क्या सुपरपावर बनने की होड़ में चीन PLA में कर रहा है बड़े बदलाव?
चीन PLA में कर रहा है बड़े बदलाव?
विष्णु शंकर। चीन (China) की सेना PLA ने अपने फ्रंटलाइन के आक्रमणकारी सैनिकों की संख्या में इज़ाफ़ा किया है. यह इस सोच के साथ किया जा रहा है कि आने वाले समय में युद्ध में मिलने वाली चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए PLA सैनिक मज़बूत स्थिति में रहें. चीन की सेना की यह कवायद एक साल से चल रही नीति का हिस्सा है जिसके तहत पूरी PLA को बेहतर ढंग से व्यवस्थित किया जा रहा है.
चीन में इस विषय में एक किताब प्रकाशित हुई है, जिसमें सैनिक विषयों के विश्लेषक Zhong Xin का कहना है कि ये बदलाव राष्ट्रपति शी जिनपिंग के उन सुधारों का हिस्सा है जिनके अंतर्गत PLA में तीन लाख कर्मियों की कटौती की गयी है. एक सूत्र के अनुसार इस काट-छांट में सामान्य राजनीतिक, सामान्य साज़ोसामान, सामान्य हथियार विभाग, और पांच आर्मी ग्रुप्स और रिटायर्ड सैनिकों की देखरेख करने वाला स्टाफ शामिल था.
इस वक्त PLA के सैनिकों की संख्या लगभग 20 लाख है
1950 के दशक में कोरियन युद्ध के दौरान PLA में लगभग साठ लाख कर्मी हुआ करते थे. लेकिन ताज़ा कटौती के बाद PLA के सैनिकों की संख्या लगभग 20 लाख हो गयी है, और इसके परिणाम स्वरूप PLA अब फ़ौज को इस प्रकार से व्यवस्थित कर रही है कि चीनी सेना में काम करने वाले सैनिकों का सबसे बेहतर यानि ऑप्टिमम लाभ PLA को मिल सके. इसी मक़सद से कॉम्बैट यानि लड़ाकू दस्तों में ज़्यादा सैनिकों को शामिल किया जा रहा है. और एक बात, अब ज़्यादा से ज़्यादा युवाओं को लड़ाकू दस्तों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. ऐसे युवाओं की संख्या तीन लाख तक हो सकती है, जिनकी बहाली के लिए रक्षा बजट में प्रावधान किया जा चुका है.
जब 2015 में राष्ट्रपति शी ने आधुनिकीकरण प्लान की शुरुआत की थी, तब PLA में काम करने वालों की तादाद 23 लाख हुआ करती थी. ZHONG XIN का कहना है कि शी जिनपिंग का लक्ष्य PLA को अमेरिका के टक्कर का आधुनिक फ़ौज बनाने का है, और इसलिए अभी फ़ौज में और बदलाव होंगे. संभावित बदलावों में कमान व्यवस्था, सेना की सांगठनिक व्यवस्था और नीति निर्माण व्यवस्था में सुधार शामिल हैं. इन तीनों व्यवस्थाओं में बदलाव से PLA के रक्षात्मक ऑपरेशन्स ज़्यादा सुदृढ़ होंगे, ऐसी उम्मीद है.
ध्यान दीजिये कि PLA की जिन यूनिट्स में ये तीन लाख युवा सैनिक शामिल किए जाएंगे वे हैं – वायुसेना, राकेट फोर्स और स्ट्रैटिजिक सपोर्ट फोर्स. आप समझ ही गए होंगे कि सेना की ये सभी यूनिट्स आधुनिक टेक्नोलॉजी और रणनीति पर आधारित फोर्स का हिस्सा होंगे. एक सूत्र के अनुसार PLA की वायुसेना यूनिट्स को डिवीजन लेवल से अपग्रेड कर ब्रिगेड स्तर का कर दिया गया है. नए जेनरेशन के जंगी विमानों – जैसे J-20, J-10 और J-16 को उड़ाने के लिए पायलट्स की संख्या में वृद्धि की गयी है. ये सभी विमान आधुनिकतम टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं.
पीएलए नेवी का भी किया जा रहा है विस्तार
PLA के मुखपत्र – PLA Daily – ने बताया है PLA की नौसेना की रक्षात्मक रीढ़ को मज़बूत करने के लिए PLA नेवी का भी विस्तार किया गया है. हॉन्ग कॉन्ग से प्रकाशित South China Morning Post ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि PLA की मरीन कोर में काम करने वालों की संख्या 20 हज़ार से बढ़ा कर 1 लाख करने की योजना है. इस क़दम से मरीन कोर में ब्रिगेडों की संख्या दो से बढ़ कर 10 हो जाएगी. ग़ौर कीजिए कि इनमें से बहुत से सैनिक Horn of Africa में स्थित जिबूती और पाकिस्तान में स्थित ग्वादार बंदरगाहों पर तैनात किए जाएंगे जो चीन के अधिकार में हैं और जहां उसने मिलिट्री बेस बना रखे हैं. PLA को आधुनिक और शक्तिशाली ताकतवर फोर्स बनाने के लिए राष्ट्रपति शी ने साल 2027 की समयसीमा तय की है, जो PLA की स्थापना की 100वीं जयंती होगी और जैसा हमने पहले बताया, अमेरिका के टक्कर की सेना बनाने के लिए साल 2050 की.
क्या अमेरिका के सुपरपावर छवि को चुनौती देना चाहता है चीन
PLA में इन व्यापक बदलावों की सबसे बड़ी वजह यह है कि चीन अब दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ताक़त बन चुका है. वह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी भी है और धनी होने में उसने अब तो अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है. इन परिस्थितियों में चीन मानता है कि उसकी सुरक्षा के ख़तरे भी बढ़े हैं. क्योंकि उस पर राजनीतिक, आर्थिक और टेक्नोलॉजी से प्रेरित दबाव भी बढ़ रहा है. कई देशों से, जिनमें भारत भी शामिल है, उसके सीमा विवाद भी अभी अनसुलझे हैं, और देश की मुख्यभूमि से दूर देशों से भी चीन के राष्ट्रीय हित जुड़े हैं.
अभी तक PLA थलसैनिक शक्ति पर आधारित फोर्स रही है लेकिन अब समुद्र, आकाश और साइबर वर्ल्ड से आ सकने वाली चुनौतियों से जूझने के लिए राष्ट्रपति शी PLA के विभिन्न अंगों में बदलाव कर रहे है. जैसा एक सैनिक मामलों के एक चीनी विश्लेषक, लियू यानतोंग, ने कहा है, "अब चीन पर युद्ध का ख़तरा है. सेना को थोड़ी सी पूर्वसूचना पर युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहने की ज़रुरत है." यह विश्लेषण वाक़ई युद्ध के खतरे से प्रेरित है या देश की सेना की अमेरिका के सुपरपावर के मकाम को चुनौती देने की तैयारी का बहाना, इसका फैसला हम आप पर छोड़ते हैं.