केरल में फुल लॉकडाउन बेहद जरूरी, न भूलें कि डेल्टा वेरिएंट के 95 फीसदी मामले यहीं हो रहे दर्ज
केरल में लगातार तीसरे दिन 30 हजार से ज्यादा केस दर्ज होने की वजह से देश का पिछले 58 दिनों को रिकॉर्ड टूट गया है
पंकज कुमार | केरल में लगातार तीसरे दिन 30 हजार से ज्यादा केस दर्ज होने की वजह से देश का पिछले 58 दिनों को रिकॉर्ड टूट गया है. आलम यह है कि पिछले पांच दिनों में देश में आए कुल मामलों में से 66 फीसदी मामले सिर्फ और सिर्फ केरल से हैं. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि भारत के तमाम राज्यों से कोरोना के घट रहे मामलों के बावजूद केरल की स्थिति विस्फोटक क्यों बनी हुई है? क्या केरल में त्योहारों के बाद मिली छूट कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार है ? देश के कई हिस्सों से इस तरह की मांग उठने लगी है कि केरल को आइसोलेट किया जाए नहीं तो पूरे देश में कोरोना फैलने का एक बार फिर केरल कारण बन सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि केरल में बिना फुल लॉकडाउन के कोरोना पर नियंत्रण अब असंभव दिख रहा है.
केरल में शुक्रवार को 31 हजार 801 लोग संक्रमित पाए गए हैं, वहीं 26 और 25 अगस्त को कोविड के मामलों की संख्या 30 हजार 77 व 31 हजार 445 थी. केरल में कोविड की वजह से मौत के आगोश में समाने वाले लोगों की संख्या में भी पिछले तीन दिनों में इज़ाफा देखा गया है. ज़ाहिर है केरल में 27 अगस्त को 179,26 अगस्त को 162 और 25 अगस्त को मरने वालों की संख्या 215 के करीब थी. इससे समझा जा सकता है कि देश में केरल के हालात अन्य राज्यों की तुलना में कहीं खराब है जहां संक्रमित लोगों की संख्या और मरने वालों की संख्या दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की तुलना में कहीं ज्यादा है.
महाराष्ट्र में लगातार सुधार हो रहा
केरल की तुलना में पिछले तीन दिनों में महाराष्ट्र ही ऐसा राज्य है जहां 27,26 और 25 अगस्त को मरने वालों की संख्या 170,159 और 216 थी जबकि 27,26 और 25 अगस्त को संक्रमित लोगों की संख्या महाराष्ट्र में भी 27,26 और 25 अगस्त को महज 4654,5108 और 5031 थी. ज़ाहिर है महाराष्ट्र जैसे घने और बड़े राज्यों की तुलना में भी संक्रमित लोगों की संख्या केरल में कहीं ज्यादा बढ़ रही है, जबकि मरने वालों की संख्या में मामूली फर्क है. ऐसे में कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र दूसरी लहर के खात्मा की ओर तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन केरल में संक्रमित लोगों की संख्या में इज़ाफा के साथ साथ मृतकों की संख्याओं में भी लगातार इजाफा हो रहा है.
यूपी, एमपी, गुजरात, राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में पिछले तीन दिन का रिकॉर्ड देखें तो कोविड की वजह से मरने वालों की संख्या एमपी, राज्स्थान में शून्य गुजरात और दिल्ली में एक और यूपी में दो है. इनमें से किसी राज्य में संक्रमित लोगों की संख्या पिछले तीन दिनों की कुल संख्या जोड़ भी दी जाए दिल्ली के अलावा सौ का आंकड़ा छू नहीं पा रहा है. ऐसे में केरल भारत सरकार के लिए परेशानी का सबब बन चुका है. गुरुवार को भारत के गृह सचिव ने राज्य के मुख्य सचिव से बात कर नाइट कर्फ्यू के विकल्प को अपनाने की सलाह दी थी और राज्य के लागातार खराब हालात के लिए चिंता प्रकट की थी.
त्योहारों में ढिलाई की वजह से कोरोना मामलों में बढ़ोतरी
ओनम और बकरीद में राज्य सरकार के रवैये ने साफ कर दिया कि सरकार लोगों के स्वास्थ्य से ज्यादा सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के पीछे भाग रही है. एक तरफ महाराष्ट्र ने गणेश चतुर्थी और दही हांडी फैस्टिवल से पहले तगड़ा प्रतिबंध लगाया, लेकिन ओनम के बाद केरल के आंकड़े राज्य सरकार की कोविड को लेकर प्रतिबद्धता पर गहरे सवाल खड़े करती है. ताजा आंकड़े पर गौर करें तो कुल 509 लोगों की कोविड से हुई मौत में 179 मौतें सिर्फ केरल में हुई हैं, जबकि 170 मौतें महाराष्ट्र में हुई हैं.
सीएसआईआर के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स और इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के सर्वे के मुताबिक, 95 फीसदी सैम्पल्स में डेल्टा वेरिएंट मिल रहे हैं जो कि अन्य वेरिएंट की तुलना में कहीं ज्यादा संक्रामक माना जाता है. डेल्टा वेरिएंट से ग्रसित रोगियों में हॉस्पिटलाइजेशन की गुंजाइश बढ़ जाती है और ये मौत का कारक हो सकता है. इसलिए 25 अगस्त को भारत में हुए कुल 605 मौत में 215 और 28 अगस्त को भारत में हुई कुल 509 मौतों में 179 मौतें केरल की स्थितियों की भयावहता बखूबी बयां करती है. ऐसे में सवाल उठता है सरकार द्वारा त्योहारों में ढीले रवैए की वजह से केरल में केसेज थमने की बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं.
केरल के इन जिलों में कोविड के मामलो में रिकॉर्ड बढ़ोतरी राज्य की स्थितियों का बखूबी चित्रण करती हैं. 26 अगस्त को इरनाकुलम में 4048, थ्रीसूर में 3865, कोजिकोड में 3680, मल्लापुरम में 3502, पालाकाड में 2562, कोलाम 2479, कोटायाम 2050, कन्नूर 1930, अलाप्पुजहा 1874, थिरुवंतपूरम 1700, इड्डुकी 1166, पठानामथित्ता 1008 और वायनाड 962 मामले राज्य की असली कहानी खुद ब खुद बयां करती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि केन्द्र सरकार के लगातार आग्रह के बावजूद राज्य सरकार कोविड के मामलों में सतर्कता बरतने से क्यों बच रही है.
जेनेटिक इंजीनियरिंग में पीचडी कर चुके डॉ संजय कुमार सिंह कहते हैं कि केरल में दूसरी लहर थमने का नाम नहीं ले रही है वहीं राज्य सरकार का रवैया भी कोविड को लेकर ढीला रहा है जो केन्द्र सरकार की एक रिपोर्ट में सामने भी आ चुका है. ऐसे में अन्य राज्यों की बेहतरी के लिए केरल के बॉर्डर को तब तक सील किया जाना चाहिए जब तक वहां केसेज कम नहीं हो जाते हैं. TV9 के सीइओ बरुण दास ने केरल के सीएम से ट्वीट कर आग्रह किया है कि राज्य में पूरी कड़ाई से लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए. साथ ही बॉर्डर को सील तब तक रखा जाना चाहिए जब तक कि मामले 10 हजार के पास न पहुंच जाएं.
केरल आंकड़ों की बाजीगरी से बचे और देश की प्रति जिम्मेदारी को समझे
केरल के पैरोकार इस बात पर पीठ थपथपाते हैं कि केरल में 6 कोविड पीड़ितों में 1 की पहचान कर ली जाती है, जबकि देश में एक की पहचान 33 लोगों में हो पाती है. आंकड़ों के साथ बाजीगरी और अपनी सुविधाओं के मुताबिक उसका आंकलन राजनीतिक लाभ भले ही पहुंचा सकता हो, लेकिन इससे होने वाले नुकसान को कम नहीं किया जा सकता. केन्द्र सरकार द्वारा बताए गए कोविड प्रोटकॉल का सख्ती से पालन जिनमें मास्क सहित सोशल डिस्टेंसिंग और वैक्सीनेशन शामिल है उसको ज़मीन पर पुख्ता रूप से लागू किया जाना बेहद जरूरी है. केरल जैसे राज्य को ये नहीं भूलना चाहिए कि अब 95 फीसदी कोविड पॉजिटिव मामले डेल्टा वेरिएंट के सामने आ रहे हैं जहां संक्रमण की रफ्तार सहित हॉस्पिटलाइजेशन और मौत की संख्या में बढ़ोतरी देखा जाना स्वाभाविक है. ऐसे में राज्य ही नहीं बल्कि देश के लिए केरल राज्य सुपर स्प्रेडर की तरह काम न करे इसकी जवाबदारी भी राज्य सरकार की बनती है. ध्यान रहे हेल्थ राज्य का विषय है और केन्द्र की भूमिका इन मामलो में सीमित होती है.
आईसीएमआर द्वारा कराए गए सीरो सर्वे में भी साफ हो चुका था कि केरल में 42.7 फीसदी लोगों में ही एंटीबॉडी मौजूद है इसलिए राज्य की लगभग 57 फीसदी आबादी वलनरेबल है इसका ध्यान रखा जाना चाहिए. इसलिए राज्य को बेहद सजग, सावधान और कड़े तौर तरीकों का पालन करते हुए राज्य के लोगों को ही नहीं बल्कि देश के लोगों की सुरक्षा के लिए भी समुचित कदम उठाना चाहिए.