क्या वरुण गांधी खानदानी कांग्रेस पार्टी में जाने की तैयारी कर रहे हैं?

कांग्रेस पार्टी

Update: 2021-10-09 06:30 GMT

अजय झा।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पिछले गुरुवार को नए राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों की घोषणा की, जिसमें से पार्टी या सरकार की नीतियों के आलोचकों की छुट्टी हो गयी. जिन नेताओं को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाया गया है उसमें से कुछ प्रमुख नाम हैं वरुण गांधी, मनेका गांधी, डॉ सुब्रमण्यम स्वामी, केंद्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह और विनय कटियार. बीजेपी का कहना है कि कुछ पुराने नेताओं को इस लिए शामिल नहीं किया गया ताकि नए लोगों को मौका मिल सके. पार्टी कुछ भी सफाई दे, पर इतना साफ़ है कि बीजेपी एक सन्देश देना चाहती है कि पार्टी में रह कर जनता के बीच पार्टी या सरकार के खिलाफ बोलना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. ये सभी नेता पिछले कुछ समय से बीजेपी आलाकमान से नाराज़ चल रहे थे और पार्टी और सरकार के खिलाफ बोल रहे थे.


पर इसमें से जो नाम सबसे अधिक चर्चा में है वह है वरुण गांधी का. 2019 में वरुण गांधी (Varun Gandhi) बीजेपी के टिकट पर लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए थे. काफी समय से वह धैर्य के साथ इस बात की प्रतीक्षा कर रहे थे कि एक ना एक दिन उन्हें केन्द्रीय मंत्रीमंडल में शामिल किया जाएगा. वरुण के सब्र का बांध तब टूट गया जब जुलाई के महीने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मंत्रीमंडल का पुनर्गठन किया, कई नए चेहरों को जगह मिली और वरुण गांधी का उनमें नाम नहीं आया.
किसान आंदोलन में खासा दिलचस्पी ले रहे हैं वरुण गांधी
पिछले एक महीने से वरुण गांधी का आन्दोलनकारी किसानों के लिए प्यार कुछ ज्यादा ही उमड़ने लगा है. लगातार एक के बाद एक किसानों के समर्थन में वह ट्वीट कर रहे थे जिससे यह अनुमान लगाना मुश्किल हो गया था कि ये ट्वीट कांग्रेस वाले गांधी कर रहे हैं या फिर बीजेपी वाले गांधी. कभी किसानों को अपने शरीर का हिस्सा बता कर सरकार को उनसे बात करने की सलाह देते दिखे, तो कभी उन्हें गन्ना का अधिक मूल्य देने की वकालत करते दिखे.

पिछले गुरुवार को उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लखीमपुर खीरी हादसे की एक विडियो डाली जिसमें उन्होंने कहा कि किसानों की हत्या करके उनकी आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता है. और शाम होते होते खबर आयी कि बीजेपी के पुनर्गठित राष्ट्रीय कार्यकारिणी से उनकी छुट्टी हो गयी. यह महज इत्तेफाक था, वरुण गांधी को इसकी सूचना मिल गयी थी या फिर उनके उस ट्वीट की वजह से उनकी छुट्टी हुई, यह कहना कठिन है.

मंत्री बनने का सपना टूटा
यह तो सभी जानते हैं कि वरुण गांधी क्यों बीजेपी से नाराज चल रहे थे, अब इस बात पर नज़र डालते हैं कि क्यों बीजेपी ने उन्हें मंत्री नहीं बनाया. 2013 में बीजेपी ने वरुण को राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया और 2014 के आमचुनाव में उन्हें पीलीभीत की जगह अपने स्वर्गीय पिता संजय गांधी के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी से सटे सुल्तानपुर से टिकट दी. बीजेपी चाहती थी कि वह अमेठी और राय बरेली में पार्टी के लिए प्राचर करें. बीजेपी ने मेनका और वरुण को बीजेपी में शामिल ही इस लिए किया था कि उनके जरिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी के प्रभाव को कम किया जा सके. पर वरुण ने ताई सोनिया गांधी और बड़े भैया राहुल गांधी के खिलाफ प्रचार करने से साफ़ मना कर दिया. नतीजतन थोड़े समय बाद उन्हें पार्टी के महासचिव पद से हटा दिया गया.

बीजेपी ने बताया कि चूंकि मेनका गांधी को केन्द्रीय मंत्री बनाया गया था, एक परिवार एक पद की नीति के तहत वरुण को पार्टी पद से मुक्त किया गया था. मेनका ने बाद में लाख कोशिश की कि उनकी जगह उनके पुत्र को केन्द्रीय मंत्रीमंडल में शामिल किया जाए पर दाल गली नहीं. उल्टे 2019 में जब लगातार दूसरी बार केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो मेनका गांधी का उनमें नाम नहीं था. वरुण इसी आस में जी रहे थे कि मां की जगह उन्हें मंत्री बनाया जाएगा, पर जब जुलाई में मोदी सरकार का पुनर्गठन हुआ और वरुण का नाम नहीं आया तो उनका दिल बीजेपी से भर गया.

यह कहना तो कठिन है कि जब 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण अडवाणी की जोड़ी ने मेनका और वरुण को बीजेपी में शामिल किया था तो उन्हें क्या वायदा किया था, पर जब वरुण को पार्टी में महासचिव पद दिया गया तो उनकी रुचि पार्टी के काम में कम ही दिखी. उनकी तमन्ना थी कि या तो उन्हें केंद्र में मंत्री या फिर उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री बनाया जाए, जो बीजेपी ने नहीं किया.

क्या कांग्रेस में शामिल होंगे वरुण गांधी
अब वरुण गांधी का एक बयान आया है कि कार्यकारिणी से हटाने से उन्हें कोई अंतर नहीं पड़ता, क्योंकि वह पिछले पांच सालों से इसकी बैठकों में शामिल भी नहीं हो रहे थे. यानि पार्टी में उनकी दिलचस्पी कम और सरकार में ज्यादा थी.
बहरहाल इतना तय हो गया है कि ना तो वरुण को बीजेपी पसंद है ना ही बीजेपी को वरुण गांधी. बस प्रतीक्षा यही है कि क्या बीजेपी उन्हें पार्टी से निष्कासित करेगी या फिर वह स्वयं बीजेपी छोड़ेंगे. वरुण शायद ऐसा नहीं करें. अगर उन्होंने पार्टी छोड़ी तो उनकी लोकसभा सदस्यता भी चली जाएगी और फिलहाल वह उपचुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं. पर जिस तरह वह इन दिनों राहुल और प्रियंका के सुर में सुर मिलाते दिख रहे हैं, कोई आश्चर्य नहीं होना चहिये कि जल्द ही वह अपने खानदानी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो सकते हैं.

भले ही मेनका गांधी के दिल में व्यक्तिगत कारणों से सोनिया गांधी के प्रति नफरत है, पर वरुण गांधी का प्रियंका दीदी से हमेशा से स्नेह का रिश्ता रहा है. प्रियंका गांधी अब कांग्रेस की बड़ी नेता बन चुकी हैं और गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी उनका स्वागत करने के लिए आतुर है. स्टेज सज चुका है, बस अब इंतजार इसी बात का है कि बीजेपी और वरुण के बीच चल रहे आंखमिचौली के खेल में तलाक की कौन पहल करता है और कब करता है.
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