भारत ने कोरोना वायरस से उपजी महामारी का सफलतापूर्वक सामना कर पेश की एक मिसाल

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने संविधान में निहित आदर्शों को सूत्र वाक्य |

Update: 2021-01-26 02:02 GMT

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने संविधान में निहित आदर्शों को सूत्र वाक्य की तरह सदैव याद रखने का आग्रह करते हुए जिस तरह उन तमाम चुनौतियों को वर्णन किया, जिनका देश ने पिछले एक वर्ष में सामना किया है, उनका संज्ञान लिया जाना चाहिए। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि देश ने कोरोना वायरस से उपजी महामारी कोविड-19 के रूप में एक बड़े संकट का जिस प्रकार सफलतापूर्वक सामना किया, वह एक मिसाल है। राष्ट्रीय जीवन के साथ समूची अर्थव्यवस्था पर बहुत व्यापक असर डालने वाले इस गंभीर संकट का सामना करते हुए देश ने यह दिखाया कि वह बड़ी से बड़ी चुनौती से पार पाने में सक्षम है। इस क्षमता का दुनिया ने तो लोहा माना ही, बुरी नीयत वाले पड़ोसी देशों को भी यह सबक मिला कि अब भारत एक नए भारत के रूप में आकार ले रहा है। उभरते हुए भारत की बढ़ी हुई क्षमता यह भी बताती है कि करीब सात दशक पहले संविधान लागू करने अर्थात अपना भाग्य स्वयं संवारने का बीड़ा उठाने के बाद से राष्ट्र ने एक गणतंत्र के रूप में बहुत कुछ हासिल किया है और इस क्रम में स्वयं को कहीं अधिक समर्थ भी बनाया है। इसमें सभी का योगदान है और इस पर हर किसी को गर्व होना चाहिए। इसी के साथ देश के हर नागरिक का ध्यान इस पर केंद्रित होना चाहिए कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ हमारे लिए एक ऐतिहासिक पड़ाव कैसे बने?

आजादी की 75वीं वर्षगांठ का अवसर दुनिया को एक नए भारत का परिचय तब अच्छे से कराएगा, जब देश विभिन्न क्षेत्रों में अपनी समस्याओं का समाधान कर सकने में सक्षम होगा। नि:संदेह देश के समक्ष अनेक गंभीर समस्याएं हैं, लेकिन यदि उनके समाधान को लेकर प्रतिबद्ध होकर आगे बढ़ा जाए और इस प्रतिबद्धता का प्रदर्शन जनता की ओर से भी किया जाए तो अभीष्ट की पूर्ति आसानी से हो सकती है। यह अच्छा हुआ कि राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में यह भी रेखांकित किया कि नए कानून बनाकर कृषि और श्रम क्षेत्रों में जो सुधार किए गए हैं, वे लंबे समय से अपेक्षित थे। उन्होंने यह कहकर एक तरह से सीधे किसानों का ध्यान आकृष्ट किया कि इन कानूनों को लेकर आरंभ में कुछ आशंकाएं उत्पन्न हो सकती हैं, लेकिन इसमें संदेह नहीं होना चाहिए कि सरकार कृषक हितों के प्रति पूरी तरह समर्पित है। उचित यह होगा कि गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की सड़कों पर अपनी ताकत का अनावश्यक प्रदर्शन करना चाह रहे किसान नेता परिपक्वता का परिचय दें और बातचीत के जरिये अपनी समस्या सुलझाएं। संवाद ही समस्याओं के समाधान का सही तरीका है।


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