Editorial: तजकिरा ई- पत्रिका

Update: 2024-09-13 11:10 GMT
Editorial: तज़किरा के तमाम कालमों का मक़सद इतिहास, संस्कृति, साहित्य, समाजिकी, राजनीति व अन्य संगत विषयों पर आधारित लेख, कहानी, कविता, समीक्षा, संस्मरण, आदि की पाठकों तक रसाई को आसान करना है। इसके ‘इज़हार’ कालम का मक़सद, सामयिक विषयों पर तज़किरा के दृष्टिकोण के तहत महत्वपूर्ण घटनाओं का विश्लेषण किया जाना है। ‘विमर्श’ कालम के तहत उन विषयों को जगह दी जा रही है जो दक्षिणपंथ की समस्त धाराओं द्वारा स्थापित ‘इमेज‘ को ‘डाइलूट‘ कर सकें। विमर्श कालम में ज़रुरत के तहत सात लेखों को रखा गया है।
तज़किरा के ‘साहित्य-अदब’ कालम में मुस्लिम सामाजिक भेदभाव पर आधारित एक कहानी, एक अज़रबैजानी कहानी और तीन छोटी कहानियों के साथ उर्दू व हिन्दी से पांच कवियों की तज़किरा वैचारिकी विषयक कविताओं को रखा गया है। पत्रिका के प्रवेशांक के कालम-कला एवं संस्कृति में विश्व स्तरीय चित्रकार, ख़त्तात व शायर सादक़ैन अमरोहवी के साथ हिन्दुस्तानी रंगमंच की विश्व विख्यात शख़्सित हबीब तनवीर की जन्म शताब्दी की मुनासिबत से मज़मून शामिल किए गए हैं। पुस्तक समीक्षा के अंतर्गत तीन किताबों - ‘ओपन टू रीज़न‘, फ़िलिस्तीनी कविताएं: घर लौटने का सपना (कविता संग्रह) और उर्दू नॉवेल ‘सफ़र की तौहीन‘ की समीक्षाओं को जगह दी गयी है।
प्रवेशांक आप के हाथ में है।
इस सम्बंध में आपकी बहुमूल्य राय, बौद्धिक, क़लमी योगदान की ज़रूरत रहेगी। आशा करते हैं कि आप हमारे इस क़दम की सराहना करते हुए आवश्यक प्रतिक्रियाओं से नवाज़ने की ज़हमत करेंगे।
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