पूरे देश का 'रामबाण' है हैल्थ आईडी
भारत जैसे देश में किसी आदमी की पहचान का अगर कोई बड़ा रिकार्ड है तो यह उसका आधार कार्ड है। आधार कार्ड के जरिये उसका नाम, उसकी आयु, उसका पता सबकुछ पता चल जाता है।
किरण चोपड़ा: भारत जैसे देश में किसी आदमी की पहचान का अगर कोई बड़ा रिकार्ड है तो यह उसका आधार कार्ड है। आधार कार्ड के जरिये उसका नाम, उसकी आयु, उसका पता सबकुछ पता चल जाता है। यह सब आज के कंप्यूटर के युग में देश की एक बड़ी सफलता है। इस आधार कार्ड के दम पर डिजिटल तौर पर सारी सूचना एक जगह पहुंच जाती है और फिर प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने से लेकर बैंक में लोन लेने-देने तक सारी सूचना का एक रिकार्ड बन जाता है। इस प्रकार सारा डाटा सरकारी रिकार्ड में दर्ज रहता है। कल्पना कीजिए कि अगर एक ऐसा ही आधार कार्ड जो हैल्थ सैक्टर से जुड़ा हो और हर आदमी के स्वास्थ्य का पुराना रिकार्ड इसके जरिये सामने आ जाये तो फिर क्या यह एक क्रांतिकारी परिवर्तन है या नहीं? मोदी सरकार ने अब ऐसी ही हैल्थ आईडी बना दी है और यह डिजिटल योजना आज के कोरोना काल में बहुत लाभकारी सिद्ध होने जा रही है। इसका पूरे देश में स्वागत किया जा रहा है। कोरोना काल में प्रधानमंत्री मोदी ने एक ही बात कही थी कि चुनौतियों के समय में जब आदमी संघर्ष करता है और विजय पाता है तभी उसे विजेता कहते हैं। भारत के लोग जो हैल्थ सैक्टर से जुड़े हैं और अन्य देशवासियों से भी प्रधानमंत्री ने एक ही अपील की थी कि चुनौतियों में अवसर ढूंडिये। भारत आज मास्क, सैनिटाइजेशन, टिकाकरण इत्यादि जैसी चीजों में पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। हैल्थ आईडी योजना के तहत अगर कोई आदमी दिल्ली में है और वह चेन्नई पहुंचा हुआ है या देश के किसी और कोने में है तो उसके हैल्थ आईडी से उसकी पुरानी हैल्थ हिस्ट्री सामने आ जायेगी। इससे उसका इलाज न केवल अच्छा होगा बल्कि वह तुरंत स्वस्थ हो जायेगा। किसी व्यक्ति को किस चीज से एलर्जी है, किस को क्या बीमारी है, मेडिकल फील्ड में उसकी पुरानी हिस्ट्री अगर डाक्टर को पता है तो इलाज बढि़या होगा। मेडिकल क्षेत्र में इसीलिए इस हैल्थ आईडी की भारतीय योजना को पूरी दुनिया क्रांतिकारी पग के रूप में देख रही है। हैल्थ सेक्टर में यूं तो अनेक योजनाएं हैं। खुद प्रधानमंत्री मोदी की आयुष्मान योजना गरीबों और निम्र वर्गीय आबादी को लाभ पहुंचा रही है परंतु गंभीर बीमारियों का इलाज तो तभी संभव होगा ना अगर समय पर बीमारी पता चले और यह आईडी योजना सचमुच हैल्थ सेक्टर में बीमार के लिए एक रामबाण सिद्ध होगी। आज की तारीख में जब लगभग सत्तर प्रतिशत आबादी वैक्सीनेशन ले चुकी है और अब बच्चों के टिकाकरण की तैयारी चल रही है तो हैल्थ आईडी अपने आपमें एक अच्छा उदाहरण है परंतु हमारा यह भी मानना है कि हैल्थ सैक्टर में ढांचा मजबूत करना भी जरूरी है। हमारा मानना है कि अस्पताल जो पहले से है उनमें सुविधाएं और बढ़ायी जानी चाहिए जैसे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के लिए सुविधाएं हर दस-पन्द्रह किमी. पर एक अस्पताल के रूप में हो तो देश के विभिन्न स्थानों पर चाहे वह पीजीआई है या एम्स है तो उन पर बोझ कम पड़ेगा। अब जबकि हैल्थ आईडी लागू होने जा रही है तो ऐसी क्रांतिकारी योजनाओं के चलते हमें आम लोगों को प्राइवेट अस्पतालों की भारी फीस से भी बचाने के बारे में सोचना चाहिए। हम दूसरे देशों से तुलना में बेहतर तभी साबित होंगे अगर अच्छी सुविधाएं देंगे। कोरोना के केस में एक बड़े चैलेंज के चलते भारत ने बहुत कुछ सीखा है और बहुत कुछ पाया भी है लेकिन यह भी सच है कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ। हम इस पर विजय के करीब हैं लेकिन अंतिम क्षणों में चूकना नहीं चाहिए और हैल्थ आईडी जैसी योजना आ गयी है तो हम इसका स्वागत करते हैं। संपादकीय :चन्नी की चुनौतियां और पंजाबकट ऑफ लिस्ट की हदगांधी की विरासत और हमममता का भवानीपुरहैल्थ सैक्टर का विस्तारपंजाब प्रयोगशाला नहीं! साथ ही दिल्ली में इन दिनों सीनियर सिटीजन के लिए केजरीवाल जी ने जो हैल्पलाइन शुरू की है जो एक सार्थक प्रयास होगा। साथ ही साथ मैं अपने इस आर्टिकल के माध्यम से सभी राज्य सरकारों आैर देश के प्रधानमंत्री से यह प्रार्थना करूंगी कि देश के सभी सीनियर सिटीजन की पुकार भी सुनें। उनको अभी कहने को बहुत सुविधाएं भी हैं परन्तु फिर भी अभी बहुत जरूरत है उन्हें विशेष मैडिकल सुविधाएं देने की। उन्होंने सारी उम्र टैक्स दिए होते हैं। इस समय उन्हें बहुत रिलेक्स की जरूरत है। जैसे विदेशों में उन्हें हैल्थ और सोशल सिक्योरिटी, आराम की सुविधाएं हैं, हमारे देश में भी होनी चाहिए। प्रधानमंत्री जी आप ऐसे कार्य कर रहे हो कि सदियों तक आपको याद किया जाएगा। अगर आप बुजुर्गों के लिए यह काम कर दो तो आपको याद रखने के साथ-साथ आशीर्वाद भी मिलेंगे।