माहौल ना बिगड़े

सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की अर्जी पर जिस तरह का सख्त रवैया दिखाया है, वह असाधारण भले हो, अस्वाभाविक नहीं है। नूपुर शर्मा यह अर्जी लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं कि उनके खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में जो एफआईआर फाइल की गई हैं

Update: 2022-07-02 03:46 GMT

नवभारत टाइम्स: सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की अर्जी पर जिस तरह का सख्त रवैया दिखाया है, वह असाधारण भले हो, अस्वाभाविक नहीं है। नूपुर शर्मा यह अर्जी लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं कि उनके खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में जो एफआईआर फाइल की गई हैं, उन सबको क्लब कर दिया जाए और जांच दिल्ली पुलिस को सौंप दी जाए। कोर्ट ने न केवल इस अर्जी को स्वीकार करने से ही इनकार कर दिया बल्कि नूपुर शर्मा के विवादित बयान की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा कि उसके लिए उन्हें टीवी पर आकर पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। गौर करने लायक है कि इस संदर्भ में नूपुर शर्मा के वकील की उनके जीवन को खतरा होने की दलील भी सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए ठुकरा दी कि उन्हें खतरा है या वह खुद खतरा बन गई हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि आज देश में जिस तरह का माहौल बन गया है, उसके लिए पूरी तरह से नूपुर शर्मा ही जिम्मेदार हैं। इसके बाद यह पूछा जा रहा है कि दिल्ली पुलिस ने नूपुर शर्मा को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया?

दरअसल, इस पूरे विवाद की शुरुआत एक टीवी शो के दौरान तत्कालीन बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद साहब पर की गई एक टिप्पणी से हुई। उस टिप्पणी की खासतौर पर इस्लामिक देशों में तीखी प्रतिक्रिया हुई। इसके बाद बीजेपी ने टिप्पणी करने वाले और उसका समर्थन करने वाले दोनों प्रवक्ताओं को पार्टी से सस्पेंड कर दिया। भारत सरकार ने भी स्पष्ट किया कि यह पार्टी या सरकार के आधिकारिक मत का प्रतिनिधित्व नहीं करता। इसके बाद यह विवाद खत्म हो जाना चाहिए था, लेकिन इसके बाद नूपुर के बयान पर राजनीति शुरू हो गई। देश में कई जगहों पर प्रदर्शन हुए। हाल में उदयपुर में एक दर्जी की हत्या कर दी गई, जिसमें अब सीमा पार से आतंकवाद का पहलू भी सामने आ रहा है। इस बात में कोई शक नहीं है कि राजनीतिक दलों में जिम्मेदार पदों पर बैठने वालों को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए, जिससे देश का माहौल बिगड़े। यह बात जितनी सत्ता पक्ष के लिए सही है, उतनी ही विपक्ष के लिए भी। दोनों को अमन-चैन बनाए रखने की कोशिश करनी होगी क्योंकि ऐसा ना होने पर देशविरोधी तत्व फायदा उठा सकते हैं। कुछ समय पहले हेट स्पीच को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया था। तब उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने भी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। जिन मुद्दों से सांप्रदायिक सौहार्द या देश में शांतिपूर्ण माहौल बिगड़ने का डर हो, उन्हें तुरंत खत्म करने की पहल की जानी चाहिए। तभी देश सबका साथ, सबका विकास के नारे पर आगे बढ़ पाएगा।


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