विद्रोही अर्थव्यवस्था को सही रूप में परिभाषित करना जरूरी
बिटक्वाइन एक बहुत ही अधिक मूल्यवान विकेंद्रीकृत और असमानांतर मुद्रा है
बिटक्वाइन एक बहुत ही अधिक मूल्यवान विकेंद्रीकृत और असमानांतर मुद्रा है . यह केंद्रीय बैंकों द्वारा नियंत्रित हमारे मुद्रा व्यवस्था में लोगों के अविश्वास के प्रति प्रतिक्रिया है. यदि वे मुद्रा छाप सकते हैं तो फिर हम क्यों नहीं? यही सब कुछ नहीं है.यदि आप वित्तीय सेवाओं से अलग हट कर देखें तो आप देख सकते हैं की लोग कैसे काम करना चाहते हैं, इसको लेकर वृहद् स्तर पर खलबली है . कोविड की वजह से घर से काम करना मुख्यधारा में आया और अनेक उद्योगों में लोग इससे लाभान्वित भी हुए . बहुत से कंपनियों ने तो पहले ही हमेशा के लिए वर्क फ्रॉम होम को लागू करने की अपनी मंशा जाहिर कर दी है .
गिग इकॉनमी दो दशक से ज्यादा समय से आकार ले रही है और अपनी पसंद, आकांक्षाओं, गति, अपनी स्वयं की समयावली के आधार पर बड़ा सम्मान पा रही है . आजकल बहुत से ऐसे पेशेवर हैं जोकि कार्य करने के पारम्परिक तौर तरीकों की ओर कभी नहीं लौटना चाहते . वास्तव में निगम जटिल संरचना होते हैं जिन्हें की सहयोग, निपुणता, और विशिष्टता प्राप्त करने हेतु बनाया गया था .
अब, डिजिटल तकनीकी के आगमन और परिपक्वता की बदौलत वितरित वातावरण में भी समान फायदे प्राप्त किए जा सकते हैं. हम लोग एक का उद्यम या 'एक अकेले व्यक्ति की उद्यमिता' का आगमन देख रहे हैं. इसीलिए इसने हमे यथास्तिथि पर पुनर्विचार करने हेतु बाध्य किया है जोकि पिछले कुछ सौ वर्षों में विकसित हुई .
ऐसा जान पड़ता है, कि समस्त मनोरंजन उद्योग को एक बड़े लोकतंत्रीकरण अभियान ने रूपांतरित कर दिया है – कुछ जोकि नैपस्टर के साथ शुरू हुआ.सोशल मीडिया प्लेटफार्म और ओटीटी के साथ एक चक्र पूर्ण कर चुका है .
पारम्परिक शिक्षा के क्षेत्र में, जिसका नेत्रित्व स्थापित संस्थाओं ने किया,इन्हें सीधे चुनौती दी जा रही है . हम देखते हैं कि घरेलु स्कूलिंग, MOOCS, आय बँटवारा समझौता आधारित स्टार्ट अप स्थापित हो रहे हैं, जबकि बहुत से इंजीनियर और एमबीए बेरोजगार रह जा रहे हैं. जन सहयोग, आंशिक स्वामित्व, आंशिक शेयर ये सभी मुख्यधारा बन रहे हैं.
वित्तीय बाजारों से परे जाने पर, वैश्विक स्तर पर राजनीतिक परिदृश्य में उभरते हुए परिवर्तन को हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं.लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संघीय ढाँचे के माध्यम से शासन प्रणाली के विकल्प की अनुमति देने वाले देश तुलनात्मक रूप से शांतिपूर्ण हैं और आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से अच्छी प्रगति कर रहे हैं .यहां तक की उन देशों में भी नियंत्रित ढाँचे के प्रति विरोध है, क्योंकि लोग ज्यादा भागीदारी, पारदर्शिता और बेहतर प्रशासन की अपेक्षा करते हैं.
(1) सूचना और ज्ञान तक पहुंच ने कुछ लोगों को उनके पद की बदौलत मिले लाभ उठाने की स्थितियों को बिलकुल ही समाप्त कर दिया है. इसने साक्षरता दर और सामान्य विकास के साथ मिलकर लोगों के समझने की क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है की वे कैसे शासित हो रहे हैं, उनके अधिकार, पसंद और बाधाएं क्या हैं?
(2) ज्ञान से सशक्त या अत्यधिक प्रभावित व्यक्तियों की निरंतर बढ़ती आबादी के साथ, तेजी से बढ़ता लोगों का एक समूह अपने विश्वासों पर आधारित उप-संस्कृतियों का निर्माण कर रहा है. इनमे से प्रत्येक उप-संस्कृति अपनी प्रवृति में विशिष्ट और एक दुसरे के विरोधाभासी हैं .
(3) चहुंओर गुणवत्ता-युक्त शासन का अभाव . शासन का उद्देश्य 'सेवा' था . कुछ उल्लेखनीय अपवादों को छोड़कर यह क्रमशः सत्ता में बदल गया . सत्ता के साथ जिम्मेदारी आती है, लेकिन जब लोग जिम्मेदारी का प्रदर्शन नहीं करते हैं तो यह एक अविश्वास का माहौल बनाता है .
इन विचारों का सामान्यीकरण नहीं किया जा सकता है इसलिए 'विद्रोही अर्थव्यवस्था' जीवन, देश, उद्योग या व्यापार के हर पहलू में सर्वव्यापी नहीं है.
(1) विकेन्द्रित संगठन को निर्मित करने की कोशिश करें, जोकि स्व शासन, उपकरण, उप संस्कृति इत्यादि के रूप में लोगों को विकल्प दे.लोगों को एक साथ रखने के लिए स्पष्ट, बहस के लिए उपलब्ध, विस्तृत संस्कृति निर्देशिका और मूल्य व्यवस्था दें. मिशन पर अत्यधिक फोकस रखें और मिशन से संचालित लोगों को नियुक्त करें .
(2) सीखा हुआ भूल सकने वाले, सीखने वाले, प्रयोगधर्मी, गहन सोच और समस्या के समाधान की अभिवृति वाले स्मार्ट लोगों की नियुक्ति करें . जैसे हम 'एक की उद्यमिता' की ओर बढ़ेगें, स्वशासित और व्यवस्थित चुस्त लघु उपक्रम के होने से एक लाभान्वित होगा
(3) परिणाम और नैतिकता पर न कि प्रक्रिया और नियंत्रित संरचना पर, ध्यान-केंद्रित करते हुए लचीलेपन को अपनाएं .
(4) प्रत्येक 'एक की उद्यमिता' का सम्मान करें क्योंकि आपका वास्तविक मूल्य इन उद्यमों का सारांश और इनके द्वारा सृजित अतिरिक्त सहयोगात्मक मूल्य हैं.
(5) प्रत्येक व्यक्ति के साथ व्यवसायिक परिचर्चा करें और उन्हें एक उद्यमी मानकर परामर्श दें . उन्हें यह जानना जरुरी है कि अपने लिए जिम्मेदार व्यक्ति होने का क्या अर्थ है. जरुरत के समय उपयोगी उन्हें एक समर्थन प्रणाली और बैकअप उपलब्ध कराएं . इस प्रकार के कोचिंग प्रोग्राम आपको बेहतर लघु उद्यमों को बनाने में और सुपर पार्टनर के रूप में अलग दिखने में मददगार होंगे.
(6) धारा से लड़ने की कोशिश नहीं करें बल्कि उसे ग्रहण करें. कुछ भी हमेशा के लिए नहीं रहता . यह एक चक्र है . केन्द्रीयकरण से विकेन्द्रीकरण और फिर वापस केन्द्रीकरण का चक्र.
यह शायद हमारे जीवन काल में कभी न हो लेकिन इतिहास में यह अनेक बार हो चुका है.एक उद्यमी और व्यक्ति के तौर पर जिन्दा रहने के लिए हमें सामंजस्य स्थापित करना होगा . यह सब कुछ हमारे विश्वास और कैसे हम अपना मकसद हासिल करना चाहते हैं, के बारे में हैं