इंटरनेट पर बढ़ते प्रतिबंध

इंटरनेट की खबर

Update: 2021-09-30 05:52 GMT

इस माध्यम पर शिकंजा कसने का जो दौर शुरू हुआ, वह इससे ही जाहिर होता है कि सालाना "फ्रीडम ऑन द नेट" रिपोर्ट के मुताबिक लगातार 11वें साल वैश्विक स्तर पर ऑनलाइन अधिकारों में गिरावट आई है। अमेरिकी थिंकटैंक फ्रीडम हाउस अपने सर्वे के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा है। India digital freedom twitter


इंटरनेट जब प्रचलन में आया था, तब इसे अभिव्यक्ति की निर्बाध आजादी का माध्यम समझा गया था। तब ये माना गया था, इससे लोकतांत्रिक संवाद के एक नए युग का उदय हो रहा है। शुरुआत में ऐसा हुआ भी। अरब स्प्रिंग से लेकर ऑक्यूपाई वॉल स्ट्रीट मूवमेंट और भारत में अन्ना आंदोलन से निर्भया बलात्कार कांड विरोधी आंदोलन तक में इंटरनेट और सोशल मीडिया की सकारात्मक भूमिका ने नई उम्मीदें जताई थीँ। लेकिन उसके बाद इस माध्यम पर शिकंजा कसने का जो दौर शुरू हुआ, वह इससे ही जाहिर होता है कि सालाना "फ्रीडम ऑन द नेट" रिपोर्ट के मुताबिक लगातार 11वें साल वैश्विक स्तर पर ऑनलाइन अधिकारों में गिरावट आई है। अमेरिकी थिंकटैंक फ्रीडम हाउस अपने सर्वे में नागरिकों को मिली इंटरनेट की आजादी के स्तर के लिए देशों को 100 में से अंक देता है। इसमें नागरिकों को इंटरनेट सामग्री तक पहुंच पर कितने प्रतिबंध का सामना करना पड़ता है, इसका आकलन किया किया जाता है। यह भी देखा जाता है कि क्या सरकार समर्थक ट्रोल ऑनलाइन बहस में हस्तक्षेप करते हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक इस साल यूजर्स को 41 देशों में अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के कारण शारीरिक हमलों का सामना करना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 11 साल पहले जब इस संस्था ने इंटरनेट स्वतंत्रता की निगरानी शुरू की थी, उसके बाद से यह अभिव्यक्ति के कारण हमलों का "रिकॉर्ड स्तर" है। रिपोर्ट में कुछ उदाहरण दिए गए हैं। जैसे सोशल मीडिया पर कथित सरकार विरोधी गतिविधियों के लिए पिटाई के बाद अस्पताल में भर्ती एक बांग्लादेशी छात्र और एक मैक्सिकन पत्रकार की हत्या कर दी गई। पत्रकार ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उसने एक गैंग पर हत्या का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 70 देशों में से 56 में लोगों को उनकी ऑनलाइन गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया गया। इस साल फरवरी में म्यांमार में सैन्य तख्ता पलट के बाद वहां ऐसी गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैँ। सर्वेक्षण की अवधि (जून 2020 और मई 2021 के बीच) में कुल मिलाकर कम से कम 20 देशों ने लोगों की इंटरनेट तक पहुंच को अवरुद्ध किया। इंटरनेट आजादी के मामले में जिन देशों की रैंकिंग अच्छी है, उनमें आइसलैंड सबसे ऊपर है। वहीं चीन को इंटरनेट स्वतंत्रता के मामले दुनिया का सबसे खराब देशों में रखा गया है, जहां ऑनलाइन असहमति के लिए लोगों को जेल की सजा दी गई है।
नया इंडिया 
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