भारत-पाकिस्तान क्रिकेट संबंध !
भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले कई वर्षों से संबंध काफी कड़वाहट भरे चल रहे हैं। बातचीत की कोई संभावना नजर नहीं आ रही। भारत सरकार का स्पष्ट स्टैंड है
आदित्य नारायण चोपड़ा: भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले कई वर्षों से संबंध काफी कड़वाहट भरे चल रहे हैं। बातचीत की कोई संभावना नजर नहीं आ रही। भारत सरकार का स्पष्ट स्टैंड है कि आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते। यह भी सत्य है कि भारत-पाकिस्तान क्रिकेट कूटनीति के चलते पूर्व में संबंधों की बर्फ भी कई बार पिघली है लेकिन पाकिस्तान ने हमें लगातार जख्म दिए हैं जिससे भारत सरकार को कड़ा स्टैंड लेना पड़ा है। 2012 के बाद से दोनों देशों के बीच एक भी द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज नहीं खेली गई है। हालांकि दोनों देशों के बीच आईसीसी के बड़े टूर्नामेंटों में मुकाबले देखने को मिल जाते हैं। दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंध पाकिस्तान की सियासत के चलते खराब हुए। दोनों देशों की आवाम क्रिकेट की दीवानी है। जब भी भारत और पाकिस्तान क्रिकेट में आमने-सामने होते हैं तो उसका एक अलग ही रोमांच होता है। भारत-पाक क्रिकेट मैच को एक खेल की तरह नहीं बल्कि राजनीतिक रूप से भी देखा जाता है। दोनों देशों की प्रतिद्वंद्विता क्रिकेट के मैदान से बाहर भी नजर आती है।ऐसा ही रोमांच रविवार को दुबई में एशिया कप के तहत खेले गए भारत-पाक मैच में देखने को मिला। रोमांचक मैच में भारत ने पाकिस्तान को पांच विकेट से शिकस्त दी। दोनों देशों के मैचों के दौरान कभी इतना तनाव पैदा हो जाता था कि अप्रिय घटनाएं भी सामने आ जाती थीं। क्रिकेट और खेल की भावना को मैं समझता हूं क्योंकि मेरे पिता स्वर्गीय अश्विनी कुमार क्रिकेट के प्रति काफी आसक्त थे और इसी प्रेम ने उन्हें बेहतरीन क्रिकेटर बना दिया था। उन्होंने रणजी ट्राफी से दिलीप, इरानी और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में भी खेला इसलिए क्रिकेट से मेरा लगाव स्वाभाविक है। भारत-पाक संबंध खराब होने के बावजूद दोनोंं देशों में क्रिकेट कूटनीति चलती रही है आैर पाकिस्तान के तानाशाह हुक्मरान जिया उल हक (जिया जालंधरी) से लेकर परवेज मुशर्रफ तक क्रिकेट कूटनीति के चश्मदीद रहे हैं। क्रिकेट विशेषज्ञ बताते हैं कि 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध चल रहा था उन दिनों इंग्लैंड में विश्वकप क्रिकेट भी चल रहा था। तब माना जा रहा था कि भारत और पाकिस्तान का मैच रद्द करना पड़ेगा क्योंकि दोनों देशों की जंग के बीच खेलना आसान नहीं था। इसके बावजूद भारत और पाकिस्तान में क्रिकेट मैच हुआ और भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट प्रेमियों ने स्टेडियम में दोनों टीमों का जोरदार स्वागत किया।भारत-पाकिस्तान मैचों को देखने के लिए पाकिस्तान के लोग भारत आते रहे हैं और भारतीय पाकिस्तान जाते रहे हैं। यह बात जग जाहिर है कि भारत और पाकिस्तान की आवाम के बीच संबंध बने हुए हैं लेकिन पाकिस्तान के हुक्मरान ने हर वक्त आवाम में दूरियां पैदा करने की कोशिश की। पाकिस्तान ने हमें बहुत से जख्म दिए। मुंबई के बम धमाकों, 26/11 का मुंबई हमला। लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर भारत की संसद पर हमला। उड़ी में भारतीय जवानों पर हमला और यहां तक कि जम्मू के रघुनाथ मंदिर से लेकर गुजरात के अक्षरधाम मंदिर तक निर्दोषों का खून बहाया गया। पिछले दिनों पाकिस्तान के पूर्व कप्तान और दिग्गज गेंदबाज वकार यूनुस ने एक बड़ा बयान दिया था कि दोनों देशों में कम से कम साल में एक सीरीज तो खेली ही जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि जब भारत और पाकिस्तान खेलते हैं तो इससे बेहतर क्रिकेट हो ही नहीं सकता। अब सवाल यह है कि क्या भारत-पाक को क्रिकेट संबंध बहाल कर देने चाहिए। क्रिकेट एक वैश्विक खेल है जिसमें विभिन्न नस्लों, रंगों, धर्मों, जातियों के लोग एक ही लक्ष्य के लिए खेलते हैं। सभी अंतर्राष्ट्रीय खेलों की तरह यह मतभेदों को भूलकर सहअस्तित्व की भावना बढ़ाने के मूल्यों को अपनाता है। खेल भावना भीड़ तक के लिए मायने रखती है। क्रिकेट के नियमों में भावना का सम्मान करने का भी नियम है। भारत-पाकिस्तान के मैचों को छद्म युद्ध की तरह देखना दुर्भाग्यपूर्ण है। क्रिकेट खेल है और क्रिकेट टीम उसके खिलाड़ी। भले ही एक देश का प्रतिनिधित्व करते हो लेकिन वे युद्ध का प्रतीक नहीं है। हमें वह दिन भी याद है जब पाकिस्तान के हुक्मरान परवेज मुशर्रफ ने धोनी को अपने लंबे बाल नहीं कटवाने की सलाह दी थी। भारत और पाकिस्तान के क्रिकेटर एक-दूसरे के गले मिलते थे। विद्वेश झगड़े या क्रोध का नामोनिशान नहीं था।यद्यपि भारत सरकार का यह स्टैंड कि "हम ऐसे देश के साथ कैसे खेल सकते हैं जो हमारे देश में आतंकी भेजता हो" मेरी अपनी मान्यता है कि जब तक रिश्ते खूबसूरत नहीं होते तब तक पाकिस्तान से कोई बात नहीं होनी चाहिए। पाकिस्तान आज भी कश्मीर में आतंकवाद को प्रोत्साहित कर रहा है। पूर्व की सरकारों में ऐसा होता रहा है कि पाक प्रायोजित आतंकवाद के बावजूद भारत और पाकिस्तान के नेताओं की मुलाकातें होती रही हैं। भारत ने रिश्तों की पाकीजगी को हमेशा समझा है तभी तो अटल बिहारी वाजपेयी बस लेकर पाकिस्तान गए थे। भारत और पाकिस्तान ने लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर भी किए थे लेकिन परवेज मुशर्रफ ने कारगिल में घुसपैठ का षड्यंत्र रच डाला था। तब भारत ने महसूस किया कि ऐसी मुलाकातों का क्या फायदा।सुबह भी आते रहिए, शाम भी आते रहिए।दिल मिले या न मिले, हाथ मिलाते रहिए।।संपादकीय :दुमका की बेटी का आर्तनादकांग्रेस अध्यक्ष का नया चुनाव !लोक जीता, भ्रष्ट तंत्र हाराघर के सुन्दर सपनों को साकार करने में मदद करोझारखंड में राजनैतिक झमेला !नस्लवाद का अड्डा है अमेरिकाअब जबकि पाकिस्तान की आर्थिक हालत बहुत खस्ता है और वहां के सियासतदान भारत से व्यापार के रास्ते फिर से खोलने को इच्छुक हैं। ऐसी स्थिति में क्रिकेट संबंधों से दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघल सकती है। भारत तो बस यही चाहता है कि पाकिस्तान सरहद पार से मौत के सौदागर मत भेजे, खून खराबे से बाज आए और बंदूकों के बल पर मौसम बदलने का ख्वाब मत देखे। जहां तक मिलने का सवाल है जब भी मिलेंगे हम तुम्हारा हाल जरूर पूछ लेंगे। क्रिकेट कूटनीति का साधन हो सकता है विकल्प नहीं।