फेमिन में ड्यूटी
ड्यूटी तो वे कर रहे थे, लेकिन वे संतुष्ट नहीं थे। सदैव परेशान रहना तथा अभावों से घिरे रहना ही हो पाता था
ड्यूटी तो वे कर रहे थे, लेकिन वे संतुष्ट नहीं थे। सदैव परेशान रहना तथा अभावों से घिरे रहना ही हो पाता था इस ड्यूटी से। वे इनसे निजात चाहते थे। उन्हें पता लग गया था कि अच्छे लोगों की सरकार को तलाश है ताकि उन्हें अकाल पीडि़त क्षेत्रों में लगाया जा सके। वे भी उनकी सेवा करके इस जन्म को सार्थक कर लेना चाहते थे। परंतु फेमिन में ड्यूटी लगवाना आसान नहीं था। बड़ी एप्रोच की आवश्यकता थी। जिनकी ड्यूटी लगी थी, वे एक माह में ही टमाटर की तरह लाल हो गए थे। बस यही भाव उन्हें सालता था और वे सदैव इस बात के लिए प्रेरित रहने लगे थे कि उनकी ड्यूटी फेमिन में लग जाए। सुबह-सुबह ही आए मेरे घर और बोले-'शर्मा कोई जुगाड़ बैठाओ।' मैंने पूछा-'किस बात का?' वे बोले-'यार मेरी ड्यूटी फेमिन में लगवा दो तो तुम्हारा अहसान जीवन भर नहीं भूलूँगा। मेरी हालत तो तुम जानते हो। हम लोग हर चीज के लिए मोहताज हैं। यदि अकाल पीडि़त क्षेत्र में ड्यूटी लग गई तो बहती गंगा में हाथ मैं भी धो लूं।' 'लेकिन बिट्ठल भाई तुम्हारा तो मिशनरी सेवा भाव कोई इतिहास ही नहीं रहा। कल कहीं से कोशिश कर-कराके तुम्हारी वहां ड्यूटी लगवा दी जाए तो तुम क्या कर पाओगे?
सोर्स- divyahimachal