कूटनीतिक जीत

इसमें कोई संदेह नहीं कि पूर्वी लद्दाख में चीनी अतिक्रमण पर भारत ने जिस तरह का कड़ा रुख अख्तियार किया

Update: 2021-02-12 02:03 GMT

लंबे समय से इस बात का इंतजार था कि कब चीनी सेना इस इलाके से हटे और तनाव कम हो। चीन ने अपने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि पूर्वी लद्दाख में चीनी अतिक्रमण पर भारत ने जिस तरह का कड़ा रुख अख्तियार किया, उसी से चीन झुकने को मजबूर हुआ है। भारत और चीन के बीच यह टकराव पिछले साल मई में तब शुरू हुआ था जब चीनी सेना ने इस क्षेत्र में भारत के कब्जे वाले इलाकों में पैर जमा लिए थे। इसके बाद जून में चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया, जिसमें बीस जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था।

गलवान घाटी में सैन्य टकराव के बाद तनाव कम करने और सैनिकों की वापसी के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर वातार्ओं के लंबे दौर चले। मास्को में भी भारत और चीन के रक्षा व विदेश मंत्रियों की वातार्एं हुईं। लेकिन चीन के अड़ियल के रुख की वजह से सुलह के सारे प्रयास निष्फल रहे। हाल में नौवें दौर की सैन्य कमांडरों की वार्ता में बनी सहमति के बाद ही चीन पैंगोंग और पूर्वी लद्दाख में एलएसी से सटे इलाकों से अपने सैनिक हटाने को तैयार हुआ। आठवें दौर की वार्ता में भी उसने इस बात पर सहमति जताई थी कि वह सैनिकों को भारतीय क्षेत्र से हटा लेगा।
लेकिन हर बार वह भारत पर इस बात के लिए दबाव डालता रहा कि अग्रिम मोर्चों से सैनिकों को हटाने का काम पहले वह करे। जबकि रणीनितिक लिहाज से महत्त्वपूर्ण इन ठिकानों से सैनिकों की संख्या कम करने का काम दोनों देशों को समान रूप से करना था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में बयान देकर पैंगोंग झील इलाके से भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने की पुष्टि की और साफ किया कि चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को उत्तरी किनारे में फिंगर-आठ के पूरब की दिशा की तरफ रखेगा और भारत अपनी सेना की टुकड़ियों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी ठिकाने धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा। सैनिकों को हटाने की यही प्रक्रिया दोनों देश झील के दक्षिणी हिस्से में भी करेंगे।
सच तो यह है कि अगर चीन की मंशा साफ होती तो गतिरोध इतना लंबा नहीं खिंचता। पड़ोसी देशों के साथ विवादों को लेकर इस वक्त चीन की दुनिया भर में आलोचना हो रही है। हाल में अमेरिका ने उसे चेताया भी है कि पड़ोसी देशों के साथ उसके जो विवाद चल रहे हैं, उन पर अमेरिकी प्रशासन की नजर बनी हुई है। अमेरिका ने ये संकेत भारत और ताइवान के संदर्भ दिए हैं।
इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ऐजेंडे पर सहयोग को लेकर भारत और चीन के बीच दो दिन पहले ही बात हुई है। शायद इसीलिए चीन कुछ समय के लिए नरम पड़ा हो। चीन को चाहिए कि लद्दाख के इलाके में वह अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल करे। अब देखना यह है कि सैनिकों की वापसी के कदम पर वह कितनी ईमानदारी दिखाता है। अभी भी वह कोई छल कर जाए, जैसी कि उसकी प्रवृत्ति है, तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।


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