कामयाबी के मोर्चे

इस परीक्षण को इसलिए ज्यादा महत्त्व दिया जा रहा है कि इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता है। गौरतलब है कि आइएनएस अरिहंत रणनीतिक लिहाज से भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण पनडुब्बी है और जलक्षेत्र में युद्ध के मद्देनजर इसकी उपयोगिता जगजाहिर रही है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस मिसाइल का परीक्षण पूर्व निर्धारित सीमा तक किया गया।

Update: 2022-10-17 05:18 GMT

Written by जनसत्ता: इस परीक्षण को इसलिए ज्यादा महत्त्व दिया जा रहा है कि इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता है। गौरतलब है कि आइएनएस अरिहंत रणनीतिक लिहाज से भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण पनडुब्बी है और जलक्षेत्र में युद्ध के मद्देनजर इसकी उपयोगिता जगजाहिर रही है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस मिसाइल का परीक्षण पूर्व निर्धारित सीमा तक किया गया।

इसने बंगाल की खाड़ी में तय लक्ष्य पर जो निशाना साधा, वह पूरी तरह सटीक रहा। इससे पहले परीक्षण निश्चित पानी के नीचे के पोंटून से किए गए थे, लेकिन इस बार पनडुब्बी के जरिए ही मिसाइल छोड़ा गया। इसके अलावा, मिसाइल परीक्षण ने अपने सभी परिचालन और तकनीकी मानकों को पूरा किया। इस सफल परीक्षण से यह भी साबित हुआ कि अब स्वदेशी आइएनएस अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियां दुश्मनों की किसी भी तरह की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।

दरअसल, मौजूदा विश्व के बदलते आयाम के बीच समंदर और इसकी सतह के नीचे की क्षमताओं पर भी किसी युद्ध के नतीजे निर्भर करेंगे। पिछले कुछ सालों से भारत अपने आसपास जिस तरह की चुनौतियों से घिरा है और खासतौर पर चीन और पाकिस्तान का जैसा रुख सामने आता रहा है, उसमें हर मोर्चे पर बरती गई सावधानी ही एक सबसे अहम मोर्चा है। यों सैन्य संसाधनों के मामले में भारत पहले भी कमजोर नहीं रहा है, लेकिन अब नए और ज्यादा क्षमता वाले हथियारों से लैस होने की ओर बढ़ते कदम ने युद्ध की स्थिति में नया भरोसा पैदा किया है।

आइएनएस अरिहंत की पनडुब्बी से किया गया ताजा परीक्षण भी इस लिहाज से एक बड़ी जरूरत को पूरा करता है कि मोर्चे पर तैनाती के बाद भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां जल क्षेत्र से सीधे चीन और पाकिस्तान को निशाना बना सकती हैं। एक अहम तथ्य यह भी है कि भारत अब अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के बाद बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस परमाणु शक्ति संपन्न पनडुब्बी रखने वाला दुनिया का छठा देश हो गया है। यानी कहा जा सकता है कि इस मामले में हमारा देश दुनिया की सैन्य महाशक्तियों की श्रेणी में खड़ा हो गया है।

यों भारत अपनी ओर से युद्ध जैसे हालात पैदा करने की कोशिश कभी नहीं करता है, लेकिन अपनी सीमाओं को सुरक्षित बनाना किसी भी संप्रभु देश का पहला दायित्व है। भारत को यह सावधानी बरतने की जरूरत खासतौर पर दो पड़ोसियों- चीन और पाकिस्तान की वजह से पड़ती रहती है। इन दोनों देशों की ओर से बिना किसी उकसावे या वजह के भी सैन्य मोर्चों पर जिस तरह की हरकतें सामने आती रही हैं, उसमें अगर भारत अपनी ओर से सावधान न रहे तो इसका बड़ा खमियाजा उठाना पड़ सकता है।

यह पिछले कुछ सालों में अक्सर साबित होता रहा है, जब चीन मनमानी तरीके से भारतीय इलाकों में घुसपैठ करता या सैन्य दखल देता है या फिर पाकिस्तान सीमा पर अकारण गोलीबारी करने से लेकर आतंकवादियों को चुपके से सीमा पार कराने की कोशिश करता है। अगर किन्हीं हालात में ऐसे टकराव का विस्तार हुआ तो एक अहम मोर्चा जल सेना को भी लेना होगा। खासतौर पर परमाणु हथियारों की होड़ के दौर में हर स्तर पर तैयार रहना वक्त की जरूरत है और इसीलिए आइएनएस अरिहंत से बैलिस्टिक मिसाइल के सफल परीक्षण की अपनी अहमियत है।


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