भव्य शादी में अपने और मेहमानों के कीमती सामान की सुरक्षा के लिए किसी सिक्योरिटी सर्विस की सेवाएं लेना न भूलें

अप्रैल मध्य से शुरुआती जुलाई तक देश में कम से कम 40 लाख शादियां होंगी

Update: 2022-04-06 08:19 GMT
एन. रघुरामन का कॉलम: 
अप्रैल मध्य से शुरुआती जुलाई तक देश में कम से कम 40 लाख शादियां होंगी, जिसमें लगभग पांच लाख करोड़ रु. के कारोबार की उम्मीद है। शादियों का दौर 43 दिन तक चलेगा। शादियों में 50 लाख से एक करोड़ तक खर्च करने वाले अपने बजट का 80% विभिन्न सुविधाएं देने वाली एजेंसियों पर खर्चते हैं। वे दिन गए जब गेट पर खड़े परिचारक नया ट्रेंड माने जाते थे। अब जिस नई सर्विस की बात हो रही है, वो है मजबूत सिक्योरिटी सर्विस! चौंक गए? आगे पढ़ें।
मुंबई पुलिस ने बच्चों के ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिनके जरिए उनके आका चमक-दमक वाली जगहों से चोरी करवाते थे। मुंबई पुलिस को यकीन है कि यह गैंग बच्चों को मध्यप्रदेश के कुछ गांवों में प्रशिक्षित कर रही है और फिर बिहार, दिल्ली, हरियाणा, यूपी, पंजाब, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की भव्य शादियों को निशाना बनाते हुए उनमें बच्चों का इस्तेमाल कर रही है। पिछले एक महीने में मुंबई क्राइम ब्रांच ने उनकी गतिविधियों और उनकी मूल जगह पर नजर रखी।
सिसोदिया गैंग, जिसके सदस्य असल में बच्चे हैं, वे भोपाल से 120 किमी दूर कड़िया सांसी और इंदौर से 180 किमी दूर गुलखेड़ी गांव से हैं। बच्चे इस तरह प्रशिक्षित हैं कि जब दूल्हे-दुल्हन के रिश्तेदार समारोह में व्यस्त होते हैं, वे चुपके से उनका सामान लेकर दरवाजे पर कार में इंतजार कर रहे उनके साथियों तक सामान सौंप देते हैं। गिरोह के सरगना 12-13 साल से कम उम्र के बच्चों को ही अपने साथ जोड़ते हैं, ताकि पुलिस पकड़ ले, तो आसानी से छुड़ा सकें।
इन बच्चों को भोले-भाले लोगों को धोखा देने के लिए ट्रेन्ड किया जाता है, साथ ही घड़ियाली आंसू बहाकर पुलिस पूछताछ बर्दाश्त करने के तरीके बताए जाते हैं। ऐसे ही एक मामले में पुलिस ने मुंबई के उपनगरीय इलाकों में दर्जनों ऐसी शादी की वारदातों में संलिप्त आठ साल के एक बच्चे की पहचान की है और कुछ आकाओं को गिरफ्तार किया है। सिसोदिया गैंग अमूमन सेवन सीटर गाड़ी में आती है और शक से बचने के लिए शादी के ड्रेस कोड में रहती है।
वे समारोह स्थल पर लिफाफे और बड़े गिफ्ट के साथ प्रवेश करते हैं ताकि शक न हो। पुलिस का दावा है कि उन्होंने पूरे के पूरे कड़िया सांसी गांव को इस अपराध में लिप्त पाया है। यहां तक कि पुलिस ने उनसे 26 लाख रु. का सोना और नकदी बरामद की है और मुंबई में कम से कम सात मामलों में उनकी भूमिका का पता लगाया है। पुलिस का दावा है कि गैंग का सरगना प्रशिक्षण केंद्र जैसा चलाता है, जहां वे बच्चों के माता-पिता से हर ट्रिक सिखाने का पैसा लेते हैं।
मुंबई पुलिस का कहना है कि 'यह वास्तव में चोरी करने का एक पेड कोर्स है। सारी ट्रिक सीखने के लिए पांच लाख रु. देने होते हैं। कुछ बच्चे शुरुआती तरकीबें सीखने के बाद उनके साथ काम करते हैं, फिर उस पैसे से बाकी ट्रिक सीखते हैं।' क्राइम ब्रांच ने कहा है कि उनके अपराध के तरीके में वे शादी में जाने से पहले गैंग के सारे सदस्यों की सिम निकाल देते हैं ताकि उनके फोन नंबर 'डंप डाटा' में न दिखें, जिसे पुलिस अपराधियों का पता लगाने में इस्तेमाल करती है।
फिर ये बिन बुलाए मेहमान ट्रेन्ड बच्चों के साथ कार्यक्रम स्थल में जाकर मेहमानों से घुलमिल जाते हैं। ये बच्चे आपस में खेलने के बहाने उन जगहों के इर्द-गिर्द दौड़ते हैं जहां सामान रखा जाता है और सही समय पर कीमती सामान गायब कर देते हैं। आश्चर्य नहीं कि अधिकांश जोड़े अब शादी चंद नजदीकियों के बीच किसी सुंदर जगह पर करना पसंद करते हैं और इसे निजी मामला कहते हैं।
फंडा यह है कि अगर आप भव्य शादी का विचार कर रहे हैं तो अपने और मेहमानों के कीमती सामान की सुरक्षा के लिए किसी सिक्योरिटी सर्विस की सेवाएं लेना न भूलें।
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