कांग्रेस पार्टी में क्या अहमद पटेल की भूमिका निभा रही हैं प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी वाड्रा वैसे तो केवल उत्तर प्रदेश की कांग्रेस महासचिव हैं लेकिन
कार्तिकेय शर्मा।
प्रियंका गांधी वाड्रा वैसे तो केवल उत्तर प्रदेश की कांग्रेस महासचिव हैं लेकिन उनका राजनैतिक काम उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है . ये सब 2019 के बाद बदला है. प्रियंका गांधी कई फैसलों का श्रेय नहीं ले रही हैं लेकिन जो भूमिका उन्होंने पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में निभाई है उससे कई लोगों को सोनिया गांधी के राजनैतिक सलाहकार अहमद पटेल की याद आती है . ज़्यादातर लोग अहमद पटेल को एचएमवी कहते थे. एचएमवी का मतलब हिज़ मजेस्टीस वॉइस यानी सोनिया गाँधी की आवाज़. प्रियंका गांधी को राहुल गाँधी और सोनिया की आवाज़ तो नहीं कहा जा सकता लेकिन उनकी बात उतना ही वज़न रख रही है जितना सोनिया और राहुल गांधी की.
अगर यूपीए सरकार के दौरान नेताओं की सोनिया गांधी से मुलाक़ात नहीं हो पाती थी तो वो अहमद पटेल से मिल कर संतुष्ट हो जाते थे. दूसरी तरफ, पेचीदा मामलों में किसी भी नेता की सोनिया गांधी से डायरेक्ट मुलाक़ात नहीं होती थी. अहमद पटेल से बातचीत में पहले चीज़ें तय हो जाती थीं और उसके बाद सोनिया गांधी से मुलाक़ात के लिए भेजा जाता था और फिर मीडिया बाइट होती थी. यही कारण था कि अहमद पटेल असली राजनीति रात के 10 बजे से सुबह के 4 बजे तक करते थे. उनका दूसरा काम था कि कांग्रेस प्रेजिडेंट का दफ्तर और सोनिया गांधी खुद किसी एक नेता या गुट की पार्टी ना बन जाएं इसलिए सभी मुलाक़ात अहमद पटेल से पहले करवाई जाती थी. लेकिन उनके देहांत के बाद एक वैक्यूम सा आ गया था, अब इस कमी को प्रियंका गांधी पूरा कर रही हैं.
अमरिंदर को हटाने का अहम फैसला लिया
इस सन्दर्भ में तीन घटनाक्रम महत्वपूर्ण हैं. सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम रहा है पंजाब का. पंजाब में प्रियंका गांधी ने नवजोत सिद्धू का समर्थन किया लेकिन जब जब बात बिगड़ी वो ही सबसे पहले नवजोत से मिलीं. उनके मिलने के बाद ही नवजोत राहुल गांधी से मिल पाए. उनकी सोनिया गांधी से मुलाक़ात भी प्रियंका से मिलने के बाद ही हुई. पंजाब के पूरे प्रकरण में जितना रोल राहुल गांधी के दफ्तर का था उतना ही प्रियंका गांधी का भी रहा है. आखिर में जब नाराज़ होकर नवजोत सिद्धू ने इस्तीफा दिया था तब दिल्ली में उनकी पहली मुलाक़ात प्रियंका गांधी से ही हुई थी. ये प्रियंका ही थीं जिन्होंने पंजाब में अमरिंदर सिंह को हटाने के कड़े फैसले को अंजाम दिया था. यानि मामले को सुलझा कर ऊपर भेजने का काम प्रियंका गांधी ने ही किया.
असम विधानसभा चुनाव में कैंपनिंग
2020 के असम विधान सभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने जम कर प्रचार किया था. सारी की सारी टीम प्रियंका की ही थी. असम प्रभारी जीतेन्द्र सिंह थे और प्रियंका के साथ कैंपेन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कर रहे थे. ये बात अलग है कि कांग्रेस असम हार गयी लेकिन प्रियंका ने कैंपेन कर संकेत दे दिया कि वो बतौर महासचिव उत्तर प्रदेश तक सीमित हैं लेकिन नेता प्रियंका कहीं भी जा सकती हैं.
छत्तीसगढ़ के सीएम को बचाने की भूमिका
प्रियंका गांधी की दूसरी बड़ी भूमिका, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गर्दन बचाने में थी. राहुल गांधी उनको स्वस्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव से बदलना चाहते थे लेकिंग प्रियंका के कारण भूपेश बघेल को उत्तर प्रदेश में चुनाव से जुड़ा काम मिल गया . यानि इस मसले को प्रियंका गाँधी ने 5 महीने के लिए ठन्डे बस्ते में डाल दिया. राजनीति में 5 महीने बहुत लम्बा वक़्त होता है और कांग्रेस अगर अपना प्रदर्शन उत्तर प्रदेश में बेहतर कर गयी तो भूपेश बघेल के लिए स्थिति बदल जाएगी. ये जानना ज़रूरी है कि सारे फैसले राहुल गांधी ज़रूर ले रहे हैं लेकिन मध्यस्थता की भूमिका प्रियंका गांधी ही निभा रही हैं. यही राजस्थान में हुआ. राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की मुलाक़ात प्रियंका गांधी से ही हुई थी. जो मामला पिछले एक साल से लटका हुआ था वो 2021 में सुलझता हुआ दिख रहा है. ऐसा नहीं है कि प्रियंका गांधी राजस्थान मामले में ऊपर से कूद पड़ीं. राजस्थान मामले पर बने समिति में उनको अहमद पटेल के देहांत के बाद खाली हुई जगह दी गयी. यानि राजस्थान की डील में भी प्रियंका ने अहम् भूमिका निभायी. ये सब तब हुआ जब राहुल गांधी विदेश में हैं.