अंतरिक्ष में यूरोप

अंतरिक्ष अभियानों का वैज्ञानिक ही नहीं, बहुआयामी महत्व होता है

Update: 2021-06-13 16:55 GMT

अंतरिक्ष अभियानों का वैज्ञानिक ही नहीं, बहुआयामी महत्व होता है। यह उत्साहजनक है कि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) ने तीन व्यापक अंतरिक्ष अभियानों की घोषणा की है। एक अरब यूरो से ज्यादा इन अभियानों पर खर्च होंगे और ये अभियान 2035 से 2050 के बीच साकार होंगे। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी बृहस्पति व शनि ग्रह के आसपास के बर्फीले चंद्रमाओं को करीब से देखने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। इन ग्रहों और इनके चंद्रमाओं के आसपास के वायुमंडल की पड़ताल जरूरी है। सितारों, आकाशगंगाओं और ब्लैक होल की दिशा में भी खोज का लक्ष्य है। यूरोप की अंतरिक्ष योजनाएं काफी महत्वाकांक्षी और अनुकरणीय हैं। ईएसए के विज्ञान निदेशक गुंथर हसिंगर ने एक बयान में कहा है, 'हमें उन मिशनों के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी की योजना बनानी चाहिए, जिन्हें हम आज से दशकों बाद लॉन्च करना चाहते हैं।' वाकई ऐसे अभियानों में वक्त लगता है। ईएसए लगभग हर दशक या दो दशक में विज्ञान अभियान की नई इबारत लिखना चाहता है। कॉस्मिक विजन नामक वर्तमान कार्यक्रम में तीन प्रमुख अभियान हैं- बृहस्पति व शनि के चंद्रमाओं के अध्ययन के लिए एक अंतरिक्ष यान, एक एक्स-रे टेलीस्कोप और एक गुरुत्वाकर्षण तरंग डिटेक्टर अभियान।

यह प्रशंसा की बात है कि यूरोपीय देशों की लंबी-चौड़ी टीम अंतरिक्ष विज्ञान की दिशा में दिन-रात तरक्की में जुटी है। यूरोप भी सौर मंडल में जीवन की तलाश के लिए उत्सुक है। यूरोपीय वैज्ञानिकों को लगता है कि उन चंद्रमाओं के जमे हुए गोले के नीचे पानी के महासागर छिपे हो सकते हैं। इस अभियान में इन चंद्रमाओं की न सिर्फ परिक्रमा संभव बनाई जाएगी, बल्कि इसमें लैंडर और ड्रोन भी शामिल होंगे। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों के बीच दूसरे ग्रहों के चंद्रमाओं को लेकर बड़ी जिज्ञासा रही है। एजेंसी ने वर्ष 2005 में भी शनि के चंद्रमा टाइटन पर अपने अभियान को आगे बढ़ाया था। यूरोपीय एजेंसी के अलावा नासा भी चंद्रमाओं और उन पर जीवन की खोज में जुटा है। यूरोपीय वैज्ञानिक प्रारंभिक ब्रह्मांड की भी जांच करना चाहते हैं। ब्रह्मांड के विस्तार और आकाशगंगाओं के गठन की पड़ताल आने वाले वर्षों में बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है। वैज्ञानिकों ने जिज्ञासा की लंबी सूची तैयार कर रखी है, वे अपने अभियान में किसी भी संभावना को खारिज नहीं करना चाहते।
यूरोप की ये कोशिशें दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। विशेषकर चीन की ओर से मिल रही चुनौतियों के कारण नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी पर दबाव है। चीन अपने अंतरिक्ष अभियान में अभी अमेरिका और यूरोप से आगे निकलता दिख रहा है या वह अपने को इस मोर्चे पर सबसे आगे दिखाना चाहता है। ऐसे में, यह जरूरी है कि दुनिया के दूसरे सक्षम देश भी अपने-अपने अंतरिक्ष अभियान को तेज करें। अंतरिक्ष अभियानों की सफलता से संबंधित देश को स्वाभाविक मजबूती मिलती है। इसमें कोई शक नहीं कि अंतरिक्ष में जिसकी ज्यादा पैठ होगी, उसका डंका दुनिया में बजेगा। अमेरिका अगर सुपरपावर कहलाया, तो इसीलिए कि वह चांद और अंतरिक्ष में बेमिसाल सफलताएं हासिल कर सका। यूरोप की कोशिश की सराहना इसलिए भी होनी चाहिए कि ये देश मिलकर चल रहे हैं, यह दुनिया के संघर्षरत अशांत क्षेत्रों के लिए स्वत: प्रेरणा है।
क्रेडिट बाय लाइव हिंदुस्तान 
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