त्योहारी मौसम में महंगाई की चिंता

इस समय जब रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान तनाव और वैश्विक आपूर्ति शृंखला में अवरोधों तथा ओपेक देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कमी करने की वजह से लगभग सभी देशों में महंगाई की दर रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई है। महंगाई पर काबू पाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक नरम मौद्रिक नीति से पीछे हट कर नीतिगत दरों में वृद्धि की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है। इससे महंगाई पर कुछ नियंत्रण हुआ है।

Update: 2022-10-12 05:21 GMT

जयंतीलाल भंडारी; इस समय जब रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान तनाव और वैश्विक आपूर्ति शृंखला में अवरोधों तथा ओपेक देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कमी करने की वजह से लगभग सभी देशों में महंगाई की दर रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई है। महंगाई पर काबू पाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक नरम मौद्रिक नीति से पीछे हट कर नीतिगत दरों में वृद्धि की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है। इससे महंगाई पर कुछ नियंत्रण हुआ है।

यकीनन त्योहार के इन दिनों में महंगाई आम आदमी के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। हाल ही में मौद्रिक स्थिति पर प्रकाशित भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि महंगाई में कुछ कमी आई है, मगर अब भी इसकी दर सहन क्षमता के स्तर से ऊपर बनी हुई है। चालू वित्त वर्ष में इसके 6.7 फीसद पर रहने का अनुमान है।

अगले वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति नियंत्रण में आ जाएगी और इसका स्तर 5.2 फीसद तक रहने की उम्मीद है। देश में महंगाई की चुनौती इसलिए भी बढ़ी हुई है कि कोविड-19 के बाद गरीबी, बेरोजगारी और मानव विकास सूचकांक की चुनौतियां बड़ी हुई हैं। इन दिनों वैश्विक स्तर पर बढ़ती गरीबी पर प्रकाशित हो रही विभिन्न रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि कोरोनाकाल में जहां भारत में गरीबी, बेरोजगारी बढ़ी, वहीं मानव विकास सूचकांक में भी गिरावट आई है।

विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में करीब 5.6 करोड़ भारतीय अत्यंत गरीबी में धंस गए, जबकि दुनिया भर में 7.1 करोड़ लोग अत्यंत गरीबी में चले गए। मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से भी नई चिंताएं खड़ी हो गई हैं। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा प्रकाशित मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) 2021 में 189 देशों की सूची में भारत 132वें पायदान पर पाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक जीवन प्रत्याशा, स्वास्थ्य और शिक्षा की चुनौतियां बढ़ी हैं। इससे भी महंगाई की मुश्किलें बढ़ी हैं।

गौरतलब है कि इस समय जब रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान तनाव और वैश्विक आपूर्ति शृंखला में अवरोधों और ओपेक देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कमी करने की वजह से लगभग सभी देशों में महंगाई की दर रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई है। महंगाई पर काबू पाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक नरम मौद्रिक नीति से पीछे हट कर नीतिगत दरों में वृद्धि की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है। इससे महंगाई पर कुछ नियंत्रण हुआ है। अगस्त माह में थोक महंगाई दर 12.41 फीसद दर्ज हुई, जबकि यह दर मई में रिकार्ड 16.63 फीसद पर थी।

इसी तरह अगस्त में खुदरा महंगाई दर सात फीसद दर्ज हुई, जबकि मई माह में 7.04 फीसद थी। स्पष्ट है कि त्योहारी मौसम के बावजूद खाद्य वस्तुओं की महंगाई काबू में है। पिछले माह, सितंबर में खाद्य तेल और दालों के मूल्य में गिरावट आई है। जबकि खुले बाजार में सरकारी गोदामों से अस्सी लाख टन से अधिक खाद्यान्न की बिक्री (ओएमएसएस) से गेहूं और चावल के मूल्य में गिरावट का रुख है। आमतौर पर सितंबर में आलू और प्याज की कीमतें सातवें आसमान पर पहुंच जाती थीं, जबकि इस बार सरकारी तैयारियों के तहत बफर स्टाक बनाए जाने से बाजार में इन जिंसों की पर्याप्त उपलब्धता है।

अगर वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत में महंगाई के परिदृश्य को देखें तो इसके लिए चार प्रमुख रणनीतिक कदम उभरते हैं। एक, सरकार द्वारा रूस से कच्चे तेल का सस्ता आयात। दो, रिजर्व बैंक के महंगाई नियंत्रण के रणनीतिक उपाय। तीन, पर्याप्त खाद्यान्न भंडार और कमजोर वर्ग के लोगों तक खाद्यान्न की निशुल्क आपूर्ति। चार, पेट्रोल में एथेनाल का अधिक उपयोग। निस्संदेह रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और यूरोपीय संघ के दबाव के बावजूद भारत ने किसी पक्ष का समर्थन नहीं किया और भारत ने जिस तरह तटस्थ रुख अपनाया, उसका एक बड़ा फायदा भारत को रूस से सस्ते कच्चे तेल के रूप में मिलता दिखाई दे रहा है।

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में तेल के कुल आयात में रूस की हिस्सेदारी पिछले वर्ष की इसी अवधि के 2.02 फीसद से बढ़ कर करीब 12.9 फीसद हो गई है। जबकि अमेरिका की हिस्सेदारी पिछले वर्ष की इसी अवधि के 9.2 फीसद से घट कर 5.4 फीसद रह गई है। नए आंकड़ों के मुताबिक इस समय भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक और उपभोक्ता देश है।

यह भी महत्त्वपूर्ण है कि जब से भारत ने पर्याप्त छूट के साथ रूस से कच्चे तेल का आयात शुरू किया है, तब से इराक भी कच्चे तेल की आपूर्ति में बड़ी छूट की पेशकश कर रहा है। इसके अलावा पेट्रोल और डीजल में एथेनाल का मिश्रण बढ़ा कर र्इंधन की कीमतों में कमी लाने का सफल प्रयास हुआ है। वर्ष 2014 में पेट्रोल में एथेनाल मिश्रण बमुश्किल 1.4 फीसद था, जबकि इस वर्ष 10.6 फीसद मिश्रण किया जा रहा है, जो लक्ष्य से कहीं ज्यादा है। वर्ष 2025 तक पेट्रोल में एथेनाल मिश्रण का लक्ष्य बीस फीसद रखा गया है। आठ वर्ष पहले देश में चालीस करोड़ लीटर एथेनाल का उत्पादन होता था, अब करीब चार सौ करोड़ लीटर उत्पादन हो रहा है। एथेनाल के उपयोग में तेल विपणन कंपनियों की दिलचस्पी बढ़ रही है।

जहां महंगाई पर काबू पाने के लिए कई वस्तुओं पर आयात शुल्क घटाने की रणनीति के साथ-साथ वैश्विक जिंस बाजार में भी कीमतों में आई कुछ नरमी अहम है, वहीं देश में अच्छी कृषि पैदावार, पर्याप्त खाद्यान्न भंडार, गेहूं तथा चावल के निर्यात पर उपयुक्त नियंत्रण की नीति और आम आदमी तक खाद्यान्न की निशुल्क आपूर्ति भी प्रभावी रही है। केंद्रीय कृषिमंत्री के मुताबिक फसल वर्ष 2021-22 के चौथे अग्रिम अनुमान के मुताबिक में देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन करीब 31.57 करोड़ टन के रिकार्ड स्तर पर रहा। साथ ही एक जुलाई, 2022 को देश के केंद्रीय भंडार में 8.33 करोड़ टन खाद्यान्न (गेहूं और चावल) का बफर और आवश्यक भंडार संचित है।

हालांकि पिछले महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश के अस्सी करोड़ गरीबों के लिए मुफ्त राशन की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को तीन महीने और बढ़ा दिया है, लेकिन त्योहारों के इस मौसम में देश के करोड़ों लोग महंगाई से अधिक राहत की उम्मीद कर रहे हैं। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम हो रही थीं।

इस वर्ष जनवरी के बाद पहली बार 26 सितंबर को कच्चे तेल की कीमत पचासी डलर प्रति बैरल से नीचे आ गई, लेकिन तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के निर्णय से 10 अक्तूबर को यह निन्यानबे डालर प्रति बैरल के आसपास हो गई। फिर भी सरकार से पेट्रोल-डीजल की कुछ कीमत घटा कर राहत की अपेक्षा की जा रही है। महंगाई को छह फीसद के स्तर पर लाने के लिए कई और कारगर प्रयासों की जरूरत है। अभी रेपो रेट में कुछ और वृद्धि करके अर्थव्यवस्था में नकद प्रवाह को कम किया जाना उपयुक्त होगा। देश में महंगाई को रोकने के लिए अनावश्यक आयात को नियंत्रित करना और खाद्यान्न तथा उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाना होगा।

इन उपायों के साथ-साथ अब देश में कच्चे तेल के अधिक उत्पादन और उसके विकल्पों पर ध्यान देना होगा। इलेक्ट्रानिक वाहनों के साथ-साथ अन्य अत्याधुनिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करना होगा। सरकार द्वारा ई-कारों की तरह हाइब्रिड कारों पर भी जीएसटी घटाना लाभप्रद होगा। पेट्रोल-डीजल से चलने वाली कारों को हतोत्साहित करते हुए ग्रीन र्इंधन वाले वाहनों को प्रोत्साहित करना होगा। अभी रूस से कच्चे तेल के आयात में और वृद्धि करना लाभप्रद होगा। इन विभिन्न उपायों के साथ-साथ कच्चे तेल के घटे दामों के मद्देनजर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उपयुक्त कमी करके महंगाई को घटाया जा सकेगा तथा महंगाई का सामना कर रहे देश के करोड़ों लोगों को राहत दी जा सकेगी।

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