कुशलता के चालक

हवाई जहाजों के परिचालन में चालकों की कुशलता सबसे अहम होती है। हालांकि हमारे यहां व्यावसायिक विमान चालकों के प्रशिक्षण केंद्र बढ़े हैं और उनमें से काफी युवा पायलट के तौर पर निकलते हैं।

Update: 2022-04-15 04:26 GMT

Written by जनसत्ता: हवाई जहाजों के परिचालन में चालकों की कुशलता सबसे अहम होती है। हालांकि हमारे यहां व्यावसायिक विमान चालकों के प्रशिक्षण केंद्र बढ़े हैं और उनमें से काफी युवा पायलट के तौर पर निकलते हैं। पिछले कुछ सालों में विमानन सेवा में प्रतिस्पर्धा बढ़ने और अनेक देशी-विदेशी कंपनियों के इस क्षेत्र में उतर आने की वजह से विमान चालकों की मांग भी काफी बढ़ी है। मगर हकीकत यह है कि अभी हमारे यहां सभी तरह के विमान उड़ाने वाले चालकों की कमी है। बहुत सारे चालक खराब मौसम और छोटी हवाई पट््टी पर विमान उतारने में सक्षम नहीं हैं।

कई विमान विशेष तकनीक से लैस हैं और उनमें थोड़े-थोड़े समय पर तकनीकी बदलाव होते रहते हैं, उन बदलाओं की जानकारी भी बहुत सारे चालकों को नहीं है। यही वजह है कि नागर विमानन महानिदेशालय यानी डीजीसीए ने स्पाइस जेट विमान कंपनी के नब्बे चालकों को 737 मैक्स विमान उड़ाने के अयोग्य करार दिया। दरअसल, इस विमान में विशेष तकनीक का उपयोग हुआ है और जिन चालकों को इसे उड़ाने से रोका गया, उन्हें इस तकनीक का उचित प्रशिक्षण नहीं है। उन्हें संतोषजनक प्रशिक्षण लेने को कहा गया है।

करीब तीन साल पहले अदीस अबाबा के पास इथियोपियन कंपनी का मैक्स विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, तब डीजीसीए ने इस विमान की उड़ान ही बंद कर दी थी। फिर जब इसके साफ्टवेयर में बदलाव किया गया, तो इसे उड़ान भरने की इजाजत दी गई। स्पाइस जेट के बेड़े में ग्यारह मैक्स विमान हैं।

दरअसल, डीजीसीए हवाई उड़ानों को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने के मकसद से समय-समय पर पायलटों की कुशलता का मूल्यांकन करता रहता है। उसी के तहत स्पाइसजेट के पायलटों पर रोक लगाई गई है। हालांकि इस रोक के बावजूद स्पाइस जेट कंपनी पर मैक्स विमानों के परिचालन में कोई अड़चन नहीं आएगी, क्योंकि उसके पास जरूरत से कहीं अधिक प्रशिक्षित चालक हैं। दरअसल, विमानन कंपनियां आजकल स्थायी चालक नियुक्त करने के बजाय घंटे के हिसाब से भुगतान पर व्यावसायिक पायलटों को रखती हैं।

इस तरह उनके पास पायलटों की अच्छी-खासी तादाद होती है। मगर भारतीय चालकों में बहुत सारे ऐसे हैं, जिन्हें विमान उड़ाने की बुनियादी जानकारी तो है, पर लंबी दूरी के विमान उड़ाने में उनकी वह जानकारी काम नहीं आती। घरेलू और बाहरी देशों के लिए संचालित विमानों को उड़ाने में बहुत अंतर होता है। प्राय: विदेशी उड़ानों के लिए अत्याधुनिक तकनीक और अधिक क्षमता वाले विमान इस्तेमाल होते हैं और अलग-अगल देशों की भौगोलिक बनावट और मौसम के अनुसार उन्हें उड़ाने की अपेक्षा होती है। इसमें कई चालक कुशल साबित नहीं होते।

अक्सर सर्दी के मौसम में जब घना कोहरा होता है, तो उड़ानें देर से चलती हैं, उन्हें कई बार रद्द करना पड़ता है या कभी-कभार उतरते समय हवाई पट्टी पर उनके फिसलने की घटनाएं भी सामने आती हैं। इसलिए कि कम दृश्यता में विमान उतारने का प्रशिक्षण कम चालकों को है। कहने-सुनने में यह प्रशिक्षण साधारण-सा लग सकता है, मगर इसके लिए विदेशी प्रशिक्षण केंद्रों में लाखों की रकम चुकानी पड़ती है, जो हर चालक के लिए संभव नहीं हो पाता। इसी तरह अलग-अलग विमानों को उड़ाने के प्रशिक्षण दिए जाते हैं। इनके लिए अलग-अलग शुल्क चुकाना हर चालक के वश की बात नहीं होती। इसलिए भारत में जब तक हर तरह के विमान उड़ाने के प्रशिक्षण नहीं उपलब्ध होते, तब तक बड़ी संख्या में पूरी तरह दक्ष चालकों की उम्मीद नहीं की जा सकती।


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