सबसे बड़ा संकट तो गरीबों को रोटी का है। कोरोना से दिहाड़ी मजदूर और अन्य निम्न वर्गीय श्रमिकों के कामकाज प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए नरेन्द्र मोदी सरकार ने 26 हजार करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की है। इस राशि से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मई व जून में गरीबों को पांच-पांच किलो मुफ्त अनाज वितरित किया जाएगा। पिछले वर्ष अप्रैल से लेकर नवम्बर तक इस योजना के तहत मुफ्त राशन का वितरण किया गया था। सरकार की घोषणा के मुताबिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत आने वाली लगभग 80 करोड़ गरीब जनता को इसका लाभ मिलेगा। यह अनाज सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले अनाज के अतिरिक्त होगा। वहीं विभिन्न राज्यों में लाॅकडाउन जैसी स्थिति देख वित्त मंत्रालय में अन्य राहत पैकेज पर गम्भीरता से विचार किया जा रहा है। इनमें लोन मोरेटोरियम आैर बिना गारंटी लोन का विस्तार जैसे कदम शामिल हैं। सरकार द्वारा मनरेगा के फंड में भी बढ़ौतरी की जा सकती है। उद्योग संगठनों की तरफ से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि आगामी दो-तीन सप्ताह तक कोरोना संक्रमण की यही हालत रही तो उत्पादन में 25 फीसदी की कटौती करनी पड़ सकती है। दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था के लगने वाली चोट का असर घटाने के लिए सरकार को जल्द उचित मदद और सुधार के कदम उठाने होंगे। देश की गरीब जनता को मुफ्त में राशन देने का कदम सरकार का सही फैसला है।
सरकार के सामने महामारी रोकने के साथ राहत पहुंचाने के लिए संसाधन को खर्च करने का दबाव लगातर बढ़ता जा रहा है। जब हमारी अर्थव्यवस्था में सुधार का अवसर आएगा तब गरीबी और कम आमदनी की चुनौती भी गम्भीर रूप से सामने होगी। ऐसे में मध्य आय वर्ग को सम्भालने के लिए सरकार और उद्योग व वित्त जगत को पहल करनी होगी।
सरकार इस संकट की घड़ी में हर वर्ग को राहत पहुंचाने का काम कर रही है लेकिन इस संकट में देशवासियों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह समाज को राहत पहुंचाने का काम करें। सामाजिक, धार्मिक और अन्य स्वयंसेवी संगठनों को पिछले वर्ष की तरह एक बार फिर गरीब और निम्न आय वर्ग को राहत पहुंचाने के लिए युद्ध स्तर पर जुटना होगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि कोरोना की पहली लहर के दौरान प्रवासी मजदूरों को भोजन उपलब्ध कराने में राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने एकजुटता का परिचय देकर अभूतपूर्व काम किया था।
कई राज्य सरकारों ने पंजीकृत निर्माण मजदूरों को राहत पहुंचाने के लिए उनके खाते में पैसे डालने का ऐलान किया है। पिछले वर्ष भी श्रमिकों, स्ट्रीट वेंडरों, रिक्शा चालकों, कुलियों, पल्लेदारों आदि को भरण-पोषण भत्ता देने का काम राज्य सरकारों ने किया था। संगठित क्षेत्र के साथ-साथ असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को भी भरण-भोषण भत्ता भी दिया था। मोदी सरकार तो हर चुनौती का सामना कर रही है लेकिन हम सब का दायित्व है कि संयम और धैर्य के साथ बुरे वक्त का सामना करें और अपने सामर्थ्य अनुसार लोगों की मदद करें ताकि कोई भूखा न सोये। अगर मिलकर महामारी से लड़ेंगे तो जल्द ही पुनः जीत भी जाएंगे।