परीक्षा कराए जाने का प्रश्न: राज्य बोर्डों की 12वीं की परीक्षाएं कराने-न कराने का फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया गया
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई की 12वीं की परीक्षाओं के संदर्भ में फैसला लेने के लिए बुलाई गई बैठक भले ही किसी नतीजे पर न पहुंची हो, लेकिन ऐसा लगता है
भूपेंद्र सिंह | केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई की 12वीं की परीक्षाओं के संदर्भ में फैसला लेने के लिए बुलाई गई बैठक भले ही किसी नतीजे पर न पहुंची हो, लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्रीय मंत्रियों समेत कुछ राज्यों के शिक्षा मंत्री इस निष्कर्ष पर पहुंच रहे हैं कि ये परीक्षाएं कराई जानी चाहिए। इन परीक्षाओं के आयोजन को लेकर अंतिम फैसला कुछ भी हो, पहली प्राथमिकता परीक्षाएं कराने की संभावनाएं टटोलने की होनी चाहिए, क्योंकि ये छात्रों के भविष्य निर्धारण में महती भूमिका निभाती हैं। इनके जरिये छात्रों की मेधा का न केवल वास्तविक मूल्यांकन होता है, बल्कि यह भी तय होता है कि उन्हेंं आगे क्या और कहां पढ़ाई करनी चाहिए? इसी कारण कोरोना की दूसरी लहर के सिर उठा लेने पर यह फैसला किया गया था कि सीबीएसई के 10वीं के छात्रों को तो आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर बिना परीक्षा पास कर दिया जाएगा, लेकिन परिस्थितियां अनुकूल रहने पर 12वीं की परीक्षाएं कराई जाएंगी। फिलहाल कहना कठिन है कि आगे क्या स्थिति बनेगी, लेकिन अभी ऐसा लग रहा है कि जुलाई तक हालात सामान्य हो जाएंगे और तब कोविड प्रोटोकाल का सख्ती से पालन करते हुए परीक्षाएं कराई जा सकती हैं। कोरोना संक्रमण के मामले जिस तेजी से कम हो रहे हैं, उससे 15 जुलाई के बाद परीक्षाएं कराने के आसार बनते दिख रहे हैं। इसके बावजूद सभी विकल्प खुले रखे जाने चाहिए।