बेनकाब पाक

पाकिस्तान ने अतंत: इस हकीकत को स्वीकार कर ही लिया कि पिछले साल फरवरी में पुलवामा कांड उसी ने करवाया था।

Update: 2020-10-31 14:52 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान ने अतंत: इस हकीकत को स्वीकार कर ही लिया कि पिछले साल फरवरी में पुलवामा कांड उसी ने करवाया था। इमरान खान सरकार के मंत्री फवाद चौधरी की इस सनसनीखेज स्वीकारोक्ति ने पाकिस्तान को एक बार फिर बेनकाब कर डाला। महत्त्वपूर्ण तो यह है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री चौधरी ने यह बात कहीं चलते-फिरते किसी हल्के-फुल्के अंदाज में नहीं कही, बल्कि संसद में चर्चा के दौरान विपक्ष को बताया कि पुलवामा में आत्मघाती हमला इमरान सरकार की सबसे बड़ी कामयाबी रही।

उन्होंने कहा- 'हमने हिंदुस्तान को घुस कर मारा। पुलवामा में हमारी जो कामयाबी है, वह इमरान खान के नेतृत्व में पूरी कौम की कामयाबी है'। पाकिस्तान सरकार के मंत्री के इस सच्चाई को स्वीकार करने के बाद भारत को अब इस बात का सबूत देने की कोई जरूरत नहीं रह जाती कि पुलवामा हमला किसने करवाया। पुलवामा जिले में पिछले साल 14 फरवरी को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में चालीस से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे और इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।

पाकिस्तानी मंत्री का बयान ही इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि भारत में अशांति और अस्थिरता फैलाने के पीछे पाकिस्तान है। हालांकि यह कोई छिपी बात नहीं रह गई है और वर्षों से दुनिया देख रही है कि कैसे पाकिस्तान भारत को अपने निशाने पर लिए हुए है। चाहे संसद पर हमले की घटना हो या मुंबई का आतंकी हमला, या फिर पठानकोट और उड़ी में वायुसेना के ठिकानों पर आतंकी हमले, ये सारे हमले पाकिस्तान ने करवाए हैं। भारत ने हर हमले के विस्तृत सबूत पाकिस्तान को दिए हैं और गुनहगारों को सौंपने की मांग की है।

लेकिन पाकिस्तान हमेशा भारत के आरोपों और सबूतों को नकारता रहा है। लेकिन अब तो इमरान खान के मंत्री खुद ही बता रहे हैं कि उनकी सरकार की उपलब्धियां क्या हैं। हाल में पाकिस्तान मुसलिम लीग (नवाज) के एक सांसद एयाज सादिक ने यह रहस्योद्घाटन किया कि विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई को लेकर सेना प्रमुख से लेकर विदेश मंत्री तक किस कदर घबराए हुए थे। इसमें कोई संदेह नहीं कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान की सरकार और राजनीतिक दलों के भीतर से ऐसी ही और आवाजें सुनने को मिलें और सरकार के नुमाइंदे ही अपनी सेना, खुफिया एजेंसी आइएसआइ और सरकार को बेनकाब करते रहें।

भारत तीन दशकों से भी ज्यादा समय से सीमापार आतंकवाद की मार झेल रहा है। पाकिस्तान ने पहले पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन को हवा दी और आतंकवाद फैलाया और उसके बाद कश्मीर को निशाना बनाया। यह तो हकीकत है कि आतंकवाद पाकिस्तान की सरकारी नीति है। इसीलिए उसका करीबी मददगार अमेरिका तक उसे आतंकवाद का गढ़ कहता रहा है।

कश्मीर में घुसपैठ और संघर्ष विराम की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है और पाकिस्तान की ओर से होती रहने वाली गोलीबारी में बेगुनाह लोग मारे जा रहे हैं। चीनी ड्रोनों की मदद से कश्मीर में आतंकियों को हथियार पहुंचाए जा रहे हैं। हाल में दिल्ली में अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्री की भारतीय समकक्षों के साथ हुई बैठकों में भी सीमापार आतंकवाद का मुद्दा उठा।

पाकिस्तानी मंत्री के कबूलनामे से एक बात तो साफ हुई है कि आतंकवादी संगठनों पर पाकिस्तान सरकार पूरी तरह से मेहरबान है। वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीए) के दबाव के बावजूद आतंकी संगठनों का पनपना सरकार की मंशा को उजागर करता है। आतंकी हमलों को लेकर भारत पाकिस्तान को जो सबूत देता रहा है, उन पर उसी के मंत्री अब मुहर लगाते हुए भारत के आरोपों को पुष्टि दे रहे हैं।

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