नासिक में 22 कोरोना मरीजों की मौत: ऑक्सीजन की किल्लत के चलते अस्पतालों में आपाधापी का माहौल, कोरोना मरीजों को नहीं मिल रहे बेड

देश के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन की किल्लत के बीच नासिक के एक अस्पताल में ऑक्सीजन टैंक लीक होने से 22 कोरोना मरीजों की मौत बेहद दुखद है

Update: 2021-04-22 01:00 GMT

भूपेंद्र सिंह| देश के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन की किल्लत के बीच नासिक के एक अस्पताल में ऑक्सीजन टैंक लीक होने से 22 कोरोना मरीजों की मौत बेहद दुखद है। यह हादसा चाहे जिन कारणों से हुआ हो, इससे यही पता चलता है कि अस्पताल व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम हो रहे हैं। नि:संदेह अस्पतालों में आपाधापी का माहौल है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि नासिक जैसी घटनाएं सामने आएं। यह भी ठीक नहीं कि कई दिन बीत जाने के बाद भी न तो ऑक्सीजन की कमी संबंधी शिकायतें दूर होने का नाम ले रही हैं और न ही कुछ खास दवाओं की अनुपलब्धता का शोर थम रहा है। इस सबके बीच इस तरह की खबरें चिंता और निराशा बढ़ाने का ही काम कर रही हैं कि कोरोना मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं। ऐसे मामलों की गिनती करना मुश्किल है, जिनमें कोरोना मरीजों को यहां-वहां भटकना पड़ा। कुछ की तो मौत भी हो गई। ऐसे मामले स्वास्थ्य तंत्र की दीन दशा प्रकट करने के साथ ही शासन-प्रशासन के अपयश का कारण भी बन रहे और लोगों में घबराहट भी पैदा कर रहे हैं।

बेशक चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी काम के बोझ तले दबे हैं, लेकिन कम से कम यह तो नहीं ही होना चाहिए कि कोरोना मरीज उनके दर पर आकर उपचार के अभाव में दम तोड़ दें। बात केवल कोरोना मरीजों की ही नहीं है, क्योंकि अन्य गंभीर रोगों से ग्रस्त लोगों की तो अस्पतालों में कोई पूछ-परख ही नहीं हो रही है। एक तरह से उनका उपचार करने से ही इन्कार किया जा रहा है। यह बुनियादी, किंतु जरूरी बात समझी जानी चाहिए कि कुछ मरीज अपना उपचार टाल सकते हैं, लेकिन सभी नहीं। स्वास्थ्य तंत्र के समक्ष जो गंभीर संकट आ खड़ा हुआ है, उसके हल के लिए एक सुविचारित रणनीति की अविलंब आवश्यकता है, ताकि अफरातफरी वाला माहौल शीघ्र खत्म हो। यह रणनीति ऑक्सीजन की आपूíत से लेकर अस्पतालों में बेड की उपलब्धता को लेकर बननी चाहिए। क्या इससे हैरान-परेशान करने वाली और कोई बात हो सकती है कि एक राज्य दूसरे पर अपने हिस्से की ऑक्सीजन हड़पने का आरोप लगाए? यह समय ऑक्सीजन, दवाओं, बेड आदि की किल्लत के कारणों का पता लगाने का नहीं, बल्कि उनका निवारण करने और चरमराती व्यवस्था को पटरी पर लाने का है। इसके लिए संबंधित प्रशासकों को मिल-बैठकर कोई मानक रूपरेखा बनानी चाहिए, ताकि सब जगह यथासंभव उसका पालन हो और लोगों को यह संदेश न जाए कि अस्पतालों में हाहाकार मचा है। इससे ही जनता को दिलासा मिलेगी और वह संयम का परिचय देगी। संकट के समय संयम का परिचय देना आवश्यक भी है।


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