आसपास कोई गंभीर हालात पैदा होने पर उन्हें बेहतर तरीके से समझें, उनका सामना करने में मिलेगी मदद
सेन डियागो में संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ डॉ. डेविड प्राइड कहते हैं कि ‘कई लोगों को टीका नहीं लगा
एन. रघुरामन का कॉलम: इस हफ्ते मैं मुंबई में जहां भी गया, ओमिक्रॉन की ही बात हो रही थी। मंगलवार को महाराष्ट्र में 2,172 मामलों के साथ संक्रमण 75 दिनों के पीक पर रहा, जिसमें मुंबई में बड़े पैमाने पर मामले मिले। यहां पिछले 7 महीनों में मंगलवार को सबसे ज्यादा 1,333 केस आए। 22 से 28 दिसंबर के बीच नए मामले 5,478 के पीक पर पहुंचे और दिसंबर के पहले सप्ताह की तुलना में 320% बढ़े।
अमेरिका में भी जहां तेजी से मामले आ रहे हैं, संक्रमितों में 73% ओमिक्रॉन के मामले हैं। ये हुआ कैसे? संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ कहते हैं कि ओमिक्रॉन दोनों ओर से फायदे में है- कैसे ये जल्दी संचारित होता है और कितने अच्छे से शरीर के सुरक्षा तंत्र को धोखा देता है। कैम्ब्रिज में रेंडन इंस्टीट्यूट के एलेजांड्रो बी बालाज्स के नेतृत्व में हुई स्टडी के शुरुआती परिणामों में सामने आया कि ओमिक्रॉन डेल्टा की तुलना में दोगुना व मूल वायरस से चार गुना संक्रामक है।
सेन डियागो में संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ डॉ. डेविड प्राइड कहते हैं कि 'कई लोगों को टीका नहीं लगा, ऐसे में सिर्फ वक्त की बात है कि हम वायरस का और बदला रूप देखें जो टीका लगवाए लोगों को संक्रमित करने में ज्यादा माहिर हो।' वैरिएंट आते हैं कि क्योंकि वायरस सर्वाइव करने की कोशिश करता है। ओमिक्रॉन की सफलता का एक रहस्य तेजी से खुद को कई गुना करने की क्षमता लगती है।
डेल्टा से तुलना करने वाले हांगकांग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि ओमिक्रॉन फेफड़ों में वायु ले जाने वाली नली (ब्रोन्कस) में 70% तेजी से संक्रमित व मल्टीप्लाइ होता है। अगर ये सच है, मतलब ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों के गले में बहुत सारा वायरस श्वास छोड़ने, खासतौर पर खांसने- छींकने के दौरान हवा में आने की फिराक में है। हांगकांग यूनि. के शोध से एक संभावित संकेत ये है कि ओमिक्रॉन गले से फेफड़ों में धीरे-धीरे जाता है।
परीक्षणों के अनुसार चूंकि ओमिक्रॉन मूल वायरस की तुलना में फेफड़ों में जाकर 10 गुना धीमे फैलता है, ऐसे में रोग की गंभीरता कम होती है। डॉ. प्राइड कहते हैं कि ओमिक्रॉन घर के अंदर आसानी से फैलता है, इससे लगता है कि वायरस हवा में आसानी से आ जाता है। यही कारण है कि ओमिक्रॉन की कम मात्रा से भी संक्रमण हो जाता है। यही कारण है कि विशेषज्ञों को लग रहा है, ओमिक्रॉन से संक्रमित लोग दूसरों को वायरस फैला सकते हैं, भले ही उन्हें टीका लगा हो या लक्षण ना हो।
डॉ. प्राइड वही सलाह दूसरे तरीके से देते हैं, 'हम जानते हैं कि बीमारी लोगों से फैलती है, इसलिए अगर आप पक्का करना चाहते हैं कि इससे संक्रमित न हों, तो भीड़भाड़ में न जाएं।'आमतौर पर कोविड बीमारी करने वाले कोरोनावायरस की सतह पर स्पोक आकार का प्रोटीन, स्वस्थ कोशिकाओं पर वार करता है और अपनी संख्या बढ़ाने के लिए उनका इस्तेमाल करता है। टीका तत्परता से एंटीबॉडीज़ बनाता है, जो स्पाइक प्रोटीन को पहचानकर शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र के जरिए उसे नष्ट करता है।
लेकिन अप्रत्याशित बदलाव करने वाले ओमिक्रॉन को पहचानने में एंटीबॉडीज़ को ज्यादा दिक्कत हो रही है। शोधकर्ताओं के अनुसार ये सच है कि भले ही एंटीबॉडीज़ टीके से बनी हों या पहले हुए संक्रमण से, ओमिक्रॉन को परवाह नहीं। शोधकर्ताओं को एक अपवाद दिखा कि जिन्होंने टीके का बूस्टर डोज़ लिया है, उनमें ओमिक्रॉन प्रबलता से निष्प्रभावी हुआ।
आश्चर्य नहीं कि भारत ने हाल ही में बूस्टर नीति की घोषणा की। जब तक सही तस्वीर नहीं उभरती, कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करें। फंडा यह है कि जब भी आसपास कोई गंभीर हालात पैदा हों, तो उन्हें बेहतर तरीके से समझने से उनका सामना करने में मदद मिलती है।