साइबर अपराध के दौर में डीपफेक, महिलाओं की तस्वीरों का गलत इस्तेमाल

आजकल लोगों का अधिकतर समय इंटरनेट पर ही बीतता है।

Update: 2020-11-07 14:18 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आजकल लोगों का अधिकतर समय इंटरनेट पर ही बीतता है। लेकिन अब साइबर अपराध इतना ज्यादा बढ़ता जा रहा है कि यह हम सबके लिए एक बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है। इंटरनेट पर सभी अपनी तस्वीरें डालते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाएं कुछ ज्यादा ही तस्वीरें पोस्ट करती हैं। ये तस्वीरें व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट पर पोस्ट की जाती हैं। साइबर अपराधी इन तस्वीरों का दुरुपयोग कर सकते हैं। इन तस्वीरों को बड़ी आसानी से डीपफेक टेक्नोलॉजी की मदद से अश्लील तस्वीरों में बदला जा सकता है। इंटरनेट पर मौजूद फेक अकाउंट का पता लगाने वाली कंपनी सेंसिटी ने हाल ही में पता लगाया है कि सोशल मीडिया पर डाली गई एक लाख महिलाओं की तस्वीरों को अश्लील तस्वीरों में बदला गया है। 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर इन तस्वीरों को डीपफेक बॉट की मदद से अश्लील तस्वीरों में बदला गया है। यह सब इतनी सफाई से किया जाता है कि असली और नकली तस्वीरों और वीडियो में फर्क कर पाना मुश्किल होता है। डीपफेक फेक से भी आगे की स्टेज है। बॉट दरअसल एक ऐसा रोबोट है, जो मैसेजिंग ऐप पर इंसानी बातचीत की नकल कर सकता है। सेंसिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, बॉट प्रसिद्ध सोशल मीडिया मैसेजिंग एप टेलीग्राम के एक चैनल पर उपलब्ध है। उपयोगकर्ता इससे महिलाओं की तस्वीरें भेजते हैं और बॉट उन्हें अश्लील तस्वीरों में बदल देता है। जिस टेलीग्राम को अब तक व्हाट्सएप से भी अधिक सुरक्षित माना जाता था, उसी पर महिलाओं के मान-सम्मान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

इंटरनेट की दुनिया में ऐसे न जाने कितने डीपफेक बॉट्स मौजूद होंगे, जिनके जरिये दुनिया भर की करोड़ों महिलाओं की इज्जत की धज्जियां उड़ाई जा रही होंगी। अभी तो सिर्फ एक ही बॉट का खुलासा हुआ है। सबसे खतरनाक बात यह है कि एक लाख महिलाओं की जिन तस्वीरों को अश्लील तस्वीरों में बदला गया, उन्हें इंटरनेट से हटाना भी मुमकिन नहीं है। इंटरनेट पर कोई आपत्तिजनक कंटेंट एक बार अपलोड हो जाए, तो उसे पूरी तरह से हटाना लगभग असंभव है। ज्यादा से ज्यादा भारत के आईटी ऐक्ट के तहत एक नोटिस के जरिये इस आपत्तिजनक कंटेट्स को हटाने के लिए सरकार से निर्देश दिलाया जा सकता है। जो वेबसाइट्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कानूनों का पालन करते हैं, वे तो एक हद तक आपत्तिजनक कंटेंट को हटा भी सकते हैं, लेकिन इंटरनेट पर ऐसी लाखों-करोड़ों वेबसाइट्स हैं, जिनसे अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट को हटाना संभव नहीं है। कानून और पुलिस भी इन लाखों-करोड़ों वेबसाइट्स पर अंकुश लगाने में असमर्थ हैं। 

सोशल मीडिया की जिन तस्वीरों के साथ आसानी से छेड़छाड़ हो सकती है, उनमें ज्यादातर सेल्फीज होती हैं। सेल्फीज में चेहरा साफ-साफ दिखाई देता है और आमतौर पर इसके रेजोल्यूशन की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। इसलिए सेल्फी कैमरे से ली गई किसी महिला के चेहरे की तस्वीर को किसी अश्लील तस्वीर के साथ जोड़ना आसान होता है। इसलिए साइबर अपराधी ज्यादातर सेल्फी का ही दुरुपयोग करते हैं। अलग-अलग एंगल से ली गई सेल्फी से चेहरे के अलग-अलग एंगल, डीपफेक तैयार करने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का काम बहुत आसान कर देते हैं और इनसे ऐसे वीडियोज तैयार किए जा सकते हैं, जिन्हें नकली मानना लगभग नामुमकिन होता है, क्योंकि इसमें चेहरे के सभी भाव, सभी एंगल मौजूद होते हैं। 

इसलिए सेल्फी की जगह दूर से खींची गई तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालना ज्यादा सुरक्षित रहता है। जिन तस्वीरों में पूरा शरीर दिखाई देता है, उनसे चेहरे को अलग करना आसान नहीं होता और इनसे आसानी से छेड़छाड़ करना भी संभव नहीं है। डीपफेक के जरिये केवल महिलाओं को ही बदनाम करने की कोशिश नहीं की जाती, बड़े-बड़े नेता, सेलिब्रिटीज और आम पुरुष भी इसके शिकार होते हैं। डीपफेक इंटरनेट की दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार बन चुका है और इसके जरिये आपत्तिजनक वीडियो बनाकर किसी के भी जीवन को बर्बाद किया जा सकता है। 

 

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