स्वास्थ्य ढांचे का संकट: कोरोना की दूसरी लहर पहले से अधिक घातक, स्वास्थ्य तंत्र को नए सिरे से कमर कसनी चाहिए
एक दिन में एक हजार से अधिक कोरोना मरीजों की मौत यही बयान कर रही है कि संक्रमण की दूसरी लहर अपने चरम पर है।
एक दिन में एक हजार से अधिक कोरोना मरीजों की मौत यही बयान कर रही है कि संक्रमण की दूसरी लहर अपने चरम पर है। इसका पता इससे भी चलता है कि प्रतिदिन होने वाली मौतों का आंकड़ा पिछले आंकड़े को पार करता दिख रहा है। चिंता की बात केवल यही नहीं कि कोरोना से संक्रमित होने और दम तोड़ने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, बल्कि यह भी है कि स्वास्थ्य ढांचा फिर से चरमराता दिख रहा है। कोरोना मरीजों को अस्पतालों में केवल बेड और वेंटीलेटर मिलने में ही परेशानी नहीं हो रही है, बल्कि जरूरी दवाओं और ऑक्सीजन की कमी भी साफ दिख रही है। यह उस ढिलाई का नतीजा है, जो जनवरी-फरवरी के बाद तब बरती गई, जब रोजाना कोरोना मरीजों की संख्या दस हजार के करीब आ गई थी। इसके चलते यह मान लिया गया कि कोरोना तो अब जाने ही वाला है। इसी सोच ने संकट खड़ा करने का काम किया। अब स्थिति यह है कि प्रतिदिन कोरोना मरीजों की संख्या दो लाख के आंकड़े से ऊपर जाती दिख रही है और अभी संक्रमण की दूसरी लहर के कमजोर पड़ने के कोई आसार भी नहीं। स्पष्ट है कि आने वाला समय और अधिक कठिनाई भरा हो सकता है।