय औसत 7.31 प्रतिशत के मुकाबले 7.85 प्रतिशत है. पिछले साल के आखिर में हासिल किए गए आंकड़ों के मुताबिक पंजाब के शहरी इलाकों में यह प्रतिशत 8.2 है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में 7.7 प्रतिशत है. राज्य की बहुआयामी नीतियों के अभाव और इच्छाशक्ति में कमी के कारण बेरोजगारी की समस्या और बढ़ गई है. कृषि के मोर्चे पर भी राज्य की स्थिति अच्छी नहीं है.
राज्य खाद्य आपूर्ति विभाग के आकड़ों के मुताबिक राज्य सरकार गेहूं खरीद के मामले में 15 सालों में लक्ष्य पूरा नहीं कर पाई है. 2 मई तक कुल 99.15 लाख मीट्रिक टन ही गेहूं की खरीद हो पाई है. इसमें सरकारी एजेंसियों ने 93.67 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदे हैं. बाकी 5.48 लाख मीट्रिक टन गेहूं की निजी खरीददारी हुई है. जबकि गेहूं खरीद का कुल लक्ष्य 130 से 135 लाख मीट्रिक टन था.