दीया प्यार का, विश्वास का, दीपावली से जगे नया उत्साह

प्रकाश पर्व दीपावली यूं तो हर साल अपने साथ हर्ष और उल्लास का माहौल लेकर आती है, लेकिन इस बार यह ऐसे समय आई है जब देश कोरोना की विनाशकारी दूसरी लहर के प्रभावों से मुक्त महसूस कर रहा है |

Update: 2021-11-04 03:58 GMT

प्रकाश पर्व दीपावली यूं तो हर साल अपने साथ हर्ष और उल्लास का माहौल लेकर आती है, लेकिन इस बार यह ऐसे समय आई है जब देश कोरोना की विनाशकारी दूसरी लहर के प्रभावों से मुक्त महसूस कर रहा है, तेज टीकाकरण की बदौलत तीसरी लहर की आशंकाओं को काफी हद तक कम कर चुका है और अर्थव्यवस्था भी लॉकडाउन के चलते पैदा हुए प्रतिकूल हालात से उबर रही है। इस लिहाज से यह दीपावली विशेष अहमियत रखती है। इसकी यह विशिष्टता हर आम-ओ-खास के व्यवहार में भी दिख रही है। सबसे ज्यादा उत्साह स्वाभाविक ही अयोध्या में है। पिछले कुछ वर्षों से अयोध्या में दीपोत्सव दुनिया भर का ध्यान खींचने लगा है। वहां जलाए जाने वाले लाखों दीये वर्ल्ड रेकॉर्ड बना रहे हैं। पिछले साल के छह लाख दीयों के मुकाबले इस साल 12 लाख दीये जलाकर अयोध्या अपना ही रेकॉर्ड तोड़ने जा रही है। इसके पीछे मुख्य प्रेरणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रहे हैं। मगर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी अब इस मामले में पीछे नहीं दिखना चाहते। उनकी सरकार ने दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में राम मंदिर का रेप्लिका बनवाया है। मुख्यमंत्री ने घोषणा कर रखी है कि दीपावली के दिन शाम को वह अपनी पूरी कैबिनेट के साथ पूजा करेंगे। अपील यह है कि तमाम दिल्लीवासी उनके साथ मिलकर पूजा करें। बहरहाल, देश के धर्मनिरेपक्ष संविधान के तकाजों से मंत्रिमंडल की यह सार्वजनिक पूजा किस हद तक मेल खाती है, यह एक अलग सवाल है, जिस पर विशेषज्ञों को विचार करना चाहिए, लेकिन सामाजिक समरसता के मौजूदा संदर्भ में देखें तो भी दीपों की संख्या या राममंदिर के रेप्लिका से ज्यादा बड़ा सवाल यह है कि हम सब दीपावली से जुड़ी रस्मों और इस मौके पर किए जाने वाले कर्मकांडों के पीछे छिपे संदेशों को कितनी गहराई से ग्रहण कर पाते हैं। यह बात सचमुच अजीब है कि जहां एक तरफ पूरी दुनिया पर्यावरण प्रदूषण की चुनौतियों से जूझ रही है, वहीं अपने देश में दीपावली पर पटाखे न फोड़ने की अपीलों का कुछ नेता यह कहते हुए विरोध करते हैं कि यह हमारे पर्व त्योहारों में दखलंदाजी है। दीपावली पूरे समाज में सत्य और शुभ की जीत का संदेश है। इस मौके पर एक संदेश दिल्ली की हजरत निजामुद्दीन की दरगाह से निकला है। दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस से ही ये पूरी दरगाह दीयों से जगमगा रही है। विभिन्न धर्मावलंबियों की आस्था का प्रतिनिधित्व करने वाली इस दरगाह ने सभी धर्मों के बीच एकता और सामंजस्य की सीख याद दिलाकर दीपावली के पीछे छुपे सबके कल्याण के भाव को मजबूत किया है।


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